ऐसे करें टीबी की बीमारी की पहचान, रोकथाम के लिए इन बातों का रखें खास ध्यान
टीबी एक बेहद गंभीर और घातक बीमारी है। इसे क्षयरोग या तपेदिक के नाम से भी जाना जाता हैं। यह बीमारी आमतौर पर माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया की वजह से होती है और मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है। यदि समय रहते इस बीमारी का इलाज ना किया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकती है।
ट्यूबरकुलोसिस यानी टीबी एक बेहद गंभीर और घातक बीमारी है। इसे क्षयरोग या तपेदिक के नाम से भी जाना जाता हैं। यह बीमारी आमतौर पर माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया की वजह से होती है और मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है। यदि समय रहते इस बीमारी का इलाज ना किया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकती है। इसके लिए जरुरी है कि समय रहते इसके लक्षणों को पहचाना जाए और बीमारी होने की स्थिति में इलाज बीच में न छोड़ा जाए।
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टीबी के प्रकार
प्लमोनरी टीबी
अधिकतर मामलों में टीबी फेफड़ों को प्रभावित करता है और इस स्थिति में टीबी को फुफ्फुसीय टीबी या प्लमोनरी टीबी कहा जाता है। प्लमोनरी टीबी से प्रभावित व्यक्ति को लगातार खांसी तीन सप्ताह या उससे अधिक समय तक बनी रहती है। इसके अलावा उसे खूनी खाँसी, कफ जमना, छाती में दर्द व सांस लेने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
एक्स्ट्रापल्मोनरी टीबी
अगर टीबी फेफड़े के बाहर होता है तो उसे एक्स्ट्रापल्मोनरी टीबी कहा जाता है। इस प्रकार की टीबी में हडि्डयां, किडनी और लिम्फ नोड आदि प्रभावित होते हैं। कुछ मामलों में व्यक्ति को प्लमोनरी टीबी के साथ−साथ एक्स्ट्रापल्मोनरी टीबी भी हो सकती है।
लक्षण
तीन सप्ताह या उससे अधिक समय तक खांसी होना
खांसी के साथ बलगम आना
कभी−कभी थूक से खून आना
वजन कम होना
भूख में कमी होना
सांस लेते हुए सीने में दर्द की शिकायत
शाम या रात के समय बुखार आना
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इलाज
टीबी होने पर जांच के जरिए बीमारी का पता लगाया जा सकता है। इसके लिए लगातार तीन दिन तक कफ की जाँच करवाई जाती है। वैसे तो आप किसी भी अस्पताल में यह जांच करवा सकते हैं। लेकिन सरकारी अस्पतालों में भी टीबी का इलाज निःशुल्क होता है।
इन बातों का रखें ध्यान
टीबी की समस्या होने पर दवा का कोर्स पूरा करें। कोर्स को बीच में छोड़ने की गलती न करें। इससे दवा के प्रति रेजिस्टेंट पैदा हो सकता है और इससे बीमारी बढ़ने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
अगर आपको टीबी की बीमारी है तो हमेशा मास्क पहनकर ही निकलें। साथ ही खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन से कवर कर लें। यह ऐसी बीमारी है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती है।
पौष्टिक खाना खाएं, साथ ही एक्सरसाइज करें। इससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़़ेगी।
धूम्रपान व शराब आदि से जितना हो सके, दूरी बनाकर रखें।
- प्रिया मिश्रा
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