प्रेग्नेंसी के शुरूआत से लेकर आखिरी महीने तक, गर्भ में इतने चरणों में बनता है पूरा बच्चा...
निषेचन के बाद कोशिकाएं छोटे-छोटे कई समूहों में बंट जाती हैं और इस जटिल संरचना को ही ब्लास्टोसिस्ट कहा जाता है। यह कोशिकाओं के दो समूहों से बनता है- अंदरूनी और बाहरी कोशिकाएं एवं फ्लूइड्स। ब्लास्टोसिस्ट के अंदर की कोशिकाएं बहुत ही ज्यादा तेजी से विकसित होती हैं।
गर्भावस्था के 9 महीने पूरे होने के बीच में कई अलग-अलग पड़ाव होते हैं। गर्भ धारण करने के लिए पुरुष के स्पर्म का महिला के फर्टिलाइज एग तक पहुंचना अत्यंत जरूरी है। इससे ही जाइगोट अलग होता है और ब्लास्टोसिस्ट बनता है। ब्लास्टोसिस्ट को गर्भाशय तक अवश्य पहुंचना होता है और इसे एंडोमेट्रियम में इंप्लांट होना होता है। इंप्लांट हुआ ब्लास्टोसिस्ट निरंतर विकसित होता है और पहले एम्ब्रियो और फिर उसके बाद भ्रूण में तब्दील होता है। आईए जानते हैं प्रेग्नेंसी में एम्ब्रियो बनने तक की पूरा प्रक्रिया:-
(निषेचन) फर्टिलाइजेशन:-
इस पड़ाव में फीमेल एग तक पुरुष के स्पर्म को पहुंचना जरूरी होता है। बच्चा बनने का यह प्रथम स्टेज है। जब महिला (अंडोत्सर्ग) ओवुलेट करती है, तब उसकी फैलोपियन ट्यूबों में एक एग रिलीज होता है। इस वक्त स्त्री का सर्विकल म्यूका काफी पतला होता है और स्पर्म आसानी से एग तक पहुंच जाता है। (सम्भोग) सेक्स के बाद जब स्पर्म एग तक पहुंच जाता है तो इसके फर्टिलाइजेशन में 24 से 72 घंटे का समय लग जाता है। इस स्टेज पर जो बनता है, उसे ही जाइगोट कहा जाता है। (शुक्राणु) स्पर्म से फर्टिलाइज हुआ एग या जाइगोट गर्भाशय तक पहुंचता है तो और कोशिकाएं अगले स्टेल यानि ब्लास्टोसिस्ट बनने के लिए यहीं से बंट जाती हैं।
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ब्लास्टोसिस्ट:-
निषेचन के बाद कोशिकाएं छोटे-छोटे कई समूहों में बंट जाती हैं और इस जटिल संरचना को ही ब्लास्टोसिस्ट कहा जाता है। यह कोशिकाओं के दो समूहों से बनता है- अंदरूनी और बाहरी कोशिकाएं एवं फ्लूइड्स। ब्लास्टोसिस्ट के अंदर की कोशिकाएं बहुत ही ज्यादा तेजी से विकसित होती हैं। ब्लास्टोसिस्ट फैलोपियन ट्यूब के रास्ते गर्भाशय तक पहुंचती है और 10वें दिन के आसपास प्रत्यारोपीत हो जाती है।
ब्लास्टोसिस्ट इंप्लांटेशन:-
जब ब्लास्टोसिस्ट गर्भाशय तक पहुंच जाता है तो इसके बाद यह एंडोमेट्रियम के अंदर इम्प्लांट हो जाता है। ब्लास्टोसिस्ट की बाहरी कोशिकाएं एवं यूट्राइन इनर लाइनिंग एक साथ मिलकर आगे प्लेसेंटा का निर्माण करते हैं। प्लेसेंटा से ही बेबी को नूट्रिएंट्स मिलता है।
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एम्बियो डेवलवमेंट:-
ब्लास्टोसिस्ट के यूट्राइन इनर लाइनिंग तक पहुंचने के पश्चात एम्ब्रियो नाम की संरचना बननी शुरू होती है। इस समय अंदरूनी अंग और बाहरी संरचनाएं भी बननी शुरू होती हैं।
फीटल डेवलपमेंट:-
फर्टिलाइजेशन यानी निषेचन के 12वें सप्ताह तक भ्रूण फीटल स्टेज के आखिरी चरण में होता है। इस वक्त भ्रूण के सभी अंग और संरचनाएं बन चुकी होती हैं। शुरुआत के तीन महीनों में बच्चे के ज्यादातर अंग विकसित होने शुरू हो जाते हैं और इस महीने के अंत तक भ्रूण के परिसंचरण एवं मूत्राशय तंत्र का काफी विकास हो जाता है। अब यहां से लेकर नौवें महीने तक शिशु गर्भ के अंदर ही डेवेलप होता है।
- मृगेंद्र प्रताप सिंह
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