भारत, चीन को एक-दूसरे की ‘मुख्य चिंताओं’ का सम्मान करना चाहिए: जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन को एक-दूसरे की चिंताओं का सम्मान करना चाहिए और मतभेदों को दूर करना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि एशिया के दो बड़े देशों के बीच संबंध ‘‘इतने विशाल’’ हो गए हैं कि उसने ‘‘वैश्विक आयाम’’ हासिल कर लिए हैं। सोमवार को बीजिंग की तीन दिवसीय यात्रा पूरी करने वाले जयशंकर ने भारत-चीन संबंधों के सभी पहलुओं पर अपने समकक्ष वांग यी के साथ व्यापक और गहन चर्चा की।
बीजिंग। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन को एक-दूसरे की चिंताओं का सम्मान करना चाहिए और मतभेदों को दूर करना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि एशिया के दो बड़े देशों के बीच संबंध ‘‘इतने विशाल’’ हो गए हैं कि उसने ‘‘वैश्विक आयाम’’ हासिल कर लिए हैं। सोमवार को बीजिंग की तीन दिवसीय यात्रा पूरी करने वाले जयशंकर ने भारत-चीन संबंधों के सभी पहलुओं पर अपने समकक्ष वांग यी के साथ व्यापक और गहन चर्चा की। वह चीन के उपराष्ट्रपति वांग किशान से भी मिले जिन्हें राष्ट्रपति शी चिनफिंग का करीबी माना जाता है। जयशंकर ने रविवार को यहां सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि दो सबसे बड़े विकासशील देश और उभरती अर्थव्यवस्था होने के नाते भारत और चीन के बीच सहयोग दुनिया के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
इसे भी पढ़ें: भारत और पाक के विदेश मंत्री गये थे चीन, किसको मिली सफलता ?
खबर में जयशंकर के हवाले से कहा गया, ‘‘हमारे संबंध इतने विशाल हैं कि अब यह सिर्फ द्विपक्षीय संबंध नहीं रहे। इसके वैश्विक आयाम हैं।’’ उन्होंने कहा कि भारत और चीन को विश्व शांति, स्थिरता और विकास में योगदान देने के लिए संचार तथा समन्वय बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को समानता वाले क्षेत्रों की तलाश करनी चाहिए, एक-दूसरे की मुख्य चिंताओं का सम्मान करना चाहिए, मतभेदों को दूर करना चाहिए औरद्विपक्षीय संबंधों की दिशा में सामरिक दृष्टि रखनी चाहिए। विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों पड़ोसी देशों का हजारों साल पुराना इतिहास है और दोनों देशों की सभ्यताएं सबसे पुरानी है जो पूर्व की सभ्यता के दो स्तंभों को दर्शाती है।
इसे भी पढ़ें: जम्मू कश्मीर पर फैसला आंतरिक विषय, द्विपक्षीय मतभेद विवाद नहीं बनना चाहिए: जयशंकर
भारत और चीन पिछले साल अप्रैल में लोगों के बीच आपसी संपर्क बढ़ाने के लिए उच्च स्तरीय तंत्र स्थापित करने पर सहमत हो गए थे और इस संबंध में पहली बैठक दिसंबर में नयी दिल्ली में हुई थी।इस कदम को ‘‘द्विपक्षीय संबंधों को संकीर्ण कूटनीतिक क्षेत्र से वृहद सामाजिक पथ पर ले जाने’’ जैसा बताते हुए जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के लोग जितना ज्यादा एक-दूसरे से प्रत्यक्ष बातचीत करेंगे उतना ही एक-दूसरे से जुड़े होने की भावना बढ़ेगी।
इसे भी पढ़ें: जयशंकर ने चीनी उपराष्ट्रपति से की मुलाकात, भारत चीन के संबंध पर कही ये बात
विदेश मंत्रालय संभालने के बाद यह जयशंकर की चीन की पहली यात्रा थी। वह इससे पहले साल 2009 से 2013 तक चीन में भारत के राजदूत रहे। यह बीजिंग में किसी भारतीय राजनयिक का सबसे लंबा कार्यकाल रहा था। जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने के भारत के कदम से पहले ही उनकी यात्रा तय हो गई थी। जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दूसरी औपचारिक शिखर वार्ता के लिए इस साल राष्ट्रपति शी चिनफिंग की भारत यात्रा के लिए तैयारियों पर भी चर्चा की।
इसे भी पढ़ें: जयशंकर ने थाईलैंड और न्यूजीलैंड के विदेश मंत्रियों से द्विपक्षीय संबंधों पर की बातचीत
वांग यी के साथ बैठक में जयशंकर ने कहा कि जम्मू कश्मीर पर भारत का फैसला देश का ‘‘आंतरिक’’ विषय है और इसका भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं तथा चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के लिए कोई निहितार्थ नहीं है। भारत ने यह टिप्पणी चीनी विदेश मंत्री के एक बयान पर की है। दरअसल, वांग ने जम्मू कश्मीर पर भारतीय संसद द्वारा पारित हालिया अधिनियम से जुड़े घटनाक्रमों पर कहा था कि चीन कश्मीर को लेकर भारत-पाक तनावों और इसके निहितार्थों की ‘‘बहुत करीबी’’ निगरानी कर रहा है। साथ ही, नयी दिल्ली से क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता के लिए रचनात्मक भूमिका निभाने का अनुरोध करता है।
अन्य न्यूज़