ब्राजील की सड़कों पर गूंजा ‘‘माफी नहीं’’ का नारा, दंगाइयों को जेल भेजने की मांग

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ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के समर्थकों ने रविवार को राजधानी में उच्चतम न्यायालय, राष्ट्रपति भवन और अन्य संस्थानों पर धावा बोला दिया था, जिसके विरोध में सोमवार को लोग सड़कों पर उतार आए और दंगाइयों को सजा देने की मांग करने लगे।

ब्राजील की सड़कें उस समय ‘‘कोई माफी नहीं’’, ‘‘कोई माफी नहीं’’, ‘‘कोई माफी नहीं’’ के नारों से गूंज उठीं जब सैकड़ों लोग देश के लोकतांत्रिक संस्थानों पर हुए हमलों के विरोध में उतर आए और दंगाइयों को जेल भेजने की मांग करने लगे। ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के समर्थकों ने रविवार को राजधानी में उच्चतम न्यायालय, राष्ट्रपति भवन और अन्य संस्थानों पर धावा बोला दिया था, जिसके विरोध में सोमवार को लोग सड़कों पर उतार आए और दंगाइयों को सजा देने की मांग करने लगे। साओ पाउलो विश्वविद्यालय के लॉ कॉलेज के खचाखच भरे हॉल में सोमवार दोपहर को केवल यही नारा गूंजा।

साओ पाउलो में मौजूद बेट्टी आमीन (61) ने कहा, ‘‘इन लोगों को सजा मिलनी चाहिए, जिन लोगों ने इसके आदेश दिए, उन्हें भी सजा मिलनी चाहिए, जिसने इसके लिए पैसा मुहैया कराया, उन्हें भी सजा दी जानी चाहिए।’’ आमीन की शर्ट पर लिखा था, ‘‘ लोकतंत्र... वह ब्राजील का नेतृत्व नहीं करते। हम ब्राजील का नेतृत्व करते हैं?’’ जवाबदेही तय करने की इन लोगों की मांग ने उस ‘माफी कानून’ की यादें ताजा कर दीं, जिसने देश की 1964-85 की तानाशाही के दौरान दुर्व्यवहार और हत्या के आरोपी सैन्य सदस्यों को संरक्षण दिया था।

2014 में एक आयोग की रिपोर्ट ने इस बात पर बहस छेड़ दी थी कि ब्राजील, उस शासन की विरासत से कैसे जकड़ा हुआ है। ब्रासीलिया विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर लुइस फेलिप मिगुएल ने ‘‘माफी नहीं’’ शीर्षक से प्रकाशित एक लेख में लिखा, ‘‘सज़ा देने से इनकार फिलहाल तनाव से बचा सकता है, लेकिन यह अस्थिरता को कायम रखता है।’’ लेख में कहा गया, ‘‘ यह सबक हमें सैन्य तानाशाही के अंत से सीखना चाहिए था, जब ब्राजील ने शासन के हत्यारों और अत्याचारियों को दंडित नहीं करने का विकल्प चुना था।’’

संघीय पुलिस के प्रेस कार्यालय ने ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया कि बल ने कम से कम 1,000 लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाने की योजना बनाई है और उन्हें पास की पपुडा जेल में स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है। राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला डा सिल्वा के प्रशासन ने कहा कि यह महज शुरुआत मात्र है। ब्राजील के लोकतांत्रिक संस्थानों पर हुए हमलों की अमेरिका, कनाडा और मेक्सिको ने निंदा की है।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, मेक्सिको के राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्राडोर और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को जारी एक संयुक्त बयान में कहा, ‘‘ कनाडा, मेक्सिको और अमेरिका, ब्राजील के लोकतंत्र पर और सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण पर आठ जनवरी को हुए हमलों की निंदा करते हैं। हम ब्राजील के साथ खड़े हैं क्योंकि यह अपने लोकतांत्रिक संस्थानों की रक्षा करता है।’’

मेक्सिको में मौजूद नेताओं ने एक बयान में कहा, ‘‘ हमारी सरकारें ब्राजील के लोगों की स्वतंत्रता की इच्छा का समर्थन करती हैं। हम राष्ट्रपति लूला के साथ काम करने के लिए तत्पर हैं।’’ इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा था कि सभी को लोकतांत्रिक परंपराओं का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने ट्वीट किया था , ‘‘ब्रासीलिया में सरकारी संस्थानों के खिलाफ दंगे व तोड़फोड़ की खबरों से बहुत चिंतित हूं। सभी को लोकतांत्रिक परंपराओं का सम्मान करना चाहिए। हम ब्राजील के प्राधिकारियों को पूरा समर्थन देते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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