Parama Ekadashi 2023: परमा एकादशी व्रत से होती है शुभ फल की प्राप्ति
पंडितों के अनुसार, अधिक मास की परमा एकादशी धन संकट दूर करने वाली मानी गई है। साथ ही इस व्रत को करने से भगवान विष्णु जल्द प्रसन्न होते हैं और दुख दरिद्रता से मुक्ति मिलती है। शास्त्रों के अनुसार परमा एकादशी अपने नाम के अनुसार परम सिद्धियां प्राप्त करने वाला व्रत है।
अधिक मास में पड़ने वाली एकादशी को परमा एकादशी कहा जाता है। परमा एकादशी का हिन्दू धर्म में खास महत्व है तो आइए हम आपको परमा एकादशी व्रत की विधि एवं महत्व के बारे में बताते हैं।
जानें परमा एकादशी व्रत के बारे में
परमा एकादशी का व्रत केवल अधिकमास में पड़ता है। 12 अगस्त 2023 को परमा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। ये अधिकमास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पड़ता है। अधिकमास की परमा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन भक्तों को पूजा का पूरा फल मिलता है। इसके अलावा सावन अधिक मास में भगवान विष्णु समेत भोलेनाथ की पूजा आराधना करने का विधान है।
सनातन धर्म का एकादशी व्रत में है खास महत्व
सनातन धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है। वैसे तो एक वर्ष में 24 एकादशी पड़ती है परन्तु जिस साल अधिक मास पड़ता है, उस साल 26 एकादशी होती हैं। एकादशी तिथि विष्णु प्रिया है और अधिक मास भी श्री विष्णुजी को समर्पित है, इसलिए धार्मिक दृष्टि से इस एकादशी का महत्व और भी बढ़ जाता है। श्रावण अधिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को परमा एकादशी कहा जाता है। इस दिन व्रत और भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा सावन अधिक मास में भगवान विष्णु समेत भोलेनाथ की पूजा आराधना करने का विधान है।
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परमा एकादशी का महत्व
पंडितों के अनुसार, अधिक मास की परमा एकादशी धन संकट दूर करने वाली मानी गई है। साथ ही इस व्रत को करने से भगवान विष्णु जल्द प्रसन्न होते हैं और दुख दरिद्रता से मुक्ति मिलती है। शास्त्रों के अनुसार परमा एकादशी अपने नाम के अनुसार परम सिद्धियां प्राप्त करने वाला व्रत है। जब इस व्रत को यक्षों के स्वामी कुबेर जी ने किया था तो भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर उन्हें धनाध्यक्ष बना दिया था। इस व्रत को करने से सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र को पुत्र, स्त्री और राज्य की प्राप्ति हुई थी। इस व्रत के दौरान पांच दिन तक स्वर्ण दान, विद्या दान, अन्न दान, भूमि दान और गौ दान करना चाहिए, ऐसा करने से व्यक्ति को माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसे धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती।
परमा एकादशी के दिन ऐसे करें पूजा
भगवान गणेश प्रथम पूज्य माने जाते हैं, ऐसे में विष्णु जी की पूजा से पहले गणेश जी की पूजा करें। इस दिन जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु की उपासना करनी चाहिए। पूजा स्थल के ईशान कोण में एक वेदी बनाकर उस पर सप्त धान रखें एवं इस पर जल कलश स्थापित कर इसे आम या अशोक के पत्तों से सजाएं। विष्णु जी के साथ मां लक्ष्मी की मूर्ति जरूर रखें। दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और सभी देवी-देवताओं का अभिषेक करें। इसके बाद जल से अभिषेक करें। तत्पश्चात पीले पुष्प, ऋतुफल, तुलसी आदि अर्पित कर धूप-दीप व कपूर से भगवान विष्णु की आरती करें। इस दिन विष्णुजी के मंदिर एवं तुलसी के नीचे दीपदान करना बहुत शुभ माना गया है। इस दिन दान-दक्षिणा जरूर करें।
परमा एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में काम्पिल्य नगर में सुमेधा नामक एक ब्राह्मण रहता था व उसकी पत्नी का नाम पवित्रा था। पवित्रा बहुत ज्यादा धार्मिक थी और परम सती व साध्वी स्त्री थी। एक दिन गरीबी से परेशान होकर ब्राह्मण ने विदेश धन कमाने जाने का विचार किया, लेकिन पवित्रा ने कहा कि धन और संतान पूर्व जन्म के फल से प्राप्त होते हैं, इसलिए आप चिंता न करें। कुछ दिनों बाद महर्षि कौंडिन्य गरीब ब्राह्मण के घर आए। ब्राह्मण दंपति ने तन-मन से महर्षि कौंडिन्य की सेवा की तो उन्होंने गरीबी दूर करने का धार्मिक उपाय बताया। महर्षि कौंडिन्य ने बताया कि अधिक मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत तथा रात्रि जागरण करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। इतना कहकर मुनि कौंडिन्य चले गए और सुमेधा ने पत्नी सहित व्रत किया। परमा एकादशी व्रत के प्रभाव से उनकी गरीबी दूर हो गई और उन्हें सुखी जीवन प्राप्त हुआ।
परमा एकादशी की शुभ तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, अधिकमास के कृष्ण पक्ष की परमा एकादशी तिथि शुक्रवार, 11 अगस्त को सुबह 05 बजकर 06 मिनट पर आरंभ होगी।
परमा एकादशी के दिन करें ये काम
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब पांडव अपना राजपाट खो चुके थे, कौरवों ने उनसे सब छीन लिया था, तब भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था कि परमा एकादशी का व्रत करने वाला व्यक्ति दरिद्रता से मुक्त हो जाता है। उसके जीवन से धन संकट दूर हो जाता है। साथ ही परमा एकादशी व्रत यश और सम्मान दिलाता है। इसके लिए जरूरी है कि परमा एकादशी व्रत और पूजा विधि-विधान से किया जाए।
परमा एकादशी व्रत के लिए तैयारी एक दिन पहले ही शुरू हो जाती है। यानी कि परमा एकादशी से एक दिन पहले सात्विक भोजन ही करें। व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और सूर्य देव को जल चढ़ाएं। फिर भगवान के सामने हाथ में फूल और अक्षत लेकर परमा एकादशी व्रत करने का संकल्प लें। फिर शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें। फिर भगवान का पंचामृत से अभिषेक करें। उन्हें पीले वस्त्र, फूल, माला, जनेऊ, चंदन आदि से उनका श्रृंगार करें। उन्हें अक्षत, तुलसी के पत्ते, फल, मिठाईयों का भोग लगाएं। धूप, दीप करें। साथ ही इस दौरान 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करते रहें। घी का दीपक जरूर जलाएं। विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। परमा एकादशी की व्रत कथा जरूर पढ़ें। इसके बिना पूजा अधूरी रहती है. आखिर में आरती करें। परमा एकादशी के दिन दिनभर केवल फलाहार ग्रहण करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें। इस दिन किसी योग्य ब्राह्मण को दान जरूर दें। अच्छा आचरण करें, किसी को अपशब्द ना कहें, ना मन में बुरे विचार लाएं. अगले दिन सही समय में पारण करें।
- प्रज्ञा पाण्डेय
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