Health Tips: बच्चों में कमजोर इम्य़ूनिटी होने पर दिखाई देते हैं ऐसे लक्षण, पेरेंट्स ना करें अनदेखा

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पेरेंट्स को बच्चे की कमजोर इम्यूनिटी के लक्षणों को पहचानना चाहिए। इसके लिए आपको बच्चों के अंदर होने वाले उन लक्षणों को पहचानना होता है। जिससे उनकी कमजोर इम्यूनिटी के बारे में पता चलता है।

मौसम में बदलाव होते ही कई बच्चे बीमार पड़ जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि बच्चे की इम्यूनिटी कमजोर होती है। लेकिन कई पेरेंट्स को यह बात पता ही नहीं होती है, वहीं बच्चे बार-बार बीमार पड़ते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को बच्चे की कमजोर इम्यूनिटी के लक्षणों को पहचानना चाहिए। इसके लिए आपको बच्चों के अंदर होने वाले उन लक्षणों को पहचानना होता है। जिससे उनकी कमजोर इम्यूनिटी के बारे में पता चलता है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको कमजोर इम्यूनिटी के लक्षणों और संकेतों के बारे में बताने जा रहे हैं। 

बार-बार बीमार पड़ना

अगर आपका भी बच्चा बार-बार बीमार पड़ रहा है। बच्चे की तबियत यदि अक्सर खराब रहती हैं, तो पेरेंट्स को समझ जाना चाहिए कि उसकी इम्यूनिटी कमजोर है। क्योंकि बच्चा जब बार-बार बीमार पड़ता है, तो इसका मतलब है कि उसकी एंटीबॉडी रोग से लड़ने में सक्षम नहीं है। हालांकि बच्चों को साल में 3-4 बार जुकाम होना आम बात है। लेकिन इससे ज्यादा बार बच्चे का बीमार पड़ना उसकी कमजोर इम्यूनिटी की ओर इशारा करता है। 

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कमजोर पाचन तंत्र

अगर आपके बच्चे का भी पेट अक्सर खराब रहता है, या फिर पेट संबंधित किसी न किसी परेशानी से परेशान रहता है। तो यह उसकी कमजोर इम्यूनिटी की ओर संकेत करता है। इम्यूनिटी कमजोर होने पर बच्चे को गैस, कब्ज आदि की शिकायत बनी रहती है। क्योंकि पेट में अच्छे व बुरे दोनों तरह के बैक्टीरिया पाए जाते हैं। जो बैक्टीरिया पाचन तंत्र को स्वस्थ रखते हैं, उनको गुड बैक्टीरिया कहा जाता है। गुड बैक्टीरिया संक्रमण से लड़ने में मददगार साबित होता है। ऐसे में अगर बच्चा किसी भी तरह की संक्रमण की चपेट में आता है, तो यह साफ है कि उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है।

बार-बार संक्रमण होना

आमतौर पर बच्चे आसानी से संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। ऐसे में अगर आपके बच्चे को भी बार-बार संक्रमण हो रहा है। तो यह उसके स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। क्योंकि बच्चे को बार-बार संक्रमण नहीं होना चाहिए। इससे यह साफ पता चलता है कि बच्चे की इम्यूनिटी कमजोर है। कमजोर इम्यूनिटी के कारण बच्चे को अस्थमा, निमोनिया, साइनसाइटिस और कान में इंफेक्शन जैसी बीमारियां हो जाती है। ऐसे में पेरेंट्स को इस बात की भी जानकारी होना जरूरी है कि यदि बच्चे की एंटीबॉडी मजबूत नहीं होगी। तो उसको इंफेक्शन से बचाना मुश्किल होगा। इसलिए बच्चे की इम्यूनिटी को बूस्ट करने पर ध्यान देना चाहिए।

अक्सर थकान महसूस करना

अगर आपका बच्चा थोड़ी देर खेलने के बाद, सीढ़ियां चढ़कर या फिर थोड़ा सा दौड़ने-भागने में थकान महसूस करने लगता है। तो पेरेंट्स को समझ जाना चाहिए कि बच्चे की इम्यूनिटी कमजोर है। जिन बच्चों की इम्यूनिटी कमजोर होती है, वह अपना अधिकतर समय बैठे-बैठे गुजार देते हैं। क्योंकि इस तरह के बच्चों में फिजिकल एक्टिविटी काफी कम होती है। ऐसे में पेरेंट्स को चाहिए कि वह अपने बच्चे को एक्टिव रखने का प्रयास करें और उन्हें एनर्जेटिक बनाएं। बच्चे को एनर्जेटिक बनाए रखने के लिए आप उनकी डाइट में हेल्दी फ्रूट्स और सब्जियां शामिल करें।

चोट ठीक होने में समय लगना

बता दें कि जिन बच्चों की इम्यूनिटी कमजोर होती है। उनकी चोट को सही होने में समय लगता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो यदि बच्चे की चोट को सही होने में ज्यादा समय लगता है, तो इसके पीछे उनकी कमजोर इम्यूनिटी हो सकती है। क्योंकि अगर बच्चे की चोट आदि सही होने में अधिक समय लगता है, तो वह चोट संक्रमण में भी बदल सकती है। जो कि बच्चे के स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। ऐसे में पेरेंट्स को बच्चे की इम्यूनिटी बूस्ट करने पर ध्यान देना चाहिए। 

इन बातों का रखें खास ख्याल

अगर बच्चे का स्वास्थ्य बार-बार खराब हो रहा है, तो उसे डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

बच्चों में बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने के लिए शुरूआती 6 महीने सिर्फ मां का दूध पिलाएं।

घातक बीमारियों के प्रति प्रतिरोधकता विकसित करने के लिए बच्चे का वैक्सीनेशन होना जरूरी है। इस वैक्सीनेशन में मुख्य रूप से काली खांसी, खसरा, मेनिन्जाइटिस, पोलियो और एन्सेफलाइटिस शामिल हैं।

अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए बच्चे को अच्छा और स्वस्थ आहार देना जरूरी होता है।

बेहतर इम्यून के लिए प्रोबायोटिक और प्रीबायोटिक मददगार हैं।

बच्चे की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।

यदि बच्चे को सांस की बीमारी है, तो घर से बाहर निकलने के दौरान उनको मास्क जरूर पहनाएं।

इन्फ्लूएंजा के लिए रेगुलर वैक्सीनेशन करवाना जरूरी है।

जंक फूड से दूर रखें।

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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