PCOS diet tips: महिलाओं में यह लक्षण दिखने पर सकता है PCOS, डाइट से करें कंट्रोल

PCOS diet tips
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PCOS से पीड़ित महिलाओं में वजन की समस्या, अनियमित पीरियड्स के साथ ही हार्मोनल गड़बड़ी की समस्या होती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की 4-20% महिलाएं PCOS से पीड़ित होती हैं। जिसके कारण कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

महिलाओं में होने वाली पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) गंभीर स्थिति है। इसके कारण वजन की समस्या, अनियमित पीरियड्स के साथ ही हार्मोनल गड़बड़ी की समस्या देखने को मिलती है। NCBI की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की 4-20% महिलाओं में पीसीओएस की समस्या होती है। पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को उच्च रक्तचाप, टाइप 2 मधुमेह, हृदय की समस्याओं के साथ ही एंडोमेट्रियल कैंसर का भी खतरा बढ़ जाता है।

सटीक कारण

महिलाओं में होने वाले पीसीओएस के सटीक कारण का अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है। कुछ प्रमाणों के मुताबिक आनुवंशिकी इसमें मुख्य भूमिका निभाते हैं। PCOS होने के कारण  एण्ड्रोजन नामक पुरुष हार्मोन का उच्च स्तर भी होता है। यह अंडाशय के अंडे को रिलीज होने से रोकता है। जिसके कारण पीरियड्स में अनियमितता देखते को मिलती है।

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पोषक तत्व हैं जरूरी

पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को भरपूर मात्रा में पोषक तत्वों का सेवन करना चाहिए। इसके लिए फैटी एसिड, ओमेगा -3, नट्स और बीज जैसे पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों को खाने की सलाह दी जाती है। नियमित रूप से नट और बीज हार्मोनल कामकाज के अलावा वजन में होने वाले उतार-चढ़ाव को भी नियंत्रित करने का काम करते हैं।

PCOS के लक्षण

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा की गई एक स्टडी के अनुसार, PCOS से पीड़ित महिलाओं के लिए तिल के बीज का सेवन फायदेमंद होता है। सफेद और काले तिल में पोटेशियम, मैग्नीशियम और जिंक के सहायक अंश पाए जाते हैं। यह अंश हार्मोन्स को नियंत्रित करने का करते हैं। साथ ही इनमें कैलोरी भी कम होती है, जो आपके वजन को नियंत्रित करने में सहायक होता है। बता दें कि आयुर्वेद में तिल के लाभों के बारे में काफी कुछ बताया गया है।

डाइट

PCOS के लक्षणों को कम करने के लिए अधिक से अधिक हाई फाइबर वाले फूड का सेवन करना चाहिए। यह आपके डायजेशन प्रोसेस को स्‍लो कर ब्‍लड में शुगर का प्रभाव कम होता है। इससे इंसुलिन की समस्या कंट्रोल होती हैं। इसके अलावा आपको अपनी डाइट में एंटी-इंफ्लेमेटरी फूड को भी शामिल करें।

अलसी के बीज

पीसीओडी और पीसीओएस से जुड़े दुष्प्रभावों को ओमेगा -3 और आहार फाइबर में शक्तिशाली अलसी के बीज नियंत्रित करने में सहायक होते हैं। इनके सेवन से शरीर में एंटीऑक्सिडेंट की आपूर्ति होती है। जिसे लिग्नन के रूप में जाना जाता है। यह शरीर में अच्छी प्रजनन क्षमता को बढ़ावा देने, एस्ट्रोजन उत्पादन को विनियमित करने और पीरियड्स को नियंत्रित करने का काम करता है।

कद्दू के बीज

NIH में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं के लिए कद्दू के बीज काफी लाभकारी होते हैं। हर लड़की के लिए कद्दू के बीज काफी फायदेमंद होते हैं। कद्दू के बीज मैग्नीशियम से भरपूर होते हैं। जो पीरियड्स में होने वाली ऐंडन को कम करने का काम करता है और पीरियड्स को रेग्युलेट करते हैं। कद्दू के बीज में एक एंजाइम, 'बीटा-साइटोस्टेरॉल' होता है। जो पीसीओडी के कारण बालों के झड़ने को रोकने में मदद करता है। 

सूरजमुखी के बीज

सूरजमुखी के बीज कई प्रकार के एंजाइमों से भरपूर होते हैं। यह शरीर में होने वाली हार्मोनल गड़बड़ियां को नियंत्रित करने का काम करती है। सूरजमुखी के बीजों में मौजूद एंजाइम एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के उत्पादन को संतुलित कर सकते हैं। साथ ही यह थायराइड के लक्षणों और प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम को प्रबंधित करने में मददगार साबित होते हैं। सूरजमुखी के बीज में मौजूद विटामिन बी 6 शरीर के संतुलन को बढ़ावा देने के अलावा प्रोटीन और चयापचय को संश्लेषित करने में मदद करता है।

मूगंफली भी है फायदेमंद

नियमित रूप से मूंगफली का सेवन कोलेस्ट्रॉल के स्तर के साथ-साथ हानिकारक रूप से उच्च एण्ड्रोजन का स्तर भी कम होता है। इसके अलावा यह हेयर ग्रोथ और अन्य अन्य हार्मोनल समस्याएं को रोकने में मदद करता है। मूंगफली पीसीओएस में भी फायदेमंद होता है।

डिस्क्लेमर: इस लेख के सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन सुझावों और जानकारी को किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें। किसी भी बीमारी के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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