Trump के टैरिफ से घबराया चीन पहुंचा 3 देशों के दरवाजे पर, भारत भी आएंगे जिनपिंग?

इस यात्रा का उद्देश्य चीन के कुछ सबसे करीब पड़ोसियों के साथ संबंधों को और मजबूत करने का है। ये यात्रा अमेरिका के साथ व्यापार तनाव के बढ़ने के बीच में हो रही है। जो इसे और भी महत्वपूर्ण बना रही है।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस समय बैठकों में उलझे हुए हैं। ट्रंप के 145 % के टैरिफ के बाद चीन में बड़ी बड़ी बैठकें हो रही हैं। इकोनॉमिक एडवाइजर अपने स्तर पर चीनी प्रशासन को नसीहत दे रही है। लेकिन इधर ट्रंप की आफत कहर बनकर चीन पर टूटने के लिए अभी भी तैयार है। इसी बीच एक ऐसी खबर सामने आ रही है, जिसके बाद चीन का ट्रंप के फैसलों पर जवाब देने का रास्ता समझ में आ जाएगा। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अगले सप्ताह तीन देशों के दक्षिण पूर्व एशिया दौरे पर जाएंगे। एक साथ तीन देशों का दौरा करने के लिए जिनपिंग बहुत जल्द रवाना होने वाले हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि बैठक का फैसला बहुत जल्दी में लिया गया। ऐसे समय में जब ट्रंप टैरिफ पॉलिसी को लेकर लगातार चीन पर सख्त हो रहे हैं।
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इस यात्रा का उद्देश्य चीन के कुछ सबसे करीब पड़ोसियों के साथ संबंधों को और मजबूत करने का है। ये यात्रा अमेरिका के साथ व्यापार तनाव के बढ़ने के बीच में हो रही है। जो इसे और भी महत्वपूर्ण बना रही है। जिन देशों का नाम सामने आ रहा है, उनमें वियतनाम, मलेशिया और कंबोडिया शामिल है। वियतनाम, मलेशिया और कंबोडिया पर भी ट्रंप के टैरिफ का असर होगा। हालांकि ये तीनों ही देश अमेरिका के साथ लगातार संपर्क में हैं। ट्रंप के टैरिफ पॉलिसी से खुद को बचाने में लगे हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने इस साल पदभार संभालने के साथ ही सिलसिलेवार तरीके से लगातार चीन पर टैरिफ को बढ़ाया है। अब ये टैरिफ 145 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। बड़ी बात ये है कि ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ से प्रभावित कुछ देशों में वियतनाम, मलेशिया और कंबोडिया भी शामिल है। कंबोडिया पर जहां 49 प्रतिशत का टैरिफ लगा है, वहीं वियतनाम पर 46 प्रतिशत का टैरिफ है। मलेशिया पर 24 प्रतिशत का टैरिफ लगाया गया है।
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पहले से ही राहत के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका से संपर्क करने की पहल ये तीनों ही देश पहले ही कर चुके हैं। जिससे चीन द्विपक्षीय बातचीत में एक अलग देश बन चुका है। चीन अमेरिका और इन आसियान देशों के साथ हो रही बैठक से बहुत दूर जा चुका है। चीन इसी दूरी को पाटने की कोशिश में है और सबसे पहले अपने पड़ोसियों को साधने में लग चुका है। माना जा रहा है कि भारत ने सहयोग संबंधी चीन के आह्वान को तवज्जो नहीं दी है। वहीं चीन का करीबी देश रूस पूरे परिदृश्य में कहीं नहीं है।
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