पोस्ट ऑफिस में लावारिस पड़े करोड़ों रुपये से होगा वरिष्ठ नागरिकों का कल्याण
ग्रामीण इलाकों में लोग अपनी बचत राशि को आज भी बैंकों के मुकाबले पोस्ट ऑफिस में रखना ज्यादा पसंद करते हैं। आजादी के बाद से ही डाकघर यानी पोस्ट ऑफिस में रुपये-पैसे को जमा करने का चलन बढ़ा है, क्योंकि यहां जमा की हुई रकम अपेक्षाकृत अन्य वित्तीय या बैंकिंग संस्थानों से ज्यादा सुरक्षित समझी जाती है।
मानवीय स्वभाव के अनुरूप कुछ व्यक्ति खर्चीले होते हैं, तो कुछ मितव्ययी यानी बचत करने वाले। प्रायः देखा जाता है कि कोई वस्तु विशेष के रूप में बचत करने का आदी होता है तो कोई रुपये-पैसे के रूप में बचत करने का अभ्यस्त, ताकि उससे मनचाही वस्तु अपनी सुविधानुसार खरीदी जा सके। हालांकि बदलते दौर के साथ यही रुपया-पैसा अब निवेश-विनिवेश एक ऐसा ठोस जरिया बन चुका है, जिससे आप मनमाफिक बेहतर रिटर्न कमा सकते हैं।
अमूमन भारतीयों के लिए पोस्ट ऑफिस निवेश के लिए सबसे सुरक्षित ठिकानों में से एक है। खासकर ग्रामीण इलाकों में लोग अपनी बचत राशि को आज भी बैंकों के मुकाबले पोस्ट ऑफिस में रखना ज्यादा पसंद करते हैं। आजादी के बाद से ही डाकघर यानी पोस्ट ऑफिस में रुपये-पैसे को जमा करने का चलन बढ़ा है, क्योंकि यहां जमा की हुई रकम अपेक्षाकृत अन्य वित्तीय या बैंकिंग संस्थानों से ज्यादा सुरक्षित समझी जाती है।
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# जब बचत की बात आती है तो पोस्टऑफिस की विभिन्न स्कीम्स की ओर ही रुख करते हैं आम भारतीय
आपको पता होगा कि आज भी भारत की बहुत बड़ी आबादी ऐसी है, जो क्रिप्टो करेंसी, शेयर मार्केट और म्यूचुअल फंड में पैसों को निवेश करने से बचती है। ऐसे लोग निवेश के ऐसे सुरक्षित विकल्पों की तलाश करते रहते हैं, जहां पर बाजार की जोखिमों का असर उनके द्वारा जमा किये हुए रुपये-पैसों पर न पड़े और उसका रिटर्न भी अन्य जगहों के मुकाबले अच्छा मिले। ऐसे लोग पोस्टऑफिस की विभिन्न स्कीम्स की ओर रुख करते हैं। ऐसे लोग डाक घर में पब्लिक प्रोविडेंट फंड, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट, सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम, डाकघर बचत खाता, आवर्ती जमा खाता, सावधि जमा खाता, मासिक आय योजना, किसान विकास पत्र और सुकन्या समृद्धि योजना खाता जैसी पोस्ट ऑफिस स्कीम्स की ओर रुख करते हैं। क्योंकि डाकघर की ये कुछ ऐसी स्कीम्स होती हैं जो समय से निश्चित आय चाहने वाले निवेशकों के बीच काफी लोकप्रिय होती हैं।
लेकिन पोस्ट ऑफिस से जुड़ी एक ऐसी खबर आई है, जिसे हर किसी को पढ़नी चाहिए। बात यह है कि देश में लाखों की संख्या में ऐसे लोग हैं, जिन्होंने पोस्ट ऑफिस में अपनी गाढ़ी कमाई तो रखी, लेकिन इसे निकाल नहीं पाए और फिर किसी वजह से उनका देहांत हो गया। हालांकि देहांत से पहले वो अपने परिवार को भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं दे पाए। इसीलिए अब उस पैसे के पोस्ट ऑफिस में कोई दावेदार नहीं पहुंच रहे हैं, जो एक तरह से लावारिस रकम है। यही वजह है कि भारतीय डाक हर साल अपनी वेबसाइट पर ऐसे लावारिस छोटे बचत खातों की एक सूची जारी करता है।
