क्या है मिशन 500? ट्रंप और मोदी ने मिलकर जिसका किया ऐलान

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@narendramodi
अभिनय आकाश । Feb 14 2025 6:30PM

इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए, नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार के लिए एक नया साहसिक लक्ष्य मिशन 500 निर्धारित किया, जिसके तहत मकसद 2030 तक कुल द्विपक्षीय व्यापार को दोगुने से अधिक बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करना है। दोनों नेताओं ने इस बात को स्वीकार किया कि महत्वाकांक्षा के इस स्तर के लिए नए, निष्पक्ष-व्यापार शर्तों की आवश्यकता होगी।

भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने द्विपक्षीय व्यापार के लिए 'मिशन 500' निर्धारित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी दो दिवसीय अमेरिकी यात्रा के दौरान देशों के व्यापार संबंधों को गहरा करने का संकल्प लिया है, जो गुरुवार को संपन्न हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 जनवरी से शुरू हुए रिपब्लिकन नेता के दूसरे कार्यकाल में डोनाल्ड ट्रंप द्वारा मेजबानी करने वाले पहले विश्व नेताओं में से एक हैं।

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क्या है भारत-अमेरिका 'मिशन 500'? 

इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए, नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार के लिए एक नया साहसिक लक्ष्य मिशन 500 निर्धारित किया, जिसके तहत मकसद 2030 तक कुल द्विपक्षीय व्यापार को दोगुने से अधिक बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करना है। दोनों नेताओं ने इस बात को स्वीकार किया कि महत्वाकांक्षा के इस स्तर के लिए नए, निष्पक्ष-व्यापार शर्तों की आवश्यकता होगी। इसके लिए दोनों देशों ने 2025 अंत तक पारस्परिक रूप से लाभकारी, बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के पहले चरण पर बातचीत पूरी करने की योजना की घोषणा की। बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष इन वार्ताओं को आगे बढ़ाने के लिए वरिष्ठ प्रतिनिधियों को नामित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि व्यापार संबंध पूरी तरह से कॉम्पैक्ट (सैन्य साझेदारी, त्वरित वाणिज्य तथा प्रौद्योगिकी के लिए अवसर उत्पन्न करने) आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करें। 

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इसमें कहा गया कि इस नवोन्मेषी, व्यापक द्विपक्षीय व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने के लिए, अमेरिका तथा भारत माल व सेवा क्षेत्र में द्विपक्षीय व्यापार को मजबूत करने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाएंगे। साथ ही बाजार पहुंच बढ़ाने, शुल्क व गैर-शुल्क बाधाओं को कम करने तथा आपूर्ति श्रृंखला एकीकरण को बढ़ाने की दिशा में काम करेंगे। आम तौर पर मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में दो व्यापारिक साझेदार आपस में व्यापार की जाने वाली अधिकतम वस्तुओं पर सीमा शुल्क को या तो खत्म कर देते हैं या काफी कम कर देते हैं। 

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