एक ऐसा पेड़ जो लगता है बिल्कुल बोतल की तरह!

आपने भी बहुत से पेड़−पौधों को देखा व उनकी खासियतों के बारे में सुना होगा लेकिन क्या आप किसी ऐसे पेड़ के बारे में जानते हैं, जिसे देखकर ही आपको किसी बोतल की याद आ जाए।
कहते हैं कि प्रकृति के रहस्यों के बारे में जान पाना मनुष्य के लिए बेहद मुश्किल है। शायद यही कारण है कि वैज्ञानिक सालों से शोध कर रहे हैं और उन्हें हर जगह कुछ न कुछ अलग दिख जाता है। प्रकृति भी इतनी विशाल, रहस्यमयी व विविध है कि इसके बारे में जितना जानते हैं, वह कम ही है। आपने भी बहुत से पेड़−पौधों को देखा व उनकी खासियतों के बारे में सुना होगा लेकिन क्या आप किसी ऐसे पेड़ के बारे में जानते हैं, जिसे देखकर ही आपको किसी बोतल की याद आ जाए। दरअसल, इस पेड़ की सरंचना कुछ ऐसी है कि इसे देखने पर आभास होता है कि मानो पेड़ की जड़ें ऊपर और तना नीचे हो। इसके इसी उल्टा दिखने व बोतल का आभास देखने के कारण इसे बोतल टी या बाओबाब वृक्ष कहा जाता है।
आस्ट्रेलिया और मेडागास्कर में पाए जाने वाले बाओबाब को अनेक नामों से जाना जाता है। इसके अन्य नामों मे बोआब, बोतल वृक्ष, उल्टा पेड व बंदर रोटी पेड़ भी कहा जाता है। चूंकि इसके फल बंदरों को बहुत अच्छे लगते हैं, इसलिए इनका नाम बंदर रोटी पेड़ पड़ गया। अरबी में इसे बु−हिबाब कहा जाता है जिसका अर्थ है−कई बीजों वाला पेड़। इसकी उंचाई 5 से 30 मीटर तक हो सकती है। इसके तने का व्यास 7 से 11 मीटर तक हो सकता है। इसमें जल संग्रह की अद्भुत क्षमता होती है। इसके तने में हजारों लीटर शुद्ध पानी भरा रहता है जो वर्षा के अभाव वाले महीनों में पीने के काम आता है। इसके तने की भीतरी छाल फाईबर जैसी होती है जिससे कागज, कपड़े, रस्सी, मछली पकड़ने के जाल, धागे, बास्केट और कंबल जैसी कई वस्तुएं बनाई जाती हैं। यह एक पर्णपाती वृक्ष है। इस पेड़ पर पत्ते साल में सिर्फ छह महीने लगते हैं। बाकी समय में यह एक ठूंठ की भांति दिखाई देता है। बाओबाब की छाल में 40 प्रतिशत तक नमी होती है और इसी वजह से यह जलाने के काम नहीं आती। इस वृक्ष की गिनती दीर्घायु वाले वृक्षों में की जाती है। इनकी उम्र 500 साल से 6000 साल तक होती है। इस वृक्ष की लकड़ी में वृद्धि वलयों का अभाव होता है इसलिए इसकी वास्तविक आयु का पता लगाने के लिए कार्बन काल निर्धारण पद्धति की मदद ली जाती है।
बाओबाब के पेड़ पर पहली बार फूल पेड़ की आयु के 20वें वर्ष में अप्रैल से मई के बीच लगते हैं। फूलों का रंग सफेद व आकार लगभग 12 सेमी तक होता है। यह अल्पायु पुष्प रात्रि में ही खिलते हैं। भले ही इन फूलों की अवधि कम हो लेकिन यह बहुत उपयोगी होते हैं। इनके फलों से कई तरह की दवाईयां बनाई जाती हैं। वहीं इन फूलों के पराग कणों से गोंद भी बनाया जाता है। इस फल को सुखाने के बाद चूरा बनाया जाता है और इसे पानी में मिलाने से नींबू जैसा खट्टा स्वास्थ्यवर्धक पेय बनता है। एक फल में तकरीबन 30 बीज होते हैं और बीजों से भी कई तरह की दवाईयां, गोन्द, कच्चा तेल और साबुन बनाया जाता है। वहीं इसके पत्तों में काफी मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है, अफ्रीका में इन पत्तों का प्रयोग सब्जी की तरह किया जाता है। साथ ही इन्हें उबालकर डिटर्जेंट पाउडर भी बनाया जा सकता है।
बाओबाब का अफ्रीका के आर्थिक विकास में काफी योगदान होने की वजह से अफ्रीका ने इसे द वर्ल्ड टी की उपाधि प्रदान की है। साथ ही साथ लगातार घटती इनकी संख्या के कारण इसे एक संरक्षित वृक्ष भी घोषित किया गया है।
- मिताली जैन
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