Kurma Jayanti 2023: आज के दिन भगवान विष्णु ने लिया था कूर्म अवतार, जानिए इसके पीछे की कथा और महत्व
वैशाख माह की पूर्णिमा को कूर्म जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। इस साल यह पर्व 5 मई यानी की आज मनाया जा रहा है। देवताओं और दानवों की समुद्र मंथन में सहायता करने के लिए भगवान विष्णु ने कूर्म यानी की कछुए का अवतार लिया था।
वैशाख माह की पूर्णिमा को कूर्म जयंती मनाई जाती है। इस साल यह पर्व 5 मई को मनाया जा रहा है। भगवान विष्णु ने देवताओं और दानवों की समुद्र मंथन में सहायता करने के लिए कूर्म अवतार लिया था। भगवान विष्णु के इस अवतार को कच्छप अवतार भी कहा जाता है। समुद्र मंथन से अमृत, कालकूट विष और मां लक्ष्मी सहित चौदह रत्नों की प्राप्ति हुई थी। नरसिंह पुराण के के मुताबिक कूर्मावतार भगवान विष्णु का दूसरा अवतार है। वहीं भागवत पुराण के मुताबिक यह भगवान विष्णु का 11वां अवतार है।
इसलिए लिया था कूर्म अवतार
पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार देवताओं को अपनी शक्तियों पर बहुत घमंड हो गया था। एक बार देवराज इंद्र को महर्षि दुर्वासा ने परिजात पुष्प की माला भेंट की थी। लेकिन अहंकार के कारण देवराज ने उस माला को अपने हाथी ऐरावत के मष्तक पर डाल दिया। इंद्र का यह व्यवहार देख महर्षि दुर्वासा अत्यंत क्रोधित हुए और उन्होंने सभी देवताओं श्रीहीन होने का श्राप दे दिया। जिसके चलते सभी देवताओं की सुख-समृद्धि खत्म हो गई।
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महर्षि दुर्वासा के श्राप के प्रभाव से लक्ष्मी सागर में लुप्त हो गए। वहीं सुर-असुर लोक का सारा वैभव भी नष्ट हो गया। जिसके बाद देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। तब श्रीहरि ने असुर और देवताओं को समुद्र मंथन के लिए कहा। समुद्र मंथन के लिए मंदराचल पर्वत को मथानी और नागराज वासुकि को रस्सी बनाया गया। जब मंदराचल पर्वत को देव-राक्षसों ने समुद्र में डालकर मंथन शुरू किया तो पर्वत का आधार न होने के कारण वह समुद्र में डूबने लगा। यह देख भगवान विष्णु ने कूर्म यानी की कछुए का अवतार लिया और मंदराचल पर्वत को अपनी पीठ पर रख लिया। इससे वह पर्वत तेजी से घूमने लगा और मंथन का कार्य पूरा हुआ।
कूर्म जयंती का महत्व
हिंदू धर्म में कूर्म जयंती की बहुत महत्ता मानी गई है। मान्यता के अनुसार, इस दिन से निर्माण संबंधी कार्य शुरू करना बेहद शुभ होता है। साथ ही इस अवसर पर वास्तु दोष आदि भी दूर किए जा सकते हैं। कूर्म जयंती का दिन नया घर व भूमि पूजन आदि के लिहाज से काफी शुभ है।
इन उपायों को करें
कूर्म जयंती के दिन घर में चांदी या धातु से बना कछुआ लाना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा कम होती है। घर की उत्तर दिशा में कूर्म यंत्र रखा जा सकता है। कूर्म यंत्र को बेडरूम में रखने की जगह ड्रॉइंग रूम में रखना ज्यादा शुभ होता है। मान्यता के अनुसार, जिस भी घर में धातु से बना कछुआ होता है। उस घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं रहती और वहां पर मां लक्ष्मी निवास करती हैं। क्योंकि कछुआ भगवान विष्णु का ही एक स्वरूप है।
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