Ayodhya से Abu Dhabi तक... PM Modi ने दुनिया को सनातन संस्कृति की विशिष्टि और शक्ति से परिचित करा दिया
मंदिर को ‘शिल्प’ और ‘स्थापत्य शास्त्रों’ में वर्णित निर्माण की प्राचीन शैली के अनुसार बनाया गया है। ‘शिल्प’ और ‘स्थापत्य शास्त्र’ ऐसे हिंदू ग्रंथ हैं, जो मंदिर के डिजाइन और निर्माण की कला का वर्णन करते हैं। मंदिर में वास्तुशिल्प पद्धतियों के साथ वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले महीने अयोध्या में भव्य राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की थी और अब उन्होंने अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया है। अयोध्या में उन्होंने जहां 500 साल पुराना हिंदुओं का सपना सच किया वहीं एक मुस्लिम देश यूएई में भी असंभव को संभव करके दिखा दिया। हम आपको बता दें कि अबू धाबी में जो पहला हिंदू मंदिर बना है उसके लिए पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही की थी। मंदिर के लिए जमीन संयुक्त अरब अमीरात ने दान में दी। मंदिर का निर्माण कार्य 2019 में शुरू हुआ और अब इसके द्वार श्रद्धालुओं के लिए खुल चुके हैं। अयोध्या से अबू धाबी तक के इस सफर में मोदी ने पूरी दुनिया को सनातन संस्कृति से तो अवगत कराया ही है साथ ही सनातन की शक्ति का प्रदर्शन भी किया है। बात चाहे अयोध्या की हो या अबू धाबी की, दोनों ही जगह जिस तादाद में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी वह दर्शा रही है कि सिर्फ पुरानी ही नहीं बल्कि आज की पीढ़ी भी अपने धर्म और संस्कृति पर गर्व करती है और उसके साथ जुड़ना चाहती है।
कैसा दिखता है अबू धाबी का मंदिर
अयोध्या के भव्य, नव्य और दिव्य राम मंदिर के बारे में तो आप सब जान ही चुके हैं इसलिए आज हम आपको बताते हैं कि अबू धाबी में जिस पहले हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया गया है वह कैसा दिखता है। हम आपको बता दें कि इस मंदिर को वैज्ञानिक तकनीकों और प्राचीन वास्तुकला विधियों का उपयोग करके बनाया गया है। दुबई-अबू धाबी शेख जायेद हाइवे पर अल रहबा के समीप स्थित बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) द्वारा निर्मित यह हिंदू मंदिर करीब 27 एकड़ जमीन पर बनाया गया है। इस मंदिर में तापमान मापने और भूकंपीय गतिविधि पर नजर रखने के लिए उच्च तकनीक वाले 300 से अधिक सेंसर लगाए गए हैं। मंदिर के निर्माण में किसी भी धातु का उपयोग नहीं किया गया है और नींव को भरने के लिए उड़न राख यानी ‘फ्लाई ऐश’ (कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से निकलने वाली राख) का उपयोग किया गया है। इस मंदिर को करीब 700 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है।
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हम आपको बता दें कि इस भव्य मंदिर को ‘शिल्प’ और ‘स्थापत्य शास्त्रों’ में वर्णित निर्माण की प्राचीन शैली के अनुसार बनाया गया है। ‘शिल्प’ और ‘स्थापत्य शास्त्र’ ऐसे हिंदू ग्रंथ हैं, जो मंदिर के डिजाइन और निर्माण की कला का वर्णन करते हैं। मंदिर में वास्तुशिल्प पद्धतियों के साथ वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। तापमान, दबाव और गति (भूकंपीय गतिविधि) को मापने के लिए मंदिर के हर स्तर पर उच्च तकनीक वाले 300 से अधिक सेंसर लगाए गए हैं। सेंसर अनुसंधान के लिए लाइव डेटा प्रदान करेंगे। यदि क्षेत्र में कोई भूकंप आता है, तो मंदिर इसका पता लगा लेगा।
