Prabhasakshi Exclusive: Nepal को हिंदू राष्ट्र घोषित कर राजशाही को वापस क्यों लाना चाहती है नेपाली जनता?

Nepal King Gyanendra Shah
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने हालांकि संकेत दिया है कि राजशाही की वापसी नहीं होगी। उन्होंने सभी लोगों से लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन करने और संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य के संविधान के सिद्धांतों को बनाए रखने का आग्रह किया है।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि नेपाल में राजशाही के समर्थन में जिस प्रकार की भीड़ सड़कों पर उमड़ रही है उससे क्या संदेश मिल रहे हैं? क्या भारत के अन्य पड़ोसी देशों की तरह नेपाल में भी सरकार अस्थिर हो सकती है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि नेपाल के 81.3 प्रतिशत नागरिक सनातन हिन्दू धर्म को मानते हैं इसलिए वह हिंदू राष्ट्र है ही। उन्होंने कहा कि भले वहां की सरकार ने देश का नया संविधान बनने के बाद हिंदू राष्ट्र टाइटल हटा दिया था लेकिन नेपाल पूरे विश्व में प्रतिशत के आधार पर सबसे बड़ा हिन्दू धर्मावलम्बी राष्ट्र है। उन्होंने कहा कि नेपाल मार्च 2006 तक एक हिंदू राष्ट्र ही था और नेपाल में आज भी 80 प्रतिशत से अधिक आबादी हिंदुओं की ही है। परंतु, नेपाल में चीन की शह पर माओवादी आंदोलन की सफलता के बाद राजनैतिक उठापटक के चलते नवम्बर 2006 में माओवादी और सात अन्य राजनैतिक दलों के गठबंधन के बीच एक ऐतिहासिक व्यापक शांति समझौता हुआ था, जिसके परिणाम स्वरूप नेपाल में अंतरिम सरकार बनी थी और वर्ष 2006 में नेपाल में 240 वर्षों की राजशाही को समाप्त करते हुए एक अंतरिम संविधान लागू किया गया था जिसके अंतर्गत नेपाल के हिंदू राष्ट्र के दर्जे को समाप्त करते हुए इसे एक धर्मनिरपेक्ष देश घोषित कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि नेपाल में जिस तरह से 16 सालों में 13 सरकारें बनीं और अब भी वहां राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है उसको देखते हुए लोग निर्वाचित सरकारों से निराश हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि नेपाल में बढ़ता भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, महंगाई, बुनियादी सुविधाओं की कमी और चीन के बढ़ते दखल के चलते लोग अब राजशाही की वापसी चाहते हैं।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि नेपाल में अब राजतंत्र की वापसी की मांग लगातार जोर पकड़ती जा रही है। इसके लिए बाकायदा जोरदार प्रदर्शन किए जा रहे हैं। नेपाल में राजनीतिक दलों का भी अब कहना है कि देश में लोकतंत्र की रक्षा तथा राजनीतिक स्थिरता के लिए संवैधानिक राजशाही तथा हिंदू राष्ट्र की बहाली के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि नेपाल की राजनीति वहां की वामपंथी विचारधारा वाले दलों एवं अन्य दलों के इर्द गिर्द घूमती रहती है। उन्होंने कहा कि वामपंथी विचारधारा वाले दलों को चीन से जबरदस्त समर्थन प्राप्त होता है और जब भी वामपंथी विचारधारा वाले दलों को नेपाल में बहुमत प्राप्त होता है तो वे राजशाही को समाप्त कर नेपाल को एक धर्मनिरपेक्ष देश बनाए रखने की बात करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि नेपाल का पुनः एक हिंदू राष्ट्र बनना भारत के भी हित में है क्योंकि एक तो इससे नेपाल में किसी भी राजनैतिक दल के लिए भारत विरोधी रुख अपनाना आसान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अब नेपाल के लोगों को समझ में आने लगा है कि उसके आर्थिक एवं राजनैतिक हित भारत से अच्छे सम्बंध बनाए रखने में ही सधे रहेंगे न कि चीन के साथ अपनी मित्रता बढ़ाने से। चीन ने अभी हाल ही में जिस प्रकार कई देशों को आर्थिक परेशानी में डाल दिया है, इसको देखकर अब नेपाल भी सचेत होता दिखता है। 

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने हालांकि संकेत दिया है कि राजशाही की वापसी नहीं होगी। उन्होंने सभी लोगों से लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन करने और संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य के संविधान के सिद्धांतों और मानकों को बनाए रखने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि वैसे जिस तरह नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह का हवाई अड्डे पर स्वागत हुआ वह देखने लायक था। उन्होंने कहा कि पोखरा से सिमरिक एयर हेलीकॉप्टर पर सवार होकर ज्ञानेंद्र जैसे ही त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे, राजशाही समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं सहित सैकड़ों समर्थक उनके पक्ष में नारे लगाने लगे। उन्होंने कहा कि भीड़ में शामिल लोगों के हाथों में तख्तियां थीं, जिस पर ‘हमें अपना राजा वापस चाहिए’, ‘संघीय गणतंत्र प्रणाली को खत्म करो’, ‘राजशाही को बहाल करो’ और ‘राजा और देश हमारे जीवन से भी प्यारे हैं’ जैसे नारे लिखे हुए थे। उन्होंने कहा कि इस समय नेपाल के पूर्व नरेश के समर्थक पिछले कुछ दिनों से काठमांडू और पोखरा सहित देश के विभिन्न हिस्सों में रैली निकाल रहे हैं और मौजूदा सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञानेंद्र समर्थक, जन आंदोलन के बाद 2008 में समाप्त की गई राजशाही व्यवस्था को फिर से बहाल करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि फरवरी में लोकतंत्र दिवस के बाद से राजशाही समर्थक सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने कहा कि उस समय पूर्व नरेश ने एक संदेश में कहा था, ‘‘समय आ गया है कि हम देश की रक्षा करने और राष्ट्रीय एकता लाने की जिम्मेदारी लें।'' उन्होंने कहा कि जहां तक राजशाही समर्थकों की ओर से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समर्थन में नारेबाजी करने की बात है तो इसका कारण है कि नेपाल के गोरखा लोगों की गोरखनाथ मंदिर में बड़ी आस्था है और योगी चूंकि हिंदुत्व की राजनीति के ब्रांड एम्बेसडर भी हैं इसलिए भी योगी के प्रशंसक वहां बड़ी तादाद में हैं।

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