China को अमेरिका में जासूसी गुब्बारा इसलिए भेजना पड़ा क्योंकि चीनी उपग्रह 'खास' जानकारी नहीं दे पा रहे?

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Prabhasakshi
गौतम मोरारका । Feb 4 2023 12:04PM

जहां तक अमेरिका में आये चीनी गुब्बारे की बात है तो आपको बता दें कि अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय पेंटागन ने बताया है कि अमेरिका के हवाई क्षेत्र में चीनी जासूसी गुब्बारा देखा गया है जिसका आकार ‘‘तीन बसों’’ के बराबर बताया जा रहा है।

चीन दुनिया का सबसे ताकतवर देश भले नहीं है लेकिन जासूसी के मामले में वह दुनिया में सबसे बड़ा चैम्पियन है। अमेरिका सहित दुनिया के तमाम देशों में अपने अवैध चीनी पुलिस स्टेशनों का संचालन हो, अमेरिका में लगातार घुसपैठ करने के प्रयास हों या फिर मोनटाना इलाके में विशालकाय गुब्बारे के माध्यम से अमेरिका की जासूसी कराने की बात हो...ड्रैगन हर वह कदम आजमा रहा है जोकि उसे दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति अमेरिका के बारे में गुप्त जानकारियां मुहैया करा सकता है। चीन को लेकर अमेरिका की चिंता स्वाभाविक भी है क्योंकि हाल के दिनों में अमेरिका में कई स्थानीय लोगों के पास से चीनी हथियार बरामद हुए, अमेरिकी सेना में चीनी जासूस पकड़ा गया इसके अलावा हालिया कई साइबर हमलों में चीन का हाथ सामने आया जिससे बाइडन प्रशासन चिंतित नजर आ रहा है।

जहां तक अमेरिका में आये चीनी गुब्बारे की बात है तो आपको बता दें कि अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय पेंटागन ने बताया है कि अमेरिका के हवाई क्षेत्र में चीनी जासूसी गुब्बारा देखा गया है जिसका आकार ‘‘तीन बसों’’ के बराबर बताया जा रहा है। पेंटागन के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल पैट राइडर के मुताबिक, अमेरिकी सरकार को एक जासूसी गुब्बारे का पता चला है और उस पर नज़र रखी जा रही है। पैट राइडर ने कहा, ‘‘गुब्बारे के बारे में पता चलते ही अमेरिकी सरकार ने संवेदनशील जानकारी को सुरक्षित रखने के लिए तुरंत कार्रवाई की।’’ उन्होंने कहा कि गुब्बारा वाणिज्यिक हवाई क्षेत्र से काफी ऊंचाई पर है और इससे जमीन पर लोगों को कोई खतरा नहीं है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को इस घटना के बारे में जानकारी दी गई है और पेंटागन इससे निपटने के लिए तमाम विकल्पों पर गौर कर रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की चीन यात्रा से कुछ दिन पहले यह घटना घटी है।

वैसे जिस क्षेत्र में चीनी जासूसी गुब्बारा उड़ता दिखाई दिया वहां सैन्य लिहाज से अमेरिका के महत्वपूर्ण ठिकाने हैं। अमेरिका में सवाल यह भी उठ रहा है कि यह गुब्बारा आखिर वहां तक पहुँचा कैसे और क्यों पहले इस पर नजर नहीं पड़ी? अमेरिका में विपक्ष ने यह भी सवाल किया है कि क्यों चीनी गुब्बारे को गिराने के लिए तत्काल आदेश नहीं जारी किये गये? इस संबंध में हालांकि अमेरिकी सरकार का कोई आधिकारिक बयान तो नहीं आया है लेकिन बताया जा रहा है कि ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल मार्क मिली और अमेरिकी उत्तरी कमान के जनरल ग्लेन वैनहर्क ने जमीन पर लोगों की सुरक्षा को संभावित खतरे के मद्देनजर कार्रवाई करते समय विशेष सावधानी बरतने को कहा है। बताया जा रहा है कि चीनी गुब्बारे पर कार्रवाई करने के लिए अमेरिका के एफ-22 लड़ाकू विमानों को तैयार रखा गया है। हालांकि अमेरिकी सरकार की पहली प्राथमिकता यही दिखी कि संवेदनशील सूचनाओं को विदेशियों के हाथ लगने से रोका जाये। अमेरिकी अधिकारियों का यह भी कहना है कि जासूसी गुब्बारा नागरिक उड्डयन के लिए कोई खतरा नहीं था क्योंकि वह वाणिज्यिक एयरलाइनों द्वारा उपयोग की जाने वाली हवाई ऊंचाई से "काफी" ऊपर था। अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि चीन अपने उपग्रहों का उपयोग करके पहले ही जो जानकारी एकत्र कर सकता है, उससे अधिक जानकारी यह जासूसी गुब्बारा हासिल नहीं कर पायेगा।