# खाते में पैसा जमा है, लेकिन कोई लेने वाला नहीं!
बता दें कि पोस्ट ऑफिस स्मॉल सेविंग स्कीम के तहत संचालित किए गए कई खाते ऐसे हैं जो मैच्योरिटी के बाद भी बिना किसी दावे के पड़े रहते हैं। इन खाते में पैसा जमा है, लेकिन कोई लेने वाला नहीं है। यह कई कारणों से होता है, जैसे बिना किसी को नॉमिनी बनाए खाताधारक का निधन, सीनियर सिटीजन का खाता भूल जाना और उनके पास कोई दूसरा प्रूफ नहीं होना। ऐसे अनक्लेम्ड अकाउंट और मैच्योरिटी मनी का कारण यह है कि जमाकर्ता की मृत्यु हो गई, उसने खाते में किसी को नॉमिनी नहीं बनाया।
कई बार ऐसा भी होता है कि कुछ साल या कुछ महीनों के लिए किश्त जमा करने के बाद जमाकर्ता ने खाता चलाना बंद कर दिया। एक वरिष्ठ नागरिक ने पीपीएफ या एनएससी जैसी पोस्ट ऑफिस सेविंग स्कीम में खाता तो खोला, लेकिन वह अपने नॉमिनी को अकाउंट पेपर या पासबुक नहीं दे सका और वह कहीं खो गया। ऐसे में भी उनका अकाउंट मैच्योर होने के बाद भी वह लावारिस बने हुए हैं।
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हैरत की बात तो यह है कि इस मद में लाखों-करोड़ों रुपये सरकार के खजाने में जमा हो चुके हैं। यह आंकड़ा करोड़ नहीं बल्कि हजारों करोड़ के आसपास है। लेकिन क्या कभी आपने यह सोचने की कोशिश की है कि आखिर में इतनी बड़ी धनराशि जाती कहां है? यहां हम इसी बारे में आपको एक एक सूक्ष्म बातों की जानकारी देंगे, ताकि आप उनकी मदद कर सकें, जिनको इन अहम जानकारियों की सख्त जरूरत है।
# पोस्ट ऑफिस में लावारिस पड़े हुए हैं 9395 करोड़ रुपये, लेकिन सामने नहीं आ रहे हैं कोई दावेदार
आपको पता होना चाहिए कि देशभर में डाकघरों के बचत खातों में 9,395 करोड़ रुपये की रकम लावारिस पड़ी हुई है, लेकिन इसके कोई दावेदार सामने नहीं आ रहे हैं जिससे ये रकम दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। इनमें सर्वाधिक 2,429 करोड़ रुपये की रकम किसान विकास पत्र में लावारिस पड़े हुए हैं। इसके बाद मासिक आय योजना (मंथली इनकम स्कीम) में भी 2,056 करोड़ रुपये लावारिस पड़े हैं। इसी तरह, एनएससी में भी 1,888 करोड़ रुपये का दावा करने वाला कोई नहीं है। सबसे बड़ी बात यह है कि लावारिस पड़ी लगभग आधी रकम पश्चिम बंगाल, दिल्ली, पंजाब और उत्तर प्रदेश के डाकघरों में जमा हैं।
# डाकघर में दावा रहित राशि को कर दिया जाता है सीनियर सिटीजंस वेलफेयर फंड में ट्रांसफर
सरकार पोस्ट ऑफिस में लावारिस पड़े पैसे को सीनियर सिटीजन वेलफेयर फंड में ट्रांसफर करती है। इसी उद्देश्य से उसने वर्ष 2016 में इस फंड को स्थापित किया था। इस फंड के नियम कहते हैं कि अगर खाते की मैच्योरिटी की तारीख से 7 साल तक पैसा नहीं निकाला जाता है तो उसे सीनियर सिटीजन वेलफेयर फंड में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। हालांकि, पैसा ट्रांसफर करने से पहले जिस संस्थान में खाता चल रहा है, जमाकर्ता की जानकारी लेने की जिम्मेदारी संस्था की होती है। उसके बारे में जानकारी एकत्र करें और उसे परिपक्वता राशि लेने के लिए कहें। प्रत्येक वित्तीय वर्ष के 30 सितंबर से पहले दो बार, दावा न किए गए धन की सूचना उस खाताधारक को लिखित सूचना, ईमेल या टेलीफोन द्वारा दी जाती है। इसके बावजूद अगर कोई उस पैसे को लेने नहीं जा रहा है तो उसे वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष में भेजने की तैयारी की जाती है और वित्त वर्ष की समाप्ति से पहले ही सम्बन्धित राशि का अंतरण कर दिया जाता है। इस तरह से डाकघर की सभी छोटी बचत योजनाओं यानी पोस्ट ऑफिस स्मॉल सेविंग स्कीम्स, जैसे- डाकघर बचत खाता, आवर्ती जमा खाता, सावधि जमा खाता, मासिक आय योजना, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना खाता, किसान विकास पत्र, राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र और सुकन्या समृद्धि योजना खाता में बिना किसी दावे के यानी लावारिस पड़ा पैसा इस फंड में स्थानांतरित कर दिया जाता है।
# पोस्ट ऑफिस की वेबसाइट पर प्रतिवर्ष दी जाती है लावारिस खातों की जानकारी
संस्थान जनता की सामान्य जानकारी के लिए तैयार की गई सूची को संबंधित कार्यालयों के नोटिस बोर्ड और संबंधित संस्थान की वेबसाइट पर कम से कम 60 दिनों की अवधि के लिए दावों को आमंत्रित करने के लिए पोस्ट करेगा। भारतीय डाक हर साल अपनी वेबसाइट पर ऐसे लावारिस छोटे बचत खातों की एक सूची जारी करता है।
# पोस्ट ऑफिस की वेबसाइट से ऐसे प्राप्त करें दावा रहित छोटे बचत खातों का विवरण
अगर आप भी अपना पैसा पाना चाहते हैं तो इसके लिए इंडिया पोस्ट की वेबसाइट पर लिस्ट चेक कर सकते हैं। इंडिया पोस्ट की वेबसाइट पर जाएं और 'बैंकिंग एंड रेमिटेंस' पर क्लिक करें। इस पेज पर डाकघर बचत योजना का चयन करें। फिर सीनियर सिटीजन वेलफेयर फंड को सेलेक्ट करें। यहां आपको डाकघर के विभिन्न खातों की पूरी सूची दिखाई देगी। इस सूची में बचत बैंक, पीपीएफ, किसान विकास पत्र आदि खातों की एक सूची मिलेगी और एक बार जब आप खाते के प्रकार पर क्लिक करेंगे, तो आपको राज्यवार खाता विवरण मिलेगा। यहां आप अकाउंट टाइप पर क्लिक करें, फिर आपको स्टेट वाइज अकाउंट डिटेल्स मिल जाएंगी। आप जिस राज्य से संबंधित हैं उस पर क्लिक करके अपना नाम खोजें। इसके अनुसार पैसे निकालने की प्रक्रिया शुरू करें। इसकी जानकारी इंडिया पोस्ट की वेबसाइट पर भी मिल जाएगी।
# जानिए कि कैसे काम करता है कल्याण कोष?
वरिष्ठ नागरिक कल्याण निधि के नियमों के अनुसार, संस्था डाकघर वार्षिक आधार पर दावा न की गई निधियों की पहचान करेगी और प्रत्येक वर्ष 1 मार्च को या उससे पहले चिन्हित धनराशि को कल्याण निधि में जमा करेगी। संस्थानों द्वारा यह अंतरण शुद्ध आधार पर किया जाएगा। अर्थात्, दावा न की गई जमा राशियों में से उस समय के लिए लागू कानून के अनुसार स्वीकार किए गए दावों को घटाकर, उन खातों का जिनकी शेष राशि पहले ही निधि में अंतरित की जा चुकी है।
बता दें कि इससे पहले भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के खातों में भारी मात्रा में दावारहित रकम होने की बात सामने आई थी। अन्य बैंकिंग संस्थानों की स्थिति भी यही होगी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 31 मार्च, 2018 को लावारिस कुल रकम 15,166.47 करोड़ रुपये थी। ऐसी कंपनियों की सूची में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी जीवन बीमा निगम शीर्ष पर है, जिसके पास कुल 10,509 करोड़ रुपये का कोई दावेदार नहीं है, जबकि निजी कंपनियों के पास ऐसी रकम 4,657.45 करोड़ रुपये है।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार
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