Canada-India का विवाद, पाकिस्तान की फसाद, खालिस्तानियों और ISI के नापाक गठजोड़ का हुआ खुलासा, प्रदर्शन को लेकर बनाया ये प्लान
आईएसआई चाहता है कि खालिस्तानियों की मदद के लिए पाकिस्तानी नागरिक अपनी पहचान छिपा कर प्रदर्शनों में शामिल हों, जिससे किसी को पाकिस्तानियों के इस भीड़ में शामिल होने का शक न हो।
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक पाकिस्तान का आईएसआई खालिस्तानियों की मदद कर रहा है। आईएसआई खालिस्तान के साथ मिलकर तैयारी कर रहा है। सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान भारत-कनाडा का फायदा उठाने की फिराक में है। इसके लिए आईएसआई की तरफ से भड़काउ पोस्टर भी तैयार किए जा रहे हैं। कनाडा के ओटावा समेत दूसरे शहरों में स्थित भारतीय दूतावासों के सामने खालिस्तानियों के प्रदर्शनों में आईएसआई ने कनाडा में रह रहे पाकिस्तानियों को शामिल होने के लिए कहा है। आईएसआई ने अपने फरमान में पाकिस्तानियों से पहचान को छिपाकर खालिस्तानियों की भीड़ में शामिल होने के लिए कहा है।
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पाकिस्तानियों को पहचान छिपा भीड़ में शामिल होने के निर्देश
आईएसआई चाहता है कि खालिस्तानियों की मदद के लिए पाकिस्तानी नागरिक अपनी पहचान छिपा कर प्रदर्शनों में शामिल हों, जिससे किसी को पाकिस्तानियों के इस भीड़ में शामिल होने का शक न हो। इसके साथ ही कनाडा में आईएसआई के एजेंट खालिस्तानियों की मदद के किये भारत के खिलाफ भड़काऊई पोस्टर और बैनर तैयार करने में भी खआलिस्तानियों की सहायता कर रहे हैं।
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झूठे नैरेटिव गढ़ने में लगा
खालिस्तानी अलगाववाद की वकालत करने के इतिहास वाले सिख संगठन दल खालसा के विरोध प्रदर्शन का एक पुराना वीडियो व्यापक रूप से साझा किया गया था। कथित तौर पर यह विरोध ट्रूडो के आरोपों की प्रतिक्रिया थी। 19 सितंबर को शाम 6 बजे के आसपास द इंटेल कंसोर्टियम नाम से संचालित होने वाले @IntelPk_ नाम के एक ट्विटर अकाउंट ने सबसे पहले इस पुराने वीडियो क्लिप को पोस्ट किया था, जिसमें अमृतसर में चल रहे विरोध प्रदर्शन का झूठा सुझाव दिया गया था। ट्वीट में दावा किया गया कि कनाडा में हरदीप सिंह निज्जर की दुखद हत्या के जवाब में अमृतसर में रॉ कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। सिख जोश के साथ खालिस्तान के समर्थन में नारे लगा रहे हैं। प्रकाश कुमार भील उपनाम के तहत ट्विटर अकाउंट @Dalitofficial को यह दावा करने के बाद हटा दिया गया है कि राष्ट्रपति भवन में सिख सुरक्षा कर्मियों को बदल दिया गया था और भारतीय सेना ने सिख सैनिकों को छुट्टी के अनुरोध से इनकार कर दिया था।
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