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उधर, मोनटाना क्षेत्र जहां चीनी जासूसी गुब्बारा दिखा है वह कम आबादी वाला क्षेत्र भले है लेकिन अमेरिका के लिए यह क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहीं पर अमेरिकी एयरफोर्स का स्पेशल बेस है, साथ ही यहां पर अमेरिका के कुछ परमाणु ठिकाने भी बताये जा रहे हैं। खबरें हैं कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग जल्द ही रूस का दौरा करने जा रहे हैं इसलिए यह चीन का एक प्रयास भी हो सकता है कि अमेरिका की परमाणु ताकत का अंदाजा लगाया जाये और उस पर जिनपिंग अपने रूस दौरे के दौरान राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से चर्चा कर सकें। 

बात अमेरिका में चीनी पुलिस स्टेशनों की करें तो आप भी इसके बारे में सुनकर चौंक जाएंगे क्योंकि अमेरिका में सुरक्षा के कितने सख्त प्रबंध होते हैं यह किसी से छिपा नहीं है खासकर 9/11 के बाद से अमेरिका में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये जाते हैं लेकिन ऐसे सभी सुरक्षा इंतजामों को भेदते हुए चीन अमेरिका के मैनहट्टन में अपना एक पुलिस स्टेशन चला रहा था। पिछले महीने न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि आपराधिक मामले की जांच के तहत एफबीआई ने चीनी इमारत से दस्तावेजों को जब्त किया था। यह जांच पिछले साल चाइनाटाउन की एक इमारत में हुई थी। बताया जाता है कि मैनहट्टन स्थित चीनी 'पुलिस स्टेशन' के बारे में सबसे पहले एनजीओ सेफगार्ड डिफेंडर्स की एक रिपोर्ट ने खुलासा करते हुए बताया था कि अमेरिका, सर्बिया और फ्रांस समेत कई देशों में विभिन्न चीनी प्रांतों और शहरों की ओर से 100 से अधिक पुलिस स्टेशनों का संचालन किया जा रहा है। रिपोर्ट में बताया गया था कि अमेरिका में चार चीनी पुलिस स्टेशन काम कर रहे हैं जिनमें से दो न्यूयॉर्क, एक लॉस एंजिल्स और एक अन्य जगह पर स्थित है।

क्या काम करते हैं दूसरे देशों में स्थित चीनी पुलिस स्टेशन?

हम आपको बता दें कि चीन के इन पुलिस स्टेशनों का काम होता है कि उस देश की खुफिया जानकारी चीन तक पहुँचाएं। यही नहीं, यह चीनी पुलिस स्टेशन स्थानीय अधिकारियों का सहयोग लिये बिना विदेशों में आपराधिक मामलों को सुलझाने जैसे साहसिक काम भी करते हैं। यह चीनी पुलिस स्टेशन उस देश में रह रहे चीनी नागरिकों की छोटे-मोटे सरकारी कामों में भी मदद करते हैं। इन चीनी स्टेशनों का यह भी काम होता है कि पश्चिमी देशों में अपनी सरकार से असंतुष्ट लोगों पर नजर रखें और उन्हें जासूसी के लिए प्रेरित करें। यही नहीं, यह चीनी पुलिस स्टेशन विदेशों में चीन से भागकर आये भगोड़ों को पकड़ कर उन्हें स्वदेश वापसी पर मजबूर भी करते हैं।

बात चीनी पुलिस स्टेशनों की ही नहीं है। लगातार चीन नागरिक अमेरिका में अवैध तरीकों से प्रवेश के प्रयास कर रहे हैं जिसको देखते हुए अमेरिका ने निगरानी भी तेज कर दी है। हाल में कई चीनी नागरिकों को पकड़ा गया है और उनके पास से आपत्तिजनक चीजें भी बरामद की गयी हैं। इन सब विषयों को चीन सरकार के समक्ष राजनयिक स्तर पर उठाया भी गया है।

बहरहाल, अमेरिका में जो चीनी जासूसी गुब्बारा दिखा है उसके बारे में बताया जा रहा है कि यह चीन का बहुत बड़ा दुस्साहस है और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन इसे लेकर काफी नाराज हैं। वहीं चीन का कहना है कि वह अमेरिका के ऊपर जासूसी गुब्बारे उड़ने की खबरों पर गौर कर रहा है। उसने कहा है कि वह कानून का पालन करता है और उसकी हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करने की कोई मंशा नहीं है। लेकिन चीन की इस बात पर कोई विश्वास करने को राजी नहीं है क्योंकि चीन दूसरे देशों में अतिक्रमण करने और दूसरे देशों की हवाई सीमा का उल्लंघन करने के लिए ही जाना जाता है।

-गौतम मोरारका

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