आफताब शिवदासानी को व्यस्क कॉमेडी लगती है मुश्किल

प्रीटी । Mar 28 2016 4:52PM

बॉलीवुड अभिनेता आफताब शिवदासानी का कहना है कि वयस्क कॉमेडी करना आसान नहीं है। आपको ध्यान रखना पड़ता है कि कोई भी मजाक अभद्र न लगे।

अभिनेता आफताब शिवदासानी का कहना है कि वयस्क कॉमेडी करना आसान नहीं है। आपको ध्यान रखना पड़ता है कि कोई भी मजाक अभद्र न लगे। आफताब की हालिया फिल्म ‘क्या कूल हैं हम 3’ एक वयस्क कॉमेडी है। आफताब कहते हैं कि हम कोई अश्लील फिल्म नहीं बना रहे हैं। यह वयस्क कॉमेडी की आड़ में एक ‘सिचुएशन कॉमेडी’ है। इसलिए हो सकता है कि कई मजाक आपको अभद्र लगें क्योंकि वह पटकथा का हिस्सा हैं। वह कहते हैं कि एक अभिनेता के तौर पर हमें इसे इस तरह से पेश करना होता है कि ये अभद्र न लगे। फिल्म की शूटिंग के दौरान हमने हमेशा इस बात का ध्यान रखा की कुछ भी अभद्र न लगे। वह कहते हैं कि मुझे पता है कि इस तरह की फिल्मों में कभी भी कोई भी संवाद, हाव भाव आसानी से गलत तरीके से पेश हो सकता है। यह अभिनेता की क्षमता और काबिलियत पर निर्भर करता है कि वह कैसे इसे सही तरह से पेश करता है। ‘क्या कूल हैं हम 3’ में तुषार कपूर, आफताब और मंदाना करीमी मुख्य भूमिका में हैं।

आफताब कहते हैं कि बॉलीवुड में वही फिल्में बनती हैं जिन्हें पसंद किया जाता है। 'क्या कूल हैं हम' श्रृंखला की पहली फिल्में हों या इसी थीम पर बनी और फिल्में, सबने अच्छा कारोबार किया है। यहां तक कि तमाम आलोचनाओं के बावजूद 'क्या कूल हैं हम-3' भी काफी अच्छा बिजनेस कर रही है। आफताब का मानना है कि हर तरह का दर्शक वर्ग है और उसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। वह कहते हैं कि जिस दिन दर्शक ऐसी फिल्मों से ऊब जाएंगे निर्माता ऐसी फिल्मों पर पैसा लगाना बंद कर देंगे।

अब तक के कैरियर पर संतोष जताते हुए वह कहते हैं कि मैंने भले कोई बड़ा मुकाम हासिल नहीं किया हो लेकिन मेरी अधिकतर फिल्में सफल रही हैं यही वजह है कि मुझे आज भी काम मिल रहा है। टाइप्ड हो जाने को नकारते हुए वह कहते हैं कि इसमें कलाकार का कोई दोष नहीं है। यदि निर्देशक किसी कलाकार को एक-सी भूमिकाओं का ही प्रस्ताव करें तो हम क्या कर सकते हैं। आफताब ने बॉलीवुड में अपना कैरियर बतौर बाल कलाकार 1987 में शुरू किया था। वह फिल्म 'मिस्टर इंडिया' में सबसे पहले नजर आये थे। इसके बाद 1988 में वह फिल्म 'शेषनाग' और 1989 में 'चालबाज' में, 1990 में 'अव्वल नंबर', 'सीआईडी' और 1994 में 'इंसानियत' में नजर आए। 1999 में वह राम गोपाल वर्मा की फिल्म 'मस्त' में पहली बार हीरो बनकर बड़े पर्दे पर आए। इस वर्ष के लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेता का पुरस्कार भी हासिल किया। साल 2000 में आई विक्रम भट्ट की फिल्म 'कसूर' में वह लिजा रे के साथ नजर आये। इस फिल्म में अपने अभिनय के लिए उन्हें नकारात्मक भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला।

आफताब की बतौर नायक अथवा सह-नायक के रूप में प्रदर्शित फिल्मों में 'मस्त', 'लव के लिए कुछ भी करेगा', 'प्यार इश्क और मोहब्बत', 'कोई मेरे दिल से पूछे', 'क्या यही प्यार है', 'आवारा पागल दीवाना', 'जानी दुश्मन- एक अनोखी प्रेम कहानी', 'प्यासा सूरज', 'डरना मना है', 'हंगामा', 'फुटपाथ', 'सुनो ससुर जी', 'मुस्कान', 'मस्ती', 'शुक्रिया', 'कोई आप सा', 'दीवाने हुए पागल', 'मिस्टर या मिसेज', 'शादी से पहले', 'अनकही', 'दरवाजा बंद रखो', 'जाने होगा क्या', 'निशब्द', 'रेड़', 'लाइफ में कभी कभी', 'स्पीड', 'दस कहानियां', 'दे ताली', 'मनी है तो हनी है', 'आलू चाट', 'डैडी कूल', 'कमबख्त इश्क', 'एसिड फैक्टरी', 'आओ विश करें', 'बिन बुलाये बाराती', 'प्लेयर्स', '1920- एविल रिटर्न्स', 'ग्रैंड मस्ती', 'क्या कूल हैं हम-3' शामिल हैं। उनकी आने वाली फिल्म है 'ग्रेट ग्रैंड मस्ती'।

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