Matsya Jayanti 2025: पृथ्वी की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने लिया था मत्स्य अवतार, ऐसे करें पूजा

मत्स्य जयंती का दिन धार्मिक अनुष्ठानों और व्रत के लिए काफी शुभ माना जाता है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान विष्णु ने सतयुग में चैत्र शुक्ल तृतीया को अपना प्रथम अवतार मत्स्य के रुप में लिया था। यह जयंती उनके इसी अवतार को समर्पित है। इस बार मत्स्य जयंती का व्रत 31 मार्च को किया जा रहा है।
तिथि और मुहूर्त
तृतीया तिथि की शुरूआत - 31 मार्च 2025 को 09:11 AM बजे से
तृतीया तिथि की समाप्ति - 01 अप्रैल 2025 को 05:42 AM बजे तक
मत्स्य जयन्ती मुहूर्त - 01:17 पी एम से 03:45 पी एम तक
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मत्स्य जयंती का महत्व
बता दें कि जब-जब संसार में कोई विपत्ति आई, तब-तब जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु ने जगत को अधर्म और अन्याय से बचाने के लिए अवतार लिया। एक बार भगवान ब्रह्म देव से कुछ असावधानी हो गई। जिसकी वजह से हयग्रीव नामक दैत्य ने समस्त वेदों को निगल लिया। ऐसा करने पर संपूर्ण विश्व में ज्ञान समाप्त हो गया और पृथ्वी पर हर ओर पाप और अधर्म फैल गया। उस दौरान सृष्टि की रक्षा के लिए श्रीहरि विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण किया। क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु ने सृष्टि की रक्षा की थी।
ऐसे करें पूजा
इस दिन सुबह जल्दी स्नान आदि कर व्रत का संकल्प लें और फिर विधि-विधान से भगवान श्रीहरि विष्णु के मत्स्य अवतार की पूजा की जाती है। भगवान मत्स्य का आशीर्वाद पाने के लिए भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें। इस दिन ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान जरूर देना चाहिए।
व्रत के लाभ
धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन भगवान मत्स्य के व्रत का संकल्प लेता है, उसपर श्रीहरि विष्णु की कृपा बनी रहती है।
मत्स्य जयंती पर भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की पूजा और मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति को ज्ञान और बुद्धि प्राप्त होती है।
श्रीहरि विष्णु के मत्स्य स्वरूप की आराधना करने से व्यक्ति के पिछले जन्म के पाप धुल जाते हैं।
इस दिन गरीबों, जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को दान देने से कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है।
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