Prabhasakshi Exclusive: Russia-Ukraine War में आया नया मोड़ Putin ने Adolf Hitler और Napoleon Bonaparte का हवाला देते हुए पश्चिमी देशों को खुलेआम धमकाया

Vladimir Putin
ANI
Neeraj Kumar Dubey । Feb 29 2024 6:10PM

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि एक चीज स्पष्ट है कि यूक्रेन को अब पहले जैसी विदेशी मदद नहीं मिल पा रही है जिससे उसकी सैन्य क्षमता प्रभावित हुई है और रूस लगातार आगे बढ़ता जा रहा है।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध ने हाल में दो वर्ष पूरे किये। दोनों तरफ नीरसता-सी दिख रही है इसलिए लड़ने के लिए अब दूसरे देशों के लोगों को लाया जा रहा है। यह सब क्या दर्शा रहा है। आखिर और कितना लंबा खिंचेगा यह युद्ध? उन्होंने कहा कि दो साल में बड़ी तबाही के बावजूद दोनों पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि रूसी आक्रमण शुरू होने के बाद से 31,000 यूक्रेनी सैनिक मारे गए हैं। उन्होंने कहा कि रूस की तरफ से स्पष्ट आंकड़ा नहीं है लेकिन उसकी सेना को भी बहुत नुकसान पहुँचा है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि एक चीज स्पष्ट है कि यूक्रेन को अब पहले जैसी विदेशी मदद नहीं मिल पा रही है जिससे उसकी सैन्य क्षमता प्रभावित हुई है और रूस लगातार आगे बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि जेलेंस्की संसाधन जुटाने के लिए लगातार विदेशों के दौरे कर रहे हैं लेकिन पैसे और हथियार मांग मांग कर वह कब तक इस युद्ध को खींच पायेंगे इस पर सवाल उठने लगे हैं। उन्होंने कहा कि एक चीज और है कि दोनों तरफ की सेनाओं में नीरसता-सी आ गयी है तभी दूसरे देश के लोगों को लड़ने के लिए लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चीन एक बार फिर से दोनों पक्षों के बीच संघर्षविराम कराने का प्रयास कर रहा है लेकिन यह आसान नहीं लगता क्योंकि जिन यूक्रेनी क्षेत्रों पर रूस कब्जा कर चुका है उन्हें वह छोड़ेगा नहीं और अपने क्षेत्रों को वापस लिये बिना यूक्रेन मानेगा नहीं। उन्होंने कहा कि यूक्रेनी राष्ट्रपति ने अब यूरोपीय देशों को यह डर दिखाना शुरू किया है कि यदि यूक्रेन पर रूस का कब्जा हुआ तो यूरोपीय देश भी सुरक्षित नहीं रहेंगे।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि एक ओर जहां जेलेंस्की सबसे मदद मांग रहे हैं वहीं दूसरी ओर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आत्मविश्वास से भरपूर नजर आ रहे हैं और यूक्रेन तथा उसके सभी सहयोगियों को खुलेआम धमका रहे हैं। उन्होंने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों से कहा है कि अगर वे यूक्रेन में लड़ने के लिए अपनी सेना भेजते हैं तो परमाणु युद्ध भड़कने का खतरा है। पुतिन ने चेतावनी दी है कि मॉस्को के पास पश्चिम में लक्ष्यों पर हमला करने के लिए हथियार हैं। उन्होंने कहा कि पुतिन पहले भी नाटो और रूस के बीच सीधे टकराव के खतरों के बारे में बात कर चुके हैं, लेकिन उनकी ताजा परमाणु चेतावनी सबसे स्पष्ट चेतावनी में से एक थी।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि रूसी सांसदों और देश के अभिजात वर्ग को संबोधित करते हुए, 71 वर्षीय पुतिन ने अपना आरोप दोहराया कि पश्चिमी देश रूस को कमजोर करने पर तुले हुए हैं। पुतिन ने कहा कि पश्चिमी नेता यह नहीं समझते हैं कि रूस के अपने आंतरिक मामलों में उनका हस्तक्षेप कितना खतरनाक हो सकता है। उन्होंने अपनी परमाणु चेतावनी की शुरुआत फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन द्वारा यूरोपीय नाटो सदस्यों द्वारा यूक्रेन में जमीनी सेना भेजने के विचार के विशेष संदर्भ में की थी। पुतिन ने कहा कि पश्चिमी देशों को यह समझना चाहिए कि हमारे पास भी ऐसे हथियार हैं जो उनके क्षेत्र में लक्ष्यों को मार सकते हैं। पुतिन ने कहा कि क्या उन्हें यह समझ में नहीं आता? 