1.82 अरब रुपये...ट्रंप के दोस्त ने अब भारत को दिया कौन सा नया झटका? मोदी के अमेरिका से लौटते ही उठा लिया बड़ा कदम

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ANI
अभिनय आकाश । Feb 17 2025 11:57AM

अमेरिका ये पैसा भारत को क्यों देता था और इस रोक से भारत पर क्या असर पड़ेगा। बीजेपी आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने पूछा कि वोटर्स को मतदान के लिए 21 मिलियन डॉलर ?

अमेरिकी सरकार ने भारत को मिलने वाली 1.82 अरब रुपए की मदद पर रोक लगा दी है। ये सहायता राशि भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए दी जा रही थी। लेकिन अब इसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। इस फैसले के पीछे अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप सरकार की नीतियां और एलन मस्क के नेतृत्व में चल रहे सरकारी दक्षता विभाग डीओजीई की सख्ती जिम्मेदार मानी जा रही है। डीओजीई ने एक्स पर एक पोस्ट में इसकी घोषणा की। फंड जहां खर्च होता था, उसकी लिस्ट जारी करते हुए डीओजीई ने लिखा कि अमेरिकी करदाताओं का फंड इन कार्यक्रमों पर। खर्च होना था, इन्हें रद्द कर दिया गया है। दुनियाभर के देशों में चुनाव और लोकतंत्र की मजबूती के लिए 486 मिलियन अमेरिकी डॉलर का फंड बना था, जिसमें से भारत को 21 मिलियन डॉलर मिलते थे। बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता के लिए भी 29 मिलियन डॉलर और नेपाल को 19 मिलियन डॉलर का फंड भी रोका गया है। 

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भारत की चुनावी प्रक्रिया में यह बाहरी हस्तक्षेप  

जिसके बाद से सवाल उठ रहे हैं कि अमेरिका ये पैसा भारत को क्यों देता था और इस रोक से भारत पर क्या असर पड़ेगा। बीजेपी आईटी  सेल के चीफ अमित मालवीय ने पूछा कि वोटर्स को मतदान के लिए 21 मिलियन डॉलर ? लाभार्थी कौन था? यह निश्चित रूप से भारत की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप है। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका  ने जो फंडिंग रद्द की, वह यूपीए सरकार की ओर इशारा करती है।  

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अमेरिका में कुर्सी संभालने के बाद प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (डीओजीई ) बनाया, जिसकी जिम्मेदारी एलन मस्क को दी। जिन्होंने सरकार के कई गैर जरूरी खर्च की समीक्षा शुरू की। इसी प्रक्रिया में भारत को दी जाने वाली मदद को भी बंद कर दिया गया।  अमेरिका में 14 राज्यों ने राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और इलॉन मस्क के खिलाफ केस दर्ज किया है। इसमें डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशियंसी (DOGE) के प्रमुख के रूप में मस्क की भूमिका को चुनौती दी गई है। उन पर 'अराजकता का एजेंट' होने का आरोप लगाया गया है। इन राज्यों ने तर्क दिया है कि DOGE प्रमुख के रूप में उनके अधिकार संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान का उल्लंघन है। 

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