महारानी के निधन के बाद वकीलों के शाही खिताब समेत ब्रिटेन की कई चीजों में होगा बदलाव
ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद देश के 2,400 से ज्यादा शीर्ष वकीलों के आधिकारिक ‘टाइटल’ बदल गए हैं। इन वकीलों के नाम के आगे “क्वींस काउंसल” लिखा जाता है। बीबीसी के अनुसार, यह सम्मान देने की व्यवस्था महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने की थी।
ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद देश के 2,400 से ज्यादा शीर्ष वकीलों के आधिकारिक ‘टाइटल’ बदल गए हैं। इन वकीलों के नाम के आगे “क्वींस काउंसल” लिखा जाता है। बीबीसी के अनुसार, यह सम्मान देने की व्यवस्था महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने की थी। जैसे ही पूर्व प्रिंस ऑफ वेल्स, राजा चार्ल्स तृतीय बने वैसे ही उक्त सभी वकील “किंग्स काउंसल” हो गए। यह ब्रिटेन में होने वाले कई प्रतीकात्मक बदलावों में से एक है।
इंग्लैंड और वेल्स के सभी बैरिस्टरों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था बार कॉउन्सिल के प्रमुख मार्क फेनहॉल्स ने कहा, “बार ऑफ इंग्लैंड और वेल्स की जनरल कॉउन्सिल के अधिकारी, सदस्य और कर्मचारी तथा कानूनी पेशे से जुड़े अन्य लोग देश की सबसे समर्पित लोक सेविका के निधन पर शोकाकुल हैं।” उन्होंने कहा, “अपने शासनकाल के दौरान महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने उस शख्सियत की भूमिका को प्रतीकात्मक ढंग से बखूबी निभाया जिसके नाम से न्याय प्रणाली काम करती है।”
टेलीग्राफ की खबर के अनुसार, राजा चार्ल्स तृतीय के शासन की शुरुआत होने के साथ ही, राष्ट्रगान से लेकर मुद्रा तक, महारानी के नाम से चलने वाले प्रतीकों में बदलाव देखने को मिलेगा। खबर में कहा गया कि बैंक नोट, सिक्कों, पोस्ट बॉक्स, डाक टिकटों आदि पर पहले महारानी का चित्र होता था जिसे बदलकर अब राजा चार्ल्स तृतीय की तस्वीर लगाई जाएगी। इस प्रक्रिया में कई साल लग सकते हैं। ब्रिटेन के राष्ट्रगान में “गॉड सेव द क्वीन” के स्थान पर “गॉड सेव द किंग” किया जाएगा।
राजा चार्ल्स को अब पासपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ेगी और उनके नाम से ब्रिटेन के लोगों के पासपोर्ट जारी किये जाएंगे। राजा चार्ल्स को अब अपने व्यक्तिगत ध्वज का भी चयन करना होगा। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 1960 में अपना ध्वज चुना था जिसमें स्वर्णिम अंग्रेजी के अक्षर ‘ई’ के साथ मुकुट और गुलाब आदि बने थे। वह राष्ट्रमंडल देशों में दौरे के दौरान इसका इस्तेमाल करती थीं। इसके अलावा जिस वाहन या भवन में महारानी होती थीं उसके ऊपर उनका ध्वज होता था। महारानी के अलावा उनके ध्वज का उपयोग कोई और नहीं कर सकता था।
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