मनोज बाजपेयी की फिल्म 'साइलेंस कैन यू हियर इट?' करती है दिमाग को हिट!
पिछले काफी समय से ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर काफी अच्छे और ऑरिजनल कंटेंट रिलीज किए गये हैं। फिल्म नेल पॉलिश, कागज़ और जीत की जिद जैसी वेब सीरीजों के बाद अब जी5 पर मनोज बाजपेयी की नयी फिल्म 'साइलेंस ... कैन यू हियर इट?' रिलीज हुई है।
पिछले काफी समय से ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर काफी अच्छे और ऑरिजनल कंटेंट रिलीज किए गये हैं। फिल्म नेल पॉलिश, कागज़ और जीत की जिद जैसी वेब सीरीजों के बाद अब जी5 पर मनोज बाजपेयी की नयी फिल्म 'साइलेंस ... कैन यू हियर इट?' रिलीज हुई है। मनोज बाजपेयी के फैंस एक बार फिर फैमली मैन 2 से पहले अपने पसंदीदा एक्टर को इस फिल्म में शानदार काम करते हुए देख सकते हैं। फिल्म 'साइलेंस को ज़ी स्टूडियोज के बैनर में बनाया गया हैं। निर्देशन अबन भरूचा देवहंस ने किया है। फिल्म में मनोज बाजपेयी, प्राची देसाई और अर्जुन माथुर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसमें साहिल वैद, वकवेर, बरखा सिंह, शिरीष शर्मा, सोहिला कपूर, अमित ठक्कर और गरिमा याग्निक भी हैं।
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कहानी
कहानी की शुरूआत होती हैं एक हत्या के केस के साथ। फिल्म की शुरूआत में ही एक पूजा नाम की लड़की की लाश मिलती है। पूजा कोई आम लड़की नहीं होती हैं बल्कि वह शहर के मशहूर जस्टिस चौधरी की बेटी थी। पूजा के पिता को जब अपनी बेटी की मौत के बारे में पता चलता है तो वह काफी परेशान हो जाते हैं। वह इस दर्द में बौखला जाते हैं और जांच एजेंसी से मांग करते हैं कि जल्द से जल्द पता लगाए कि उनकी बेटी का हत्यारा कौन है? बेटी की मौत के सिलसिले में वह पुलिस कमीश्नर से मिलते हैं और अपील करते हैं कि उनकी बेटी की हत्या का मामला एसीपी अविनाश वर्मा को सौंप दिया जाए। अविनाश वर्मा के किरदार को मनोज बाजपेयी ने निभाया है। एसीपी अविनाश वर्मा का काम करने का अंदाज अलग है वह पुलिस के नियमों को नहीं मानते और अपने हिसाब से केस को हेंडल करते हैं। अविनाश नियमों को भले ही नहीं मानते लेकिन न्याय में उनका विश्वास अटल हैं। पिता की अपील के बाद ये पूजा की हत्या का केस अविनाश को दे दिया जाता हैं। अब वह अपने तरीके से केस पर काम करना शुरू करते हैं। इस केस को सौंपते वक्त अविनाश को समय सीमा भी बताई जाती हैं। अब क्या वह समय के हिसाब से ये केस लॉल्व कर पाते हैं या नहीं इसके लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
कैसी हैं फिल्म
फिल्म के बारे में बात करें तो पहले हाफ में कहानी को जमाने के लिए थोड़ा स्लो रखा है। दूसरे हाफ में फिल्म काफी गति पकड़ लेती हैं। या फिर आप कह सकते हैं कि फिल्म में जान इंचरवल के बाद आती है। सस्पेंस क्रिएट करने के मामले में निर्देशक कामयाब रहे हैं। एक दर्शक के तौर पर अगर आप फिल्म देखते हैं तो आप फिल्म से आखिरी तक बंधे रहेंगे। अगर आप क्राइम की फिल्में देखते हैं तो ये कहानी आपको बहुत नयी नहीं लगेगी लेकिन कहानी के टर्न शानदार है। फिल्म का वीक प्वाइंट है कि पुलिस काम कम और बाते ज्यादा करती हैं। यानी की अगर आप फिल्म देखेंगे तो आपको लगेगा कि केस को जुबान और सोच कर ज्यादा सॉल्व किया जा रहा है। पुलिस एक्शन में कम दिखाई पड़ती हैं। बाकि कलाकारों की बात करें को मनोज बाजपेयी एक लेजेंड कलाकार है। उनकी कलाकारी पर उंगली उठाना उनकी तौहीन करने के बराबर है। फिल्म में एक बार फिर उन्होंने शानदार काम किया है। पूरी फिल्म का बार मनोज बाजपेयी के गंधों पर हैं और इस जिम्मेदारी को उन्होंने बखूबी निभाया है।
फिल्म को 3.5 स्टार
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