Non-Nuclear Hydrogen Bomb: इंसान को मोम की तरह पिघला देगा ये बम, ट्रंप टैरिफ-टैरिफ खेलते रह गए, इधर चीन ने किया ऐसा, दुनियाभर में हड़कंप

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अभिनय आकाश । Apr 21 2025 12:28PM

चीनी वैज्ञानिकों ने नॉन न्यूक्लियर हाइड्रोजन बॉम्ब का सफल परीक्षण किया है। ये दिखने में बेहद छोटा है, लेकिन असल में बेहद खतरनाक है। बिना न्यूक्लियर मैटेरियल के ये बम अब अमेरिका के टेंशन की वजह बन गया है। सिर्फ दो किलो वजनी इस बम ने एक हजार डिग्री सेल्शियस की गर्मी वाला एक आग का गोला बना दिया वो भी महज 2 सेकेंड के भीतर। सुनने में ये शायद थोड़ा छोटा लगे लेकिन इसका असर टीनएटी यानी पारंपरिक विस्फोट से कहीं ज्यादा भयानक है।

अमेरिका और चीन के संबंध उस स्तर पर पहुंच चुके हैं जहां बातचीत से ज्यादा धमकियों की गूंज सुनाई देती है। टैरिफ वॉर से शुरू हुआ विवाद अब टेक्नोलॉजिकल और मिलिट्री पावर की होड़ में तब्दील हो चुका है। इस दौड़ में चीन ने एक ऐसा दांव खेला है जिसने अमेरिका समेत दुनियाभर के होश उड़ा दिए हैं। जी हां, हम चीन के नए नॉन न्यूक्लियर हाइड्रोजन बॉम्ब की बात कर रहे हैं। चीनी वैज्ञानिकों ने नॉन न्यूक्लियर हाइड्रोजन बॉम्ब का सफल परीक्षण किया है। ये दिखने में बेहद छोटा है, लेकिन असल में बेहद खतरनाक है। बिना न्यूक्लियर मैटेरियल के ये बम अब अमेरिका के टेंशन की वजह बन गया है। सिर्फ दो किलो वजनी इस बम ने एक हजार डिग्री सेल्शियस की गर्मी वाला एक आग का गोला बना दिया वो भी महज 2 सेकेंड के भीतर। सुनने में ये शायद थोड़ा छोटा लगे लेकिन इसका असर टीनएटी यानी पारंपरिक विस्फोट से कहीं ज्यादा भयानक है।

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टीएनटी जहां सिर्फ 1-2 सेकेंड में खत्म हो जाता है। वहीं ये हाइड्रोजन बम सेकेंडों तक जलता है, फैलता है और अपने आसपास की हर चीज को तबाह कर देता है। इस बम को चीन के स्टेटशिप बिल्डिंग कॉरपोरेशन 705 रिसर्च इंस्टीत्यूट ने तैयार किया है। एससीएमपी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस डिवाइस में मैग्नीशियम-आधारित सॉलिड-स्टेट हाइड्रोजन स्टोरेज मटीरियल का इस्तेमाल किया गया है।  शोधपत्र में  वैज्ञानिकों ने बताया कि कैसे, मानक विस्फोटकों द्वारा ट्रिगर किए जाने पर, पदार्थ तेजी से टूट जाता है और हाइड्रोजन गैस छोड़ता है। यह गैस फिर प्रज्वलित होती है, जिससे एक तीव्र और निरंतर ज्वाला उत्पन्न होती है। इस तरह के तंत्र का उपयोग इसकी सघनता और ऊर्जा घनत्व के कारण उच्च ऊर्जा प्रणोदन प्रणालियों या उन्नत हथियारों में संभावित रूप से किया जा सकता है। 

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चीन के वैज्ञानिकों का दावा है कि ये बम कम खर्च में कम रेडिएशन के जोखिमों के साथ ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। इसका सीधा सा मतलब है कि चीन अब परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किए बिना भी एक तरह से सुपर वेपन बना रहा है। चीन इस नए हथियार के जरिए कई निशाने एक साथ साधने की कोशिश में है। जिससे ना तो किसी अंतरराष्ट्रीय संधि का उल्लंघन हो और ना ही दुश्मन पर बड़ा हमला करने के लिए विक्लपों की कमी रहे। माना जाता है कि शोधकर्ताओं ने इस उपकरण के सैन्य उपयोग का भी पता लगाया है, खासकर जब स्थिति की मांग हो कि एक बड़े क्षेत्र को तीव्र गर्मी से कवर किया जाए और उच्च-मूल्य वाले लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए इसकी शक्ति को केंद्रित किया जाए। 

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यह स्पष्ट नहीं था कि परीक्षण में इस्तेमाल की गई बड़ी मात्रा में मैग्नीशियम हाइड्राइड कहाँ से आया। पेपर में उन संभावित परिदृश्यों का भी उल्लेख नहीं किया गया है जहाँ चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी वास्तव में इन हथियारों को तैनात कर सकती है। अब, चीन ने शांक्सी में एक बड़ी फैक्ट्री बनाई है जो हर साल 150 टन इस सामग्री का उत्पादन कर सकती है। चीनी विज्ञान अकादमी के अनुसार, फैक्ट्री में वन-पॉट सिंथेसिस नामक एक विशेष विधि का उपयोग किया जाता है जो उत्पादन को सस्ता और सुरक्षित बनाती है। 

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