चीन, पाकिस्तान ने आर्थिक गलियारे में दिलचस्पी रखने वाले अन्य देशों को भी दिया न्योता
चीन और पाकिस्तान ने दोनों देशों के बीच बन रहे अरबों डॉलर के आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का हिस्सा बनने में दिलचस्पी रखने वाले दूसरे देशों को इसका न्योता देते हुए कहा है कि यह आपसी सहयोग का एक खुला एवं समावेशी मंच है।
इस्लामाबाद। चीन और पाकिस्तान ने दोनों देशों के बीच बन रहे अरबों डॉलर के आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) का हिस्सा बनने में दिलचस्पी रखने वाले दूसरे देशों को इसका न्योता देते हुए कहा है कि यह आपसी सहयोग का एक खुला एवं समावेशी मंच है। वर्ष 2013 में शुरू हुआ यह आर्थिक गलियारा पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिनझियांग क्षेत्र में स्थित काशगर से जोड़ने वाला है। इसके जरिये दोनों देश ऊर्जा, परिवहन एवं औद्योगिक सहयोग करेंगे। सीपीईसी के अंतरराष्ट्रीय सहयोग एवं समन्वय संबंधी संयुक्त कार्य समूह की शुक्रवार को तीसरी बैठक वर्चुअल माध्यम से हुई
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इसमें दोनों देशों ने आर्थिक गलियारे का हिस्सा बनने की दिलचस्पी रखने वाले अन्य देशों को भी शामिल होने का न्योता दिया। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान के मुताबिक, विदेश सचिव सोहैल महमूद और चीन के सहायक विदेश मंत्री वू जियानझाओ ने इस कार्यसमूह की बैठक की संयुक्त रूप से अध्यक्षता की। इस दौरान सीपीईसी से जुड़ी परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा किए जाने के अलावा साझा रूप से सहमत हुए क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के मुद्दे पर भी चर्चा की गई। बैठक में कहा गया कि चीन की महत्वाकांक्षी योजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत शुरू की गई सीपीईसी परियोजना ने खासकर अफगानिस्तान के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय संपर्क को सशक्त करने में नया मुकाम हासिल किया है।
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पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘दोनों ही पक्षों ने एक खुले एवं समावेशी मंच के तौर पर सीपीईसी से लाभान्वित होने में दिलचस्पी रखने वाले तीसरे पक्षों का स्वागत किया।’’ चीन और पाकिस्तान के बीच के इस आर्थिक गलियारे का भारत खुलकर विरोध करता रहा है। भारत इस गलियारे के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरने के आधार पर इसका विरोध करता आ रहा है।
पाकिस्तान के विदेश सचिव ने सीपीईसी में हुई प्रगति पर संतोष जताते हुए कहा कि चीन और पाकिस्तान की दोस्ती बहुत गहरी है और यह परियोजना दोनों देशों के बीच की गहराई तक पैठ वाली आपसी सद्भावना को दर्शाती है। हालांकि तमाम पश्चिमी विश्लेषकों का मानना है कि सीपीईसी दरअसल पाकिस्तान को चीन के आर्थिक नियंत्रण में लेने का एक जरिया है और आगे चलकर पाकिस्तान कर्ज के भारी बोझ तले दब सकता है।
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