Pakistan Caretaker PM को UN में Bharat से मिली लताड़ को देख कर शहबाज शरीफ ने खूब लगाये ठहाके, Pak Social Media पर भी लोग ले रहे हैं मजे

Anwaar ul Haq Kakar
Source X: @PakPMO

भारत ने करारा जवाब देते हुए कहा कि दुनिया में सर्वाधिक संख्या में प्रतिबंधित आतंकवादी संस्थाओं को ‘‘पनाह और संरक्षण’’ मुहैया कराने वाले देश को ‘‘तकनीकी कुतर्क’’ करने के बजाय 26/11 मुंबई हमले के अपराधियों के खिलाफ विश्वसनीय कार्रवाई करनी चाहिए।

पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवार उल हक काकड़ बड़े जोश जोश में संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सत्र को संबोधित करने पहुँचे। जरूरत इस बात की थी कि वहां इतने सारे देशों के बीच वह झोली फैला कर अपने देश के लिए कुछ मदद मांग लेते लेकिन इसकी बजाय उन्होंने अपने संबोधन में कश्मीर राग अलापने पर जोर दिया लेकिन भारत ने जिस तरह हाथ के हाथ करारा जवाब दिया उससे पाकिस्तान की कार्यवाहक सरकार भी अपनी नाक कटा बैठी। बताया जा रहा है कि काकड़ की पतली हालत देखकर पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने खूब ठहाके मारे। पाकिस्तानी सोशल मीडिया में भी काकड़ को भारत की ओर से मिले जवाब की खूब चर्चा हो रही है और जनता कह रही है कि उनके नेता जनहित के मुद्दे उठाना कब शुरू करेंगे?

भारत ने क्या जवाब दिया?

जहां तक काकड़ को भारत की ओर से दिये गये जवाब की बात है तो आपको बता दें कि जैसे ही पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री की ओर से अपने संबोधन के दौरान कश्मीर का मुद्दा उठाया गया तभी भारत ने करारा जवाब देते हुए कहा कि दुनिया में सर्वाधिक संख्या में प्रतिबंधित आतंकवादी संस्थाओं को ‘‘पनाह और संरक्षण’’ मुहैया कराने वाले देश को ‘‘तकनीकी कुतर्क’’ करने के बजाय 26/11 मुंबई हमले के अपराधियों के खिलाफ विश्वसनीय कार्रवाई करनी चाहिए। हम आपको बता दें कि अनवार उल हक काकड़ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 78वें सत्र की आम बहस के दौरान कश्मीर का मामला उठाया था। इसके बाद, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की प्रथम सचिव पेटल गहलोत ने यूएनजीए में भारत के जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए कहा, ‘‘पाकिस्तान ने दुनिया में सबसे अधिक संख्या में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित आतंकवादी संस्थाओं एवं आतंकवादियों को पनाह और संरक्षण मुहैया कराया है। हम पाकिस्तान से मांग करते हैं कि वह तकनीकी कुतर्क में शामिल होने की बजाय मुंबई में हुए उन आतंकवादी हमलों के अपराधियों के खिलाफ विश्वसनीय कार्रवाई करे, जिनके पीड़ित 15 साल बाद भी न्याय मिलने का इंतजार कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में शांति स्थापित करने के लिए पाकिस्तान को तीन स्तर पर कार्रवाई करने की जरूरत है।

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गहलोत ने कहा, ‘‘सबसे पहले, सीमा पार आतंकवाद पर रोक लगाएं और आतंकवाद के इस बुनियादी ढांचे को तत्काल बंद करें। दूसरी बात, अवैध और जबरन कब्जे वाले भारतीय क्षेत्रों को खाली करें और तीसरी बात, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का लगातार हो रहा गंभीर उल्लंघन बंद करें।’’ गहलोत ने दोहराया कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश भारत के अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्रशासित प्रदेशों संबंधी मामले भारत के पूरी तरह से आंतरिक मामले हैं। हमारे घरेलू मामलों पर टिप्पणी करने का पाकिस्तान को कोई अधिकार नहीं है।’’ 