हम आपको बता दें कि इसके अलावा मंदिर में गर्मी प्रतिरोधी नैनो टाइल और भारी ग्लास पैनल का उपयोग किया है जो पारंपरिक सौंदर्यात्मक पत्थर संरचनाओं और आधुनिक कार्यक्षमता का मेल है। संयुक्त अरब अमीरात में अत्यधिक तापमान के बावजूद श्रद्धालुओं को गर्मी में भी इन टाइल पर चलने में दिक्कत नहीं होगी। मंदिर में अलौह सामग्री का भी प्रयोग किया गया है। साथ ही मंदिर के दोनों ओर गंगा और यमुना का पवित्र जल बह रहा है जिसे बड़े-बड़े कंटेनर में भारत से लाया गया है। जिस ओर गंगा का जल बहता है वहां पर एक घाट के आकार का एम्फीथिएटर बनाया गया है।
हम आपको बता दें कि मंदिर के अग्रभाग पर बलुआ पत्थर पर उत्कीर्ण संगमरमर की नक्काशी है, जिसे राजस्थान और गुजरात के कुशल कारीगरों द्वारा 25,000 से अधिक पत्थर के टुकड़ों से तैयार किया गया है। मंदिर के लिए उत्तरी राजस्थान से अच्छी-खासी संख्या में गुलाबी बलुआ पत्थर अबू धाबी लाया गया है। साथ ही मंदिर के निर्माण के लिए 700 से अधिक कंटेनर में दो लाख घन फुट से अधिक ‘पवित्र’ पत्थर लाया गया है।
इसके अलावा, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के सात अमीरातों का प्रतिनिधित्व करने वाले सात शिखर, ऊंटों की नक्काशी और राष्ट्रीय पक्षी बाज अबू धाबी में पत्थरों से बने पहले हिंदू मंदिर में मेजबान देश की झलक भी पेश करता है। हम आपको बता दें कि सात शिखरों पर भगवान राम, भगवान शिव, भगवान जगन्नाथ, भगवान कृष्ण, भगवान स्वामीनारायण, तिरूपति बालाजी और भगवान अयप्पा की मूर्तियां हैं। सात शिखर संयुक्त अरब अमीरात के सात अमीरात का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। सात शिखर सात महत्वपूर्ण देवताओं को समर्पित हैं। ये शिखर संस्कृतियों और धर्मों के परस्पर संबंध को रेखांकित करते हैं। आम तौर पर, मंदिरों में या तो एक शिखर होता है या तीन या पांच शिखर होते हैं, लेकिन यहां सात शिखर सात अमीरात की एकता के प्रति आभार व्यक्त करते हैं। हम आपको बता दें कि इन शिखरों का उद्देश्य बहुसांस्कृतिक परिदृश्य में एकता और सद्भाव को बढ़ावा देना है। कुल 108 फुट ऊंचा यह मंदिर क्षेत्र में विविध समुदायों के सांस्कृतिक एकीकरण का मार्ग प्रशस्त करेगा।
उल्लेखनीय है कि मेजबान देश को समान प्रतिनिधित्व देने के लिए भारतीय पौराणिक कथाओं में हाथी, ऊंट और शेर जैसे महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले जानवरों के साथ-साथ यूएई के राष्ट्रीय पक्षी बाज को भी मंदिर के डिजाइन में शामिल किया गया है। दृढ़ता, प्रतिबद्धता और धीरज के प्रतीक ऊंट को संयुक्त अरब अमीरात के परिदृश्य से प्रेरणा लेते हुए मंदिर की नक्काशी में उकेरा गया है। मंदिर में रामायण और महाभारत सहित भारत की 15 कहानियों के अलावा माया, एजटेक, मिस्र, अरबी, यूरोपीय, चीनी और अफ्रीकी सभ्यताओं की कहानियों को भी दर्शाया गया है। मंदिर में ‘शांति का गुंबद’ और ‘सौहार्द का गुंबद’ भी बनाया गया है।
हम आपको बता दें कि संयुक्त अरब अमीरात में तीन और हिंदू मंदिर हैं जो दुबई में स्थित हैं। लेकिन अद्भुत वास्तुशिल्प और नक्काशी के साथ एक बड़े इलाके में फैला बीएपीएस मंदिर खाड़ी क्षेत्र में सबसे बड़ा मंदिर होगा। मंदिर में मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा बुधवार सुबह शुरू हुई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने शाम को भव्य मंदिर के उद्घाटन समारोह का नेतृत्व किया जो 10 फरवरी को मंदिर में शुरू हुए ‘सद्भावना महोत्सव’ के समापन का प्रतीक है।
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