संन्यासी मुख्यमंत्री ने कर दिया उत्तर प्रदेश का अकल्पनीय कायाकल्प
भारत में संन्यासी का अर्थ पूजा-पाठ में लिप्त अथवा कंदराओं में अपने मोक्ष के लिए साधनारत संसार से दूर तपस्वी नहीं बल्कि जगत के हित में ईश्वरीय आराधना देखने वाला वीतरागी माना गया है। लेकिन देखिये कैसे योगी आदित्यनाथ ने लोगों के हितों को पूरा करने के लिए कठिन साधना की।
बीस करोड़ से अधिक की जनसंख्या, देश का सबसे बड़ा प्रदेश जिसमