अत्यधिक तनाव के कारण होता है हिस्टीरिया, जानें इसके बारे में
हिस्टीरिया एक मानसिक समस्या है, जिसके पीछे का मुख्य कारण तनाव तो है ही, साथ ही कोई गंभीर सदमा लगना, अपनी फीलिंग को दबाना, हादसा, दांपत्य जीवन में परेशानी व आर्थिक कारण इस बीमारी की वजह बनती है।
यूं तो हर व्यक्ति किसी न किसी तनाव का सामना हर दिन करता है, लेकिन कुछ लोगों में तनाव इस हद तक बढ़ जाता है कि उसके कारण कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं जन्म लेने लगती हैं। हिस्टीरिया भी इन्हीं में से एक है। यह समस्या होने पर व्यक्ति अचानक दांत भिंचने लगता है। इसके अतिरिक्त अचानक हंसना, बेहोशी, उल्टी, दम घुटना, बोलने में परेशानी, ऐंठन, जोर−जोर से चिल्लाना भी हिस्टीरिया के लक्षण हैं। यह एक मानसिक बीमारी है, जिसका सही समय पर पता लगाकर उपचार किया जाना बेहद आवश्यक है। तो चलिए विस्तार से जानते हैं इस बीमारी के बारे में−
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मिर्गी से है अलग
कुछ लोग हिस्टीरिया को मिर्गी ही समझ लेते हैं, जबकि यह इससे काफी अलग है। मिर्गी का दौरा कभी भी और अचानक आता है, जिसमें व्यक्ति को कुछ भी सोचने−समझने का अवसर नहीं मिलता। जबकि हिस्टीरिया रोग में ऐसा नहीं होता। इसमें रोगी को पहले से ही इसका आभास हो जाता है।
जानें कारण
हिस्टीरिया एक मानसिक समस्या है, जिसके पीछे का मुख्य कारण तनाव तो है ही, साथ ही कोई गंभीर सदमा लगना, अपनी फीलिंग को दबाना, हादसा, दांपत्य जीवन में परेशानी व आर्थिक कारण इस बीमारी की वजह बनती है।
महिलाएं होती अधिक प्रभावित
यूं तो यह मानसिक समस्या किसी भी व्यक्ति को हो सकती है, लेकिन महिलाएं इससे अधिक प्रभावित होती हैं। दरअसल, उम्र के विभिन्न दौर में न सिर्फ स्त्रियों में हार्मोनल बदलाव होते हैं, बल्कि विवाह के बाद नए घर में जाने के बाद या फिर वैवाहिक जीवन में परेशानी के कारण भी महिला इस रोग से ग्रस्त होती है। इसके अतिरिक्त अधिकतर मामलों में देखने में आता है कि महिला अपने मन की बात या परेशानी किसी से शेयर नहीं करती, जिससे मन ही मन उसका तनाव बढ़ने लगता है और फिर वह हिस्टीरिया के रूप में सामने आता है।
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ऐसे करें उपचार
इसके इलाज के लिए किसी अच्छे मनोचिकित्सक की मदद लेनी चाहिए। वैसे इसके अतिरिक्त कुछ उपायों के जरिए भी स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है। जैसे स्थिति बिगड़ने पर प्रभावित व्यक्ति को हवादार स्थान पर लेटाएं और उसके कपड़े ढीले रखें। इस दौरान मरीज के हाथ−पैरों की मालिश करें और पैरों को उपर ही रखें ताकि शरीर में रक्त का प्रवाह सही रहे। इसके अतिरिक्त जो भी व्यक्ति इस बीमारी से पीडि़त हो, उसे अपने तनाव को नियंत्रित करने के उपाय करने चाहिए। इसके लिए योग व मेडिटेशन आदि का सहारा लिया जा सकता है। वहीं काउंसिलिंग भी तनाव को कम करने में प्रभावशाली है।
मिताली जैन
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