रिगर मॉर्टिस क्या है, जानिए आखिर यह क्यों होता है?

rigor mortis
कंचन सिंह । Aug 15 2020 5:09PM

आमतौर पर जब किसी की नाड़ी, दिल की धड़कन और सांसे रुक जाती है तो डॉक्टर उसे मृत घोषित कर देता है, लेकिन इसके बाद भी कई घंटों तक मृतक के शरीर में बदलाव होते रहते हैं। पहले तो सारी मांसपेशियां ढीली पड़ जाती हैं, जबड़ा खुल जाता है।

जो इस दुनिया में आया है उसे एक दिन जाना ही होता है, मौत की सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता है, लेकिन क्या आपको पता है कि मरने के बाद व्यक्ति के शरीर में कुछ बदलाव आते हैं और उसके आधार पर विज्ञान में उसे अलग-अलग चरणों में बांटा गया है। मृत्यु के बाद का तीसरा चरण है रिगर मॉर्टिस का जिसमें मृतक का शरीर कठोर हो जाता है। ऐसा क्यों होता है जानिए यहां।

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क्या है रिगर मॉर्टिस?

आमतौर पर जब किसी की नाड़ी, दिल की धड़कन और सांसे रुक जाती है तो डॉक्टर उसे मृत घोषित कर देता है, लेकिन इसके बाद भी कई घंटों तक मृतक के शरीर में बदलाव होते रहते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, पहले तो सारी मांसपेशियां ढीली पड़ जाती हैं, जबड़ा खुल जाता है। उसके कुछ देर शरीर ठंडा पड़ने लगता है। मरने के दो घंटे बाद तक भी व्यक्ति की आंखों को रोशनी बची रहती है। इसके बाद मृत्यु की तीसरी प्रक्रिया जो करीब 3 घंटे बाद शुरू होती है उसमें शरीर में होने वाले रासायनिक परिवर्तन के कारण मांसपेशियां कठोर होने लगती हैं जिससे मृतक के हाथ-पैर अकड़ जाते हैं इसी प्रक्रिया को रिगर मॉर्टिस कहते हैं। इस प्रक्रिया में सबसे पहले पलके, जबड़े और गर्दन की मांसपेशियां कठोर होती है, उसके बाद चेहरे, छाती, हाथ और पैर की मांसपेशियों पर प्रभाव पड़ता है। चिकित्सकों के मुताबिक, रिगर मॉर्टिस की वजह से मृत्यु के करीब 12 घंटे बाद पूरे शरीर की अधिकांश मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं।

क्यों होता है रिगर मॉर्टिस?

विशेषज्ञों के मुताबिक, रिगर मॉर्टिस मसल्स में होने वाले केमिकल बदलावों की वजह से होता है। जब व्यक्ति जिंदा होता है तो चलने, बात करने जैसी क्रिया में मांसपेशियों का इस्तेमाल करता है, इस दौरान मांसपेशियों में संकुचन होता रहता है। यह संकुचन रासायनों के आदान-प्रदान के कारण होता है। जब व्यक्ति आराम करता है तो मांसपेशियां कैल्शियम आयन को बाहर निकाल देती हैं। यह आयन एक्टिन और मायोसिन फिलामेंट्स के साथ प्रतिक्रिया करते हैं जिससे मांसपेशियों में संकुचन होता है। यह संकुचन तब तक होता रहता है जब तक कि एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट मायोसिन से नहीं जुड़ जाता। यह सारी प्रक्रिया ऑक्सीजन के कारण होती हैं और मरने के बाद जब ऑक्सीजन सप्लाई बंद हो जाती है तो मांसपेशियों में होने वाली रासायनिक प्रतिक्रियाएं भी रुक जाती हैं जिसके परिणामस्वरूप शरीर में बदलाव आने लगता है और वह कठोर हो जाता है।

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रिगर मॉर्टिस का एक अन्य कारण तापमान को भी माना गया है। हेल्थ एक्सपर्टस के अनुसार, गर्म वातावरण में मरने वाले व्यक्ति के शरीर में रासायनिक बदलाव ठंडे स्थान पर मरने वाले व्यक्ति की तुलना में अधिक तेज़ी से होता है। आमतौर पर रिगर मॉर्टिस की प्रक्रिया मरने के कुछ घंटों बाद शुरू होती है और 1 से 4 दिनों में खत्म हो सकती है।

- कंचन सिंह

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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