जानिए प्रधानमंत्री वय वंदन योजना के बारे में, 31 मार्च से पहले उठा सकते हैं बड़ा लाभ
प्रधानमंत्री वय वंदना योजना में राशि निवेश करने के लिए आपकी कोई आयु सीमा निर्धारित नहीं की गयी है। लिहाजा, कोई भी ग्राहक इस योजना में अधिकतम 15 लाख रुपए तक का निवेश यानी इवेंस्टमेंट कर सकता है।
क्या आपको पता है कि प्रधानमंत्री वय वंदन योजना यानी पीएमवीवीवाई इसी महीने की अंतिम तारीख यानि 31 मार्च को बंद होने जा रही है। यदि नहीं, तो यह जान लीजिए कि केंद्र सरकार की यह योजना अब कुछ ही दिनों की मेहमान है, जिसको यदि आप फॉलो करते हैं तो आपको 10 हजार रुपये तक प्रतिमाह पेंशन मिलने की गारंटी है। लिहाजा इसका लाभ जल्द उठा लें, अन्यथा मार्च के बाद हाथ मलते रह जाएंगे। आपके लिए यह जानना जरूरी है कि इस पेंशन योजना के तहत पेंशन राशि पाने वालों के लिए पहली शर्त है वरिष्ठ नागरिक होना।
अगर आपके घर में कोई सीनियर सिटीजन यानी वरिष्ठ नागरिक हैं या फिर आप खुद भी इसी दायरे में आते हैं और आपको पेंशन मिलती है तो अब सावधान हो जाइये। क्योंकि वरिष्ठ नागरिकों के लिए मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई एक बेहद आकर्षक योजना "प्रधानमंत्री वय वंदन योजना" यानी पीएमवीवीवाई आगामी 31 मार्च 2020 तक समाप्त होने जा रही है। दरअसल, इस योजना में एक निश्चित दर के अनुरूप पक्की गारंटीड पेंशन प्राप्त होती है। जिसके आवेदक मतलब अभ्यर्थी भारतीय जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी को एक साथ पूरी राशि का भुगतान करके प्रति माह एक तय राशि भी प्राप्त कर सकते हैं। खबर है कि इस योजना को पूर्व नियत अवधि से आगे बढ़ाए जाने संबंधी कोई आदेश या घोषणा अभी तक सामने नहीं आई है। इसलिए आपको बता रहा हूं कि समय रहते इस योजना का लाभ ले लें, अन्यथा हाथ मलते रह जाएंगे।
पहले आकर्षक पेंशन योजना की पात्रता को समझिए, फिर ऐसे कीजिए आवेदन
प्रधानमंत्री वय वंदना योजना में राशि निवेश करने के लिए आपकी कोई आयु सीमा निर्धारित नहीं है। लिहाजा, कोई भी ग्राहक इस योजना में अधिकतम 15 लाख रुपए तक का निवेश यानी इवेंस्टमेंट कर सकता है। इस योजना के तहत आवेदन करके लिए आपको भारतीय जीवन बीमा निगम की आधिकारिक वेबसाइट पर सबसे पहले विजिट करना होगा। इसलिए आप सबसे पहले https://eterm.licindia.in/onlinePlansIndex/pmvvymain.do पर जाएं। फिर आपको इस योजना का एक आवेदन फार्म लेना होगा। जिसे डाउनलोड करके आप उसका प्रिंट आउट निकाल कर रख लें। उसके बाद इसमें अपेक्षित अपने सभी जरूरी कागजात लगाएं और एलआईसी के किसी भी कार्यालय में जाकर इसे जमा करवा दें। खास बात यह कि इस योजना में ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट की भी सुविधा है, जिससे इसकी लोकप्रियता बढ़ी है।
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पीएमवीवीवाई योजना में निवेश के लिए इन कागजातों की होगी जरूरत
जहां तक कागजातों की बात है तो यह जान लीजिए कि चार प्रकार के पेपर आपको जमा करने होंगे, जिसमें पहला है एड्रेस प्रूफ की प्रति। दूसरा है पैन कार्ड की कॉपी। तीसरा है एक चेक की प्रति अथवा बैंक पासबुक के पहले पेज की एक कॉपी। और, चौथा है पेंशन मोड, जिसके अनुरूप न्यूनतम जमा रकम- अधिकतम जमा रकम क्रमशः इस प्रकार हैं- सालाना- 1,44,578- 14,45,784. छमाही- 1,47,601- 14,76,014. तिमाही- 1,49,068- 14,90,684 और मासिक- 1,50,000- 15,00,000. इस योजना के तहत आवेदक को उसके द्वारा किये गए निवेश के अनुरूप 1 हजार रुपए से लेकर 10 हजार रुपए तक की राशि बतौर पेंशन दी जा सकती है। यदि आवेदक या अभ्यर्थी हर महीने 1 हजार रुपए की पेंशन पाना चाहते हैं तो इसके लिए उन्हें पहले डेढ़ लाख रुपए जमा करना होंगे। वहीं, आवेदक यदि 10 हजार रुपए प्रतिमाह की पेंशन राशि पाना चाहते हैं तो इसके लिए उन्हें 15 लाख रुपए जमा कराने होंगे।
