सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों के लिए 1.5 लाख का कैशलेस इलाज, कोई प्रीमियम नहीं, क्या है ये नई स्कीम

National Health Authority
ANI
जे. पी. शुक्ला । Oct 30 2024 4:59PM

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (National Health Authority-NHA) पुलिस, अस्पतालों, राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (State Health Agency-SHA) आदि के साथ समन्वय करके पायलट कार्यक्रम के लिए कार्यान्वयन एजेंसी होगी।

भारत सरकार सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों को कम करने की अपनी प्रतिबद्धता और मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 162 के तहत कानूनी अनिवार्यता के अनुरूप, मोटर वाहनों के उपयोग से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को नकद रहित उपचार प्रदान करने के लिए एक पायलट कार्यक्रम शुरू किया है जिसके तहत वे प्रति दुर्घटना अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक नकद रहित उपचार के हकदार होंगे।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के तत्वावधान में विकसित किए गए इस पायलट कार्यक्रम की शुरुआत चंडीगढ़ में की जा रही है और इसका उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को समय पर चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना है, जिसमें गोल्डन ऑवर भी शामिल है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (National Health Authority-NHA) पुलिस, अस्पतालों, राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (State Health Agency-SHA) आदि के साथ समन्वय करके पायलट कार्यक्रम के लिए कार्यान्वयन एजेंसी होगी। 

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पायलट कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएं 

पायलट कार्यक्रम की व्यापक रूपरेखा इस प्रकार है:

- पीड़ितों को दुर्घटना की तिथि से अधिकतम 7 दिनों की अवधि के लिए प्रति दुर्घटना प्रति व्यक्ति अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक कैशलेस उपचार का लाभ मिलेगा।

- किसी भी श्रेणी की सड़क पर मोटर वाहन के उपयोग से होने वाली सभी सड़क दुर्घटनाओं पर यह नियम लागू होगा।

- आघात और बहु-आघात मामलों के लिए एबी पीएम-जेएवाई पैकेज को सह-चुना जा रहा है।

- उपचार प्रदान करने के लिए अस्पतालों द्वारा उठाए गए दावों की प्रतिपूर्ति मोटर वाहन दुर्घटना निधि से की जाएगी।

यह कार्यक्रम सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के ई-डार (e-Detailed Accident Report - eDAR) एप्लीकेशन और एनएचए के ट्रांजेक्शन मैनेजमेंट सिस्टम (Transaction Management System-TMS) की कार्यक्षमताओं को मिलाकर एक आईटी प्लेटफॉर्म के माध्यम से क्रियान्वित किया जाएगा। पायलट कार्यक्रम के परिणाम के आधार पर पूरे देश में कैशलेस उपचार सुविधा के विस्तार पर विचार किया जाएगा।

सड़क परिवहन और राजमार्ग सचिव ने हाल ही में कहा था कि दुर्घटना में घायल हुए लोगों को मुफ्त और कैशलेस चिकित्सा उपचार संशोधित मोटर वाहन अधिनियम 2019 (एमवीए2019) का एक हिस्सा है। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों ने इसे लागू कर दिया है, लेकिन अब सड़क मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर इसे पूरे देश में पूरी तरह लागू करने की कोशिश करेगा।

पायलट कार्यक्रम के मुख्य विवरण क्या हैं? 

कार्यान्वयन एजेंसी:

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) इस कार्यक्रम को लागू करेगा और पुलिस, अस्पतालों और राज्य स्वास्थ्य एजेंसी के साथ मिलकर काम करेगा। 

उद्देश्य:

इसका लक्ष्य एक ऐसी प्रणाली स्थापित करना है जो सड़क दुर्घटना के पीड़ितों को समय पर चिकित्सा सहायता सुनिश्चित करे, खासकर महत्वपूर्ण "गोल्डन ऑवर" के दौरान। (मोटर वाहन संशोधन अधिनियम 2019 के अनुसार, गोल्डन ऑवर चोट लगने के ठीक बाद का महत्वपूर्ण समय होता है जब त्वरित चिकित्सा देखभाल से बचने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।)

कवरेज:

- पीड़ितों को प्रति दुर्घटना प्रति व्यक्ति अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक का कैशलेस उपचार मिलेगा, जो दुर्घटना की तारीख से अधिकतम 7 दिनों के लिए वैध होगा।

- यह योजना किसी भी प्रकार की सड़क पर मोटर वाहनों से जुड़ी सड़क दुर्घटनाओं के सभी पीड़ितों को कवर करेगी।

- इसके अलावा, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से ट्रॉमा और पॉलीट्रॉमा पैकेज को भी इस योजना में कवर किया जाएगा।

प्रतिपूर्ति (Reimbursement):

अस्पतालों को प्रदान किए गए उपचार के लिए दावा दायर करने के बाद मोटर वाहन दुर्घटना निधि से इसकी प्रतिपूर्ति प्राप्त होगी।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) क्या है? 

- यह आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएम जेएवाई) को क्रियान्वित करने वाला शीर्ष निकाय है। 

- इसकी जिम्मेदारियों में रणनीति तैयार करना, तकनीकी अवसंरचना विकसित करना और राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के लिए "राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन" को लागू करना शामिल है। 

- यह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत एक संलग्न कार्यालय के रूप में कार्य करता है जो स्वायत्त रूप से कार्य करता है और केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता वाले एक शासी बोर्ड द्वारा इसकी देखरेख की जाती है।

- जे. पी. शुक्ला

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