जानिए क्या है बाइपोलर डिसआर्डर और कैसे करें इसकी पहचान
बाइपोलर डिसआर्डर को उसके लक्षणों के जरिए पहचाना जा सकता है। जिन लोगों को बाइपोलर डिसऑर्डर होता है उनमें ऐसे पीरियड्स हो सकते हैं जिनमें वे अत्यधिक खुश और ऊर्जावान महसूस करते हैं और अन्य समय बहुत दुखी, निराश और सुस्त महसूस करते हैं।
आज के समय में लोग कई तरह के मानसिक परेशानियों से जूझते हैं, जिसके कारण उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन्हीं में से एक है बाइपोलर डिसआर्डर। बाइपोलर डिसआर्डर जिसे मैनिक डिप्रेशन भी कहा जाता है। इसमें व्यक्ति में मूड स्विंग्स देखने को मिलते हैं। यह एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है, जिसे उपचार की आवश्यकता होती है। लेकिन अधिकतर लोगों को इसके बारे में पता ही नहीं होता। तो चलिए आज हम आपको बाइपोलर डिसआर्डर के बारे में बता रहे हैं−
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क्या है बाइपोलर डिसआर्डर
मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि बाइपोलर डिसआर्डर एक मानसिक बीमारी है, जिसमें व्यक्ति का मूड हाई और लो होता है। जिससे उसमें नींद, ऊर्जा, सोच और व्यवहार में परिवर्तन आता है। ऐसे लोगों को स्कूल या काम पर रोजमर्रा के जीवन के कार्यों को प्रबंधित करने या रिश्तों को बनाए रखने में परेशानी हो सकती है। कोई इलाज नहीं है, लेकिन कई उपचार विकल्प उपलब्ध हैं जो लक्षण को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं।
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पहचानें लक्षण
मनोवैज्ञानिकों की मानें तो बाइपोलर डिसआर्डर को उसके लक्षणों के जरिए पहचाना जा सकता है। जिन लोगों को बाइपोलर डिसऑर्डर होता है उनमें ऐसे पीरियड्स हो सकते हैं जिनमें वे अत्यधिक खुश और ऊर्जावान महसूस करते हैं और अन्य समय बहुत दुखी, निराश और सुस्त महसूस करते हैं। उन अवधि के बीच, वे आमतौर पर सामान्य महसूस करते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ इसके लक्षणों को हाई और लो मूड के रूप में वर्णन करता है। चूंकि सामान्य तौर पर भी अमूमन लोगों में मूड स्विंग्स होते हैं। ऐसे में आप इसके अन्य लक्षणों जैसे ऊर्जा के स्तर में परिवर्तन, नींद के पैटर्न, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता आदि से भी इस रोग की पहचान कर सकते हैं।
जानिए कारण
वैसे तो बाइपोलर डिसआर्डर एक सामान्य स्वास्थ्य विकार है, हालांकि इसका कारण अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। इसे संभावित कारणों में जेनेटिक्स एक कारण हो सकता है। मसलन, अगर आपके घर में माता−पिता या भाई बहन किसी को यह समस्या है तो आपको भी इसके होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, आपके मस्तिष्क की संरचना, अत्यधिक तनाव, कोई दर्दनाक अनुभव व शारीरिक बीमारी के कारण भी रोग का जोखिम बढ़ सकता है।
मिताली जैन
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