मालदीव में भारत-विरोधी आंदोलन, जानें कैसे 'इंडिया आउट' और 'इंडिया फर्स्ट ' के बीच फंसा एक हजार से ज्यादा द्वीपों वाला देश

मालदीव में कई हफ्तों से भारत विरोधी प्रदर्शन चल रहे हैं और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के बरी होने से ये और तेज हो गए हैं। यामीन के बरी होने से मालदीव-भारत संबंधों पर असर पड़ने की उम्मीद थी, विशेष रूप से इन विरोधों के लिए उनके खुले समर्थन के संदर्भ में, 'इंडिया आउट' आंदोलन के तहत हो रहे हैं।
दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत और दुनिया के सबसे नए लोकतंत्रों में से एक मालदीव के बीच संबंध छोड़े बिगड़ते दिखाई दे रहे हैं। मालदीव मेन लैंड इंडिया से लगभग 1200 किलोमीटर दूर है और भारत के केंद्र शासित प्रदेश लक्ष्यद्वीप से लगभग 700 किलोमीटर की दूरी पर है। जहां एक कैंपेन इन दिनों खूब सुर्खियों में है। एक हज़ार से ज़्यादा द्वीपों वाले मालदीव में विपक्ष समर्थित 'इंडिया आउट' कैंपेन हो रहा है। मालदीव में कई हफ्तों से भारत विरोधी प्रदर्शन चल रहे हैं और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के बरी होने से ये और तेज हो गए हैं। यामीन के बरी होने से मालदीव-भारत संबंधों पर असर पड़ने की उम्मीद थी, विशेष रूप से इन विरोधों के लिए उनके खुले समर्थन के संदर्भ में, जो 'इंडिया आउट' आंदोलन के तहत हो रहे हैं।
कौन हैं यामीन जिनके लौटने से 'इंडिया आउट' कैंपेंन हुआ तेज
भारतीय प्रायद्वीप तीन तरफ से समुद्र से घिरा है। इसके दक्षिणी क्षेत्र को देखें तो लक्ष्यद्वीप से नजदीक हजारों द्विपों से घिरा देश मालदीव है। इस पूरी कहानी के दो किरदार है। पहले का नाम है पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन और दूसरे किरदार वर्नातमान के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह। अब्दुल्ला जिस पार्टी से संबंधित हैं उसका नाम पीपीएम है। 2013 से 2018 तक मालदीव के राष्ट्रपति रहने वाले यामीन मालदीव के 'इंडिया आउट' आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। यामीन का चीन प्रेम जगजाहिर रहा है। 2018 में वह चुनाव हार गए थ। बाद में उन्हें हवालेबाजी और एक अरब डॉलर के सरकारी धन का दुरुपयोग करने का दोषी पाया गया। इसके लिए 2019 में यामीन को पांच साल की सजा हुई थी। कोविड-19 के कारण उनकी जेल की सजा को घर में नजरबंदी में तब्दील कर दिया गया। यामीन के रिहा होने के कुछ ही दिन बाद 'इंडिया आउट' आंदोलन ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है।
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क्या है पूरा विवाद
मालदीव एक मुस्लिम बहुल राष्ट्र है जहां सुन्नी मुस्लिम बहुतायत में पाए जाते हैं। यामीन दो कार्ड खेलते नजर आ रहे हैं। धार्मिक और सुरक्षा की भावना को भड़का यामीन भारत के खिलाफ माहौल बनाना चाहते हैं। यामीन का कहना है कि हम भारत को यहां से निकलवाना चाहते हैं। मालदीव में भारत को लेकर प्रमुख विवाद भारतीय नौसेना के बेड़ों की मौजूदगी को लेकर है। वहां भारतीय नौसेना का एक डोर्नियर विमान और दो हेलीकॉप्टर हैं जो 200 यहां-वहां फैले छोटे द्वीपों से मुख्यतया मरीजों को इलाज के लिए अस्पतालों तक पहुंचाने का काम करते हैं। मालदीव में भारत विरोधी अभियानों की शुरुआत 2018 में हुई थी जब अब्दुल्ला यामीन ने अपने देश से भारत के सैन्य अधिकारी और उपकरणों को ले जाने को क्या था। थे। मालदीव का तब कहना था कि अगर भारत ने इसे उपहार में दिया है तो इस पर पायलट भारत के नहीं बल्कि मालदीव के होने चाहिए। इस मुद्दे ने तब देश में खूब जोर पकड़ा था और लोग सड़कों पर उतर आए थे।
इब्राहिम की इंडिया फर्स्ट नीति
द हिन्दू अखबार से इब्राहिम सोलिह का साक्षात्कार लिया और इस दौरान भारत को लेकर नजरिए के बारे में पूछा। जिसके जवाब में सोलिह ने कहा कि हमारा विचार भारत फस्ट है। हर मसले में वो अन्य देशों के मुकाबले भारत को तरजीह देते हैं। एक प्रकार से कहा जाए तो सोलिह को भारत समर्थित नीतियों के लिए जाना जाता है। सोलिह ने भारत को अपना "सबसे करीबी सहयोगी और विश्वसनीय पड़ोसी” बताया था। भारत के राजदूत मुनू महावर के एक कार्यक्रम में सोलिह के साथ नजर आने के बाद राष्ट्रपति की ओर से यह बयान जारी किया गया।
भारत के लिए क्यों अहम है मालदीव
मालदीव भारत के लिए हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ठिकाना है। यह एक छोटा देश है लेकिन यहां के लोग राष्ट्रीय गौरव को बहुत अहमियत देते हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने मालदीव में लाखों डॉलर के कई निवेश किए हैं, जो देश के सबसे बड़े निवेशकों में से एक बन गया है। भारत के विदेश मंत्रालय ने 6 जनवरी को एक ब्रीफिंग में कहा, "मालदीव के साथ भारत के संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं, घनिष्ठ और बहुआयामी हैं... मालदीव सरकार द्वारा इस साझेदारी की पारस्परिक रूप से लाभकारी प्रकृति की पुष्टि की गई है। भारत मालदीव के साथ अपने पारंपरिक रूप से मैत्रीपूर्ण संबंधों को गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पीपीएम आगामी चुनावों में सत्ता में आती है, तो हो सकता है कि वे यामीन ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान जो किया, उसे दोहराने में सक्षम न हों। आखिरकार मालदीव को भारत से सहायता की आवश्यकता है। मालदीव सार्क का भी सदस्य है और खाड़ी देशों से ऊर्जा संसाधनों की सारी सप्लाई इसी के आसपास से होकर गुजरती है। इसलिए अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश मालदीव को खासी अहमियत देते हैं। 2020 में अमेरिका ने मालदीव के साथ बड़ा रक्षा समझौता किया था जिसका भारत ने भी स्वागत किया था।
“This is unacceptable. We want to know what exact riot the police are saying that we have planned here. This is a peaceful rally, we want our voices to be heard, the world should know that we want Indian military in the Maldives to leave our country” - @Shayaan_mv #IndiaOut pic.twitter.com/ePzSWNBoKt
— PPM Youth Movement - Official (@ppmyouths) December 19, 2021
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