जानिए पेंशन मिलने की अवधि और मृत्यु उपरांत की विशेषताएं
पीएमवीवीवाई योजना की पेंशन राशि की पहली किश्त राशि जमा कराने के एक वर्ष, छह महीने, तीन महीने या एक महीने के बाद ही पेंशन मिलने लगती है। इस पूरे मामले में यही बात बेहद खास मायने रखती है कि आप किस अवधि का चयन अपेक्षित सावधानी पूर्वक कर रहे हैं। इसके अनुसार, आवेदक या अभ्यर्थी मासिक, त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक अथवा वार्षिक आधार पर पेंशन प्राप्त कर सकता है। आपको यह भी जानना चाहिए कि इस स्कीम के मैच्योर होने पर यदि दस वर्ष के पॉलिसी टर्म तक पेंशनर जीवित रहता है तो उस जमा राशि के साथ ही व्यक्ति को उसकी पेंशन राशि का भुगतान किया जाता है। वहीं, यदि व्यक्ति की मृत्यु पॉलिसी टर्म के दस साल के भीतर ही हो जाती है तो उसके परिजनों को जमा पेंशन राशि पूरी तरह से वापस लौटा दी जाती है। हालांकि, यदि किसी कारण से पेंशन राशि पाने वाला व्यक्ति खुद ही खुदकुशी कर लेता है तो ऐसी स्थिति में भी उसके परिवार या नामित व्यक्ति को जमा राशि पूरी तरह से लौटा दी जाएगी, क्योंकि आकस्मिक मृत्यु को भी इसमें कवर किया गया है।
इन शर्तों पर लें इस योजना का लाभ
इस आकर्षक योजना का लाभ उठाने वालों के लिए कुछ शर्तें भी नियत की गई हैं, जिसके तहत पहली शर्त है कि आवेदक कम-से-कम 60 साल की आयु पूरी कर चुका हो। दूसरी शर्त यह है कि 60 वर्ष की आयु पूर्ण करने के बाद इसकी कोई अधिकतम सीमा निर्धारित ही नहीं है। वहीं, तीसरी शर्त यह है कि इस पॉलिसी टर्म यानी योजना की अवधि महज 10 साल है। वहीं, चौथी शर्त यह है कि इस योजना के तहत कम से कम पेंशन- एक हजार रुपए प्रतिमाह दी जाएगी। इसके अलावा, 3,000 रुपये प्रति तीन माह, 6,000 रुपये प्रति छह माह और 12,000 रुपये सालाना पेंशन दी जाती है। लेकिन, पांचवीं शर्त में यह निर्धारित कर दिया है कि अधिकतम पेंशन राशि प्रतिमाह 10 हजार रुपए ही दी जाती है। जो 30,000 रुपये प्रति तीन माह, 60,000 रुपये प्रति छह माह और 1 लाख 20 हजार रुपये सालाना से अधिक नहीं होगी। हालांकि, इस योजना को बीच में भी छोड़ने का रास्ता भी रखा गया है, जिसके तहत इस योजना के परिपक्व होने से पहले भी इसे छोड़ने का ऑप्शन दिया हुआ है। स्पष्ट है कि यदि पेंशनर को किसी रोग का इलाज करवाने में पैसों की दरकार है तो कुल जमा राशि में से 98 प्रतिशत राशि का भुगतान कर दिया जाता है।
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जीएसटी मुक्त योजना में कीजिए निवेश, वापसी करने में न्यूनतम एक पखवाड़ा और अधिकतम एक माह का लगता है समय
आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि इस योजना में जीएसटी नहीं देना होता है। हालांकि नियम तय यह है कि केंद्र सरकार की ओर से भविष्य में कर प्रणाली लागू की जा सकती है। वहीं, यदि किसी प्रकार का टैक्स देना होता है तो उसे योजना के अंतर्गत मिलने वाले लाभ में शामिल नहीं किया जा सकेगा। इसके अलावा, यदि आप यह पॉलिसी ले चुके हैं और उसके बाद अगर इसे वापस करना चाहते हैं तो एलआईसी कार्यालय में जाकर संपर्क करें। वहां पर आपको पॉलिसी लेने पर रिसीप्ट प्राप्त होने के पन्द्रह दिनों में एवं ऑनलाइन पॉलिसी लेने पर रिसीप्ट मिलने के एक महीने के भीतर इसकी वजह बताना होगी, जिसके मद्देनजर आप पॉलिसी वापस कर सकते हैं। यदि इस दौरान आपको पेंशन राशि मिल जाती है तो सम्बन्धित राशि एवं स्टाम्प ड्यूटी की राशि काटने के बाद सारी जमा राशि आपको वापस लौटा दी जाएगी।
तीन वर्ष बाद मिल सकता है 75 फीसदी लोन लेकिन कुछ शर्त पर
इस पेंशन योजना में धनराशि जमा कराने के तीन वर्ष बाद आपको लोन तो मिल जाता है, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें भी निर्धारित हैं। पहली, आप जो भी राशि जमा कराते हैं, उसका 75 फीसदी तक लोन ले सकते हैं। दूसरी, इस लोन की राशि पर लगने वाले ब्याज की अवधि त्रैमासिक होती है। और जब तक आप पूरे लोन को नहीं चुका देते, तब तक आपको प्रति छह माह की अवधि पर ब्याज चुकाना होगा। असल में, ब्याज की राशि आपको दी जा रही पेंशन से ही काटी जाती है। तीसरी, इस योजना के तहत वार्षिक रिटर्न लगभग 8 से 8.30 फीसद तक निर्धारित है, लेकिन किसी भी परिवार को 10 हजार रुपये से अधिक की पेंशन नहीं मिलेगी, यह सुनिश्चित करने की पूरी पहल की गई है। स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री वय वंदन योजना के सदस्यों को 8 से 8.30 फीसद तक का वार्षिक रिटर्न मिलता है। लेकिन, यह रिटर्न इस स्थिति पर निर्धारित होता है कि आवेदक अपनी पेंशन के भुगतान का क्या आधार चाहते हैं। वे इसे मासिक चाहते हैं या फिर छमाही या वार्षिक। क्योंकि, इसके तहत किसी भी परिवार को दस हजार रुपए से अधिक की पेंशन नहीं मिल सकती है। इस योजना को एलआईसी ही संचालित करती है। जिसकी वेबसाइट के अनुसार, पेंशन की अधिकतम लिमिट किसी एक पेंशनर पर लागू ना होकर उसके पूरे परिवार पर ही लागू होती है। इसका अर्थ यह हुआ कि प्रधानमंत्री वय वंदना योजना के अंतर्गत किसी एक परिवार से जितने भी आवेदक पेंशन का प्लान लेंगे, उन सभी को जो पेंशन राशि दी जाएगी, उसका योग दस हजार रुपए से अधिक नहीं होगा। इसके अलावा, पेंशनर के परिवार में उसके अतिरिक्त उसका पति या पत्नी व उसके आश्रितों की संख्या भी शामिल है।
समझिए लोन की पात्रता, आपको ऐसे मिलेगी जमा राशि वापस
जब कोई भी व्यक्ति इस योजना में निवेश को तीन साल पूरे कर चुका होता है तो उसे लोन की भी पात्रता मिल जाती है। यदि वह लोन लेना चाहे तो इसकी अधिक राशि कुल खरीदी की कीमत की 75 प्रतिशत तक हो सकती है। लोन पर लगने वाले ब्याज की दर टर्म आधारित होती है। जिसका ब्याज संबंधित पेंशन राशि में से ही काटा जाता है और बकाया लोन की वसूली योजना से किए गए आहरण के समय की जाती है। जहां तक जमा राशि की वापसी का सवाल है तो वह निम्न तरीके से वापस मिलती है। इस योजना में निवेश करने के ठीक दस साल बाद पेंशन का अंतिम भुगतान किया जाता है। इसके साथ ही संपूर्ण जमा राशि का अभ्यर्थी को भुगतान कर दिया जाता है। इसके साथ, यह भी नियम है कि यदि दस साल की अवधि पूरी होने के पहले पेंशन पाने वाले व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उसके द्वारा नामित व्यक्ति के खाते में यह सारा पैसा रिफंड कर दिया जाता है।
-कमलेश पांडेय
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार हैं।)
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