15-17 मार्च को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले बोलते हुए, पुतिन ने कहा कि उनका अगले छह साल के कार्यकाल के लिए फिर से चुना जाना निश्चित है। उन्होंने रूस के विशाल आधुनिकीकृत परमाणु शस्त्रागार की भी सराहना की जो दुनिया में सबसे बड़ा है। उन्होंने कहा कि गुस्से में दिख रहे पुतिन ने पश्चिमी राजनेताओं को नाजी जर्मनी के एडॉल्फ हिटलर और फ्रांस के नेपोलियन बोनापार्ट जैसे लोगों के भाग्य को याद करने का सुझाव दिया, जिन्होंने अतीत में रूस पर असफल आक्रमण किया था।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा एक और बात यह है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में वापसी और उनकी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति लागू करने की संभावना यूक्रेन के लिए ‘घातक’ साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि इस साल के अंत में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव प्रस्तावित हैं। राष्ट्रपति पद के लिए संभावित रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप, यूक्रेन को कोई भी अतिरिक्त सहायता दिये जाने के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप का कहना है कि किसी भी अन्य सहायता को अब ऋण के रूप में दिया जाना चाहिए। उन्होंने 24 घंटे में युद्ध समाप्त करने संबंधी अपने इरादे की भी घोषणा की थी और शीघ्र ही शांति का माहौल बनाये जाने की आवश्यकता पर जोर दिया था। उन्होंने कहा कि हालांकि रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल ट्रंप की प्रतिद्वंद्वी दक्षिण कैरोलिना की पूर्व गवर्नर निक्की हेली यूक्रेन को बिना किसी शर्त के सहायता जारी रखने का समर्थन करती हैं। उन्होंने कहा कि व्लादिमीर पुतिन की जीत से यूरोप के अन्य देशों, मुख्य रूप से बाल्टिक देशों और पोलैंड में युद्ध छिड़ जायेगा। उन्होंने कहा कि हालांकि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने उम्मीद जताई है कि यदि ट्रंप नवंबर में राष्ट्रपति चुने जाते हैं, तो अमेरिका की ओर से यूक्रेन को सहायता मिलना जारी रहेगा और यदि ऐसा नहीं हुआ तो युद्धग्रस्त देश को इसके घातक नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि कई कारक यूक्रेन को अमेरिकी सहायता की गतिशीलता और भविष्य में इसके आकार को प्रभावित करेंगे। अमेरिका की रणनीतिक प्राथमिकताएं और वित्तीय सहायता प्रदान करने की उसकी इच्छा इस बात पर निर्भर करेगी कि क्या इस युद्ध को इसके नीति निर्माताओं और अमेरिकी जनता द्वारा केवल एक स्थानीय या क्षेत्रीय मामला या वैश्विक संघर्ष के हिस्से के रूप में परिभाषित किया गया है। उन्होंने कहा कि यूरोपीय देश, विशेष रूप से जर्मनी, फ्रांस और पोलैंड यूक्रेन का समर्थन जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं और यूक्रेनी निधि के सृजन पर सहमत हुए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले छह महीनों में यूरोपीय संघ के देशों ने यूक्रेन को मदद के मामले में अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि युद्ध जारी रहने और यूक्रेन के सशस्त्र बलों के इसमें बढ़त नहीं हासिल करने से अमेरिका का जोर अपनी रक्षा क्षमताओं के वास्ते अधिक धन जुटाने और यूक्रेन को सहायता प्रदान करने के बजाय नाटो सैन्य शक्ति को मजबूत करने पर रहेगा।

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