यूरोप के सबसे बड़े परमाणु संयंत्र पर बमबारी ने पैदा किए कई खतरे
रूस के कब्जे वाले झापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र में हाल में बमबारी तेज होने से अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गयी हैं। यूक्रेनी कर्मी सख्त नियंत्रण और दबावपूर्ण स्थितियों में इस बड़े संयंत्र का संचालन कर रहे हैं। रूस और यूक्रेन हमले जारी रहने और नुकसान के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
लंदन, 21 अगस्त। (द कन्वरसेशन) रूस के कब्जे वाले झापोरिज्जिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र में हाल में बमबारी तेज होने से अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गयी हैं। यूक्रेनी कर्मी सख्त नियंत्रण और दबावपूर्ण स्थितियों में इस बड़े संयंत्र का संचालन कर रहे हैं। रूस और यूक्रेन हमले जारी रहने और नुकसान के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इस संघर्ष में गलत सूचनाओं और फर्जी खबरों ने एक अहम भूमिका निभायी है और इसलिए अभी यह पता नहीं है कि हालात क्या हैं। अभी इसकी संभावना नहीं लगती कि दोनों पक्षों में से कोई भी यूरोप के सबसे बड़े परमाणु संयंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचाना चाहेगा, जिससे कि रेडियोधर्मी पदार्थ का रिसाव हो।
संयंत्र में काम करने वाले यूक्रेनी कर्मियों ने दावा किया कि रूस जानबूझकर गैर-महत्वपूर्ण उपकरणों को निशाना बना रहा है। परमाणु संयंत्र पर जानबूझकर हमला किए जाने से अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन होगा। यह संयंत्र चेर्नोबिल की तरह नहीं है, जो दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु आपदा वाली जगह है। चेर्नोबिल एक पुराने रिएक्टर की तरह था। झोपोरिज्जिया की तरह इसे भी पानी से ठंडा किया जाता है, लेकिन इसमें ‘न्यूट्रोन अनुशोधन’ के लिए बड़ी मात्रा में ग्रेफाइट मौजूद होता है। ‘न्यूट्रोन अनुशोधन’ रिएक्टर के संचालन के लिए अनिवार्य होता है। जब चेर्नोबिल रिएक्टर अत्यधिक गर्म होता है तो पानी गर्म हो जाता है और शीतलन की दृष्टि से कम प्रभावी हो जाता है।
हालांकि, ग्रेफाइट लगातार न्यूट्रोन्स का अनुशोधन करता रहता है, जिससे रिएक्टर पावर सक्रिय और तापमान अनियंत्रित हो जाता है। झोपोरिज्जिया में दुनियाभर के रिएक्टरों की तरह अगर कोई रिएक्टर अत्यधिक गर्म होता है तो कूलिंग और अनुशोधन दोनों ही कम हो जाता है और इसलिए रिएक्टर ऊर्जा भी कम हो जाती है। परमाणु इंजीनियर इसे रिएक्टर के सुरक्षित डिजाइन के लिए अहम मानते हैं। लेकिन अगर हमलों में परमाणु सामग्री या सुरक्षा के लिए अहम उपकरणों को नुकसान पहुंचता है तो रिएक्टर विनाशकारी हो सकता है। इससे बड़ी मात्रा में हानिकारक परमाणु सामग्री हवा में घुलती है, जिससे बड़े पैमाने पर जमीन और जल आपूर्ति दूषित होने का खतरा होता है।
संयंत्र उच्च क्षमता वाली इमारतों से घिरे होते हैं। इन्हें संयंत्र के भीतर और बाहर धमाकों से बचाने के लिए बनाया जाता है। हालांकि, आधुनिक संयंत्रों को विमान से किए जाने वाले हमलों से बचाने के लिए बनाया गया है। सबसे बड़ी चिंता बाहर ईंधन के लिए बने कूलिंग पूल हैं, जहां अत्यधिक रेडियोधर्मी पदार्थ का पानी में भंडार किया जाता है। इनमें से किसी पर भी अगर सीधे हमला किया जाता है तो रेडियोधर्मी पदार्थ के वातावरण में फैलने की आशंका होती है। परमाणु ऊर्जा संयंत्र के बंद होने के बाद भी पम्प और पाइप जैसे सुरक्षा उपकरण अहम होते हें। झापोरिज्जिया के छह रिएक्टरों में से तीन अभी बंद हैं।
रिएक्टर के भीतर ईंधन बंद होने के बाद भी यह कई वर्षों तक भी गर्म रहता है। इसे लगातार ठंडा न किए जाने से यह अत्यधिक गर्म हो सकता है, जिससे विस्फोटक गैस पैदा हो सकती है या आग लग सकती है। इससे रेडियोधर्मी पदार्थ का रिसाव हो सकता है। रूस की रणनीति : रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कई वजहों से संयंत्र पर नियंत्रण रखना चाहते होंगे। रूस इस संयंत्र से यूक्रेन को ऊर्जा आपूर्ति में कटौती कर सकता है, लेकिन यह हमले के समय ही कम ऊर्जा स्तर पर चल रहा था तथा इसलिए इसका सीमित असर पड़ सकता है। इसके अलावा रूस इसका इस्तेमाल राजनीतिक मोलभाव के लिए कर सकता है तथा क्षेत्र पर कब्जे के वैध दावे के लिए इसका इस्तेमाल कर सकता है।
विभिन्न स्रोतों से यह भी पता चलता है कि रूस ने इस संयंत्र पर सैनिकों तथा उपकरण को तैनात किया है। इसके कारण इसका इस्तेमाल मिसाइल प्रक्षेपण स्थल के लिए किया जा सकता है, जिसका यूक्रेन जवाब देने की हिम्मत नहीं करेगा। संयुक्त राष्ट्र ने हाल में इस सयंत्र के असैन्यीकण का आह्नान किया था, लेकिन रूस ने दावा किया कि इससे परमाणु आतंकवाद के कथित खतरे के कारण संयंत्र को बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा। इन सबके बावजूद संयंत्र के आसपास हिंसा थमनी चाहिए और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सत्यापन की अनुमति दी जानी चाहिए। लोगों, पर्यावरण तथा बुनियादी ढांचे की रक्षा करने के लिए संयंत्र के आसपास सैन्य कार्रवाई जल्द से जल्द बंद होनी चाहिए।
अन्य न्यूज़