Lohri Festival: खुशहाली और मिठास का त्यौहार है लोहड़ी, जानें क्या है तारीख और मुहूर्त

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खुशहाली और उत्साह का त्यौहार है 'लोहड़ी' जो फसल काट कर घर लाये जानें की ख़ुशी में मनाया जाता है। इस त्यौहार से दुल्ला भट्टी की कहानी भी जुड़ी हुई है। लोहड़ी की शाम एक दूसरे के साथ खुशियां बांटने, सद्भावना और भाईचारे का सन्देश देती है। यह दिलों से नफरत को दूर करने का और रिश्तों में मधुरता का प्रतीक है।

नव वर्ष पर का सबसे पहले मनाया जानें वाला पर्व है लोहड़ी, लोहड़ी के त्यौहार पर अग्नि में मूंगफली, तिल, गुड़ और गेहूं अर्पित करके सभी की सलामती, अच्छी सेहत और सुख शांति के लिए प्रार्थना की जाती है। लोहड़ी का त्यौहार बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है। कुछ लोग लोहड़ी के त्यौहार की तारीख और मुहूर्त को लेकर कन्फ्यूज हैं। आइये जानते है लोहड़ी का शुभ मुहूर्त और तारीख-  

लोहड़ी का शुभ मुहूर्त और तारीख   

मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा इसलिए लोहड़ी 14 को होगी। लोहड़ी का शुभ मुहूर्त १४ जनवरी को शाम 8:57 से शुरू होगा।

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लोहड़ी शब्द का अर्थ
लोहड़ी तीन अक्षरों से मिलकर बना है, ल का अर्थ है  लकड़ी, ओह का अर्थ है उपला और ड़ी  का अर्थ रेवड़ी से है। इन तीनों के द्वारा लोहड़ी की अग्नि जलाई जाती है।  
 
लोहड़ी का महत्व
लोहड़ी का त्यौहार फसल की कटाई होने की ख़ुशी में मनाया जाता है। लोहड़ी में अग्नि की सात बार परिक्रमा की जाती है और गुड़, चावल, तिल की तिलचौली आहुति अग्नि देव को समर्पित की जाती है। इसे देवी-देवताओं का भोग कहा जाता है, इस तिलचौली के द्वारा नयी फसल का एक हिस्सा देवताओं तक पहुंच जाता है। इसके बाद सुख-शांति की कामना की जाती है और लोकगीतों का आनंद लिया जाता है। जिस घर में मांगलिक कार्य या बच्चे का जन्म होता है उस घर में लोहड़ी का त्यौहार खास धूमधाम से मनाया जाता है। लोहड़ी मनाने के पीछे एक मान्यता यह भी है कि इस समय से पौष मास की समाप्ति होती है और माघ माह की शुरुआत होती है, यह ठण्ड कम होने का सूचक माना जाता है।   

लोहड़ी की कहानी    
लोहड़ी के दिन अग्नि की परिक्रमा करने के बाद दुल्ला भट्टी की कहानी सुनी जाती है। कहते हैं मुग़ल शासक अकबर ने दुल्ला भट्टी को पंजाब में रहने के लिए भेज दिया था। उन दिनों पंजाब की औरतों को अमीर मुगलों के हाथों में बेंचा जा रहा था। दुल्ला भट्टी उन लड़कियों को अमीर मुगलों से छुड़ाकर ले आया और उनकी शादी हिन्दुओं से कराई। इसलिए दुल्ला को नायक मानकर लोहड़ी के मौके पर उनसे जुड़ी कहानियां कही और सुनी जाती हैं।

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