युवा भारतीय राजदूत ने कहा कि खासकर, अल्पसंख्यकों एवं महिला अधिकारों के मामले में दुनिया में सबसे खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड वाले देश के तौर पर पाकिस्तान ‘‘के लिए यह अच्छा होगा कि वह दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश पर उंगली उठाने के बजाय अपने घर में चीजें दुरुस्त करे।’’ भारत ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के मंच का दुरुपयोग कर भारत के खिलाफ ‘‘निराधार एवं दुर्भावनापूर्ण’’ प्रचार करने के मामले में पाकिस्तान ‘‘आदतन अपराधी’’ बन गया है। गहलोत ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश और अन्य बहुराष्ट्रीय संगठन इस बात से भली-भांति अवगत हैं कि पाकिस्तान ‘‘मानवाधिकारों के अपने खराब रिकॉर्ड से अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान हटाने के लिए ऐसा करता है।

गहलोत ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ व्यवस्थित तरीके से हिंसा का एक ‘‘ज्वलंत उदाहरण’’ देते हुए अगस्त 2023 में देश के फैसलाबाद जिले के जरनवाला में अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय के खिलाफ बड़े पैमाने पर हुई उस ‘‘क्रूरता’’ का जिक्र किया, जब कुल 19 गिरजाघरों और ईसाइयों के 89 घर को जला दिया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘अहमदिया मुसलमानों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार किया गया और उनके धार्मिक स्थलों को ध्वस्त कर दिया गया।’’ गहलोत ने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों, खासकर हिंदू, सिख और ईसाई समुदाय की महिलाओं की स्थिति दयनीय है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग द्वारा हाल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में हर साल अल्पसंख्यक समुदायों की अनुमानित 1,000 महिलाएं अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन और जबरन विवाह का शिकार बनती हैं।

पाक के कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने क्या कहा था?

हम आपको बता दें कि पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवर उल हक काकड़ ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र (संरा) महासभा में अपने संबोधन में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए कहा कि नयी दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच शांति के लिए कश्मीर अहम है। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान, बैठकों में चर्चा के एजेंडे और विषय की परवाह किए बिना लगातार संरा के विभिन्न मंचों पर जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाता रहा है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र की आम बहस के दौरान काकड़ ने कहा कि पाकिस्तान, भारत सहित अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण और उपयोगी संबंध चाहता है। उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान और भारत के बीच शांति के लिए कश्मीर अहम है।' उन्होंने कहा, 'विकास, शांति पर निर्भर करता है। पाकिस्तान आर्थिक रूप से दुनिया के सबसे कम विकसित क्षेत्र में स्थित है और हमारा मानना है कि क्षेत्र एक साथ विकसित होता है, इसलिए भारत सहित अपने सभी पड़ोसियों के साथ पाकिस्तान शांतिपूर्ण और उपयोगी संबंध बनाना चाहता है।' काकड़ ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को कश्मीर पर अपने प्रस्तावों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (यूएनएमओजीआईपी) को 'मजबूत' किया जाना चाहिए।

बहरहाल, काकड़ को कश्मीर की रट लगाने की बजाय इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि उनके देश की भुखमरी, महंगाई और अव्यवस्था कैसे दूर हो। अपने देश को असल मुद्दों से भटका कर पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने जो कश्मीर राग अलापा है उससे उन्हें कोई फायदा नहीं होगा। काकड़ को यह भी देखना चाहिए कि एक ओर वो कश्मीर की बात कर रहे हैं दूसरी तरफ पीओके के लोग भारत का दरवाजा खटखटा कर भारत में शामिल होने की मांग कर रहे हैं। खैर...काकड़ काकड़ रह गये और भारत की युवा राजदूत गहलोत धाकड़ निकल गयीं जिन्होंने पाकिस्तान की बोलती बंद कर दी है।

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