बांग्लादेश पर अराकान आर्मी का हमला, भारत के सामने सुनहरा अवसर

Bangladesh flag
Creative Commons licenses
जगदीश यादव । Dec 19 2024 12:30PM

बांग्लादेश में इन दिनों कट्टरपंथियों के बढ़ गए वर्चस्व के कारण स्थानीय मीडिया भी मौन है। बांग्लादेश व म्यांमार की सीमा पर अराकान आर्मी और बांग्लादेशी बलों के बीच लगातार गोलीबारी हुई है। हालात तो यह है कि सीमा के करीब बांग्लादेशी आर्मी मैदान छोड़कर भाग खड़ी भी हुई है।

बांग्लादेश एक भीषण संकट से घिर गया है। उसे उसकी औकात पता चल गई है। बांग्लादेश जिस वक्त भारत को धमकी देने में व्यस्त था और अपने देश में हिंदुओं पर हो रहे हमले पर मौन था ठीक उसी वक्त उस पर बहुत बड़ा हमला हुआ है। म्यांमार की विद्रोही अराकान आर्मी ने बांग्लादेश की 271 किलोमीटर की सीमा पर कब्जा कर लिया है। वहां रॉकेट लांचर और ड्रोन से भी भीषण हमले की बात कही जा रही है। यानी बड़बोले बांग्लादेश की हालात अभी खुद को सुरक्षित करने में है। क्यों की अराकान आर्मी के हमले के बाद वहां की जनता में दहशत है। आरोप लगाया जा रहा है कि उक्त हमले भारत के संकेत पर किए जा रहे है। बांग्लादेश के हालात तो यह है कि, वहां राजनीतिक और आर्थिक संकट के साथ, अब देश की सीमाएं भी खतरे में आ गई हैं। म्यांमार की उग्रवादी अराकान आर्मी (एए) ने बांग्लादेश के टेकनाफ क्षेत्र के तमाम हिस्सों पर कब्जा कर कर दना दन हमले कर रही है। 

बांग्लादेश में इन दिनों कट्टरपंथियों के बढ़ गए वर्चस्व के कारण स्थानीय मीडिया भी मौन है। बांग्लादेश व म्यांमार की सीमा पर अराकान आर्मी और बांग्लादेशी बलों के बीच लगातार गोलीबारी हुई है। हालात तो यह है कि सीमा के करीब बांग्लादेशी आर्मी मैदान छोड़कर भाग खड़ी भी हुई है। भले ही इस मुद्दे पर बांग्लादेश सरकार ने अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। लेकिन उसकी हालत सांप छछूंदर की हो गई है। अराकान आर्मी ने जिस जगह पर अपना ठोस कब्जा कर रखा है बांग्लादेश का यह क्षेत्र गहरे जंगलों और पहाड़ों से घिरा हुआ है। अराकान आर्मी के पास बांग्लादेशी सेना की तुलना में कहीं बेहतर युद्ध कौशल वाले लड़ाके है। इसलिए, बीजीबी के लिए ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियों में लंबे समय तक अराकान का विरोध करना संभव नहीं था। 

इसे भी पढ़ें: 2004 Chittagong armory case: फिर दिखा बांग्लादेश का दोहरा चरित्र, ULFA नेता परेश बरुआ की मौत की सजा रद्द

सैन्य विशेषज्ञ कह रहे है कि, चटगांव की ज़मीन खोने के बाद ढाका अब तक इस बारे में अपना मुंह नहीं खोल रहा है। बांग्लादेश की हेकड़ी निकल गई है। यूनुस सरकार अपनी कमज़ोरी छुपा रही है। हालात तो यह है कि बांग्लादेश की सुरक्षा एजेंसियां इस स्थिति पर काबू पाने में नाकाम हो रही हैं। देखा जाए तो अराकान आर्मी बांग्लादेश के लिए भस्मासुर बन गई है। आराकान आर्मी जिसने बांग्लादेश के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। वह म्यांमार की सेना से लड़ते भी रही है। इनके पास करीब 30 हजार लड़ाके और उन्नत हथियार है। जानकारों की माने तो अराकान आर्मी बांग्लादेश पर इस तरह से हमले का साहस नहीं कर पता अगर बांग्लादेश के साथ भारत के रिश्ते बेहद खराब नहीं होते। अराकान आर्मी को पता है कि आज भारत व बांग्लादेश के बीच जिस तरह का तनाव व हालात है उक्त स्थिति में भारत बांग्लादेश की मदद के लिए किसी तरह का सैन्य सहायता नहीं दे सकता है। क्यों कि पिद्दी सा देश बांग्लादेश जिसका जन्म भारत के रहमो करम पर हुआ है। वहीं देश मौलवादी विचार धारा रखने वालों के उकसावे पर भारत से रिश्ते बेहद खराब कर चुका है। इसके साथ ही वह चीन के साजिश में भी फंसता जा रहा है। 

देखा जाए तो आज बांग्लादेश के प्रमुख कहे जाने वाले यूनुस की आंखों की नींद भी उड़ गई होगी। कुटनीति के जानकारों का मामना है कि फिलहाल बांग्लादेश के जो हालात है और एक तरह से अराकान आर्मी ने इस देश को औकात समझा दी है। इस स्थिति का भारत को फायदा उठाना होगा। अगर भारत इसमे सफल हुआ तो भारत का एहसान फरामोश बांग्लादेश के कई टुकड़े करवाये जा सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो दुनिया में भारत का डंका बज सकता है और मौलवादी उग्रवादी मानसिकता के लोगों को गहरा धक्का लगेगा। 

- जगदीश यादव

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है)। 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़