भारत में कोरोना से कैसे मिलेगी राहत? रॉकफेलर फाउंडेशन ने सुझाई रणनीतिक कार्ययोजना

रॉकफेलर फाउंडेशन ने भारत में कोविड-19ए भावी लहरों पर नियंत्रण के लिए रणनीतिक कार्ययोजना सुझाई। रिपोर्ट में इस बात को रेखांकित किया गया है कि भारत किस तरह इस समय जांच और संक्रमितों का पता लगाने की क्षमता को मजबूत कर सकता है, मामलों में बढ़ोतरी को रोक सकता है।
वाशिंगटन। प्रतिष्ठित रॉकफेलर फाउंडेशन ने भारत में न केवल कोविड-19 पर नियंत्रण के लिए बल्कि भविष्य में इस महामारी की किसी और लहर से भी निपटने के लिए एक रणनीतिक कार्ययोजना सुझाई है। रॉकफेलर की ‘भारत में कोविड-19 की अच्छी तरह जांच और पता लगाने के लिए आगे की रूपरेखा’ विषय पर एक रिपोर्ट जारी की है जिसे विशेषज्ञों तथा अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ मिलकर तैयार किया गया है। रिपोर्ट में इस बात को रेखांकित किया गया है कि भारत किस तरह इस समय जांच और संक्रमितों का पता लगाने की क्षमता को मजबूत कर सकता है, मामलों में बढ़ोतरी को रोक सकता है और भविष्य में किसी तरह की लहर की आशंका के बीच उन पर नियंत्रण कर सकता है।
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संस्थान ने इसके लिए कोविड-19 से निपटने के लिहाज से उचित, किफायती और मापने योग्य पद्धति विकसित करने के लिए पांच महत्वपूर्ण अवसरों पर ध्यान देने की जरूरत बताई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 से लोगों को प्रभावी तरीके से बचाने के लिए जांच और रोगियों का पता लगाने की रणनीतियों को और मजबूत करना चाहिए जिसमें स्पष्ट दिशानिर्देशों के साथ विविध प्रकार की जांचों की उपलब्धता होनी चाहिए, सुनियोजित तरीके से सीरो-सर्वेक्षण (सामूहिक परीक्षण) कराए जाएं, नियामक तरीके तय किए जाएं और नई जांच प्रौद्योगिकियों की गुणवत्ता जांच हो, सभी को समान तरीके से जांच का मौका मिले और जीनोम श्रृंखला तैयार करने के प्रयास तेज किए जाएं। इसमें कहा गया है कि केंद्र के माध्यम से एक संघ बनाकर सामूहिक खरीद के माध्यम से जांच की क्षमता, उपलब्धता और पहुंच उन्नत की जानी चाहिए। इससे जांच की लागत एक तिहाई तक कम होगी। रिपोर्ट में जांच किट के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करने और जांच मूल्य पर नियंत्रण करने की सिफारिश की गई है।
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भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के. विजय राघवन ने कहा कि यह रिपोर्ट खासतौर पर जांच और संक्रमितों के संपर्कों का पता लगाने की दिशा में कारगर हो सकती है जिसमें विभिन्न कदम उठाने की सिफारिश की गई है। उन्होंने कहा, ‘‘महामारी की शुरुआत से ही सतत जांच करने और रोगियों का पता लगाने से हमें बहुत लाभ मिला है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष के माध्यम से तेजी से आगे बढ़ने की वजह से यह संभव हुआ।’’ रॉकफेलर फाउंडेशन के अध्यक्ष राजीव शाह ने कहा कि रिपोर्ट में की गई सिफारिशें मौजूदा महामारी के प्रकोप को सीमित करने तथा भविष्य में इस तरह के प्रकोप की आशंकाओं को निर्मूल करने के लिहाज से जांच के तरीकों को मजबूत करने की दिशा में लाभदायक है। उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत के लिए और जांच एवं संक्रमितों का पता लगाने की और समावेशी रणनीतियों के विकास में मदद के लिहाज से अनेक विशेषज्ञों और प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के साथ काम करते हुए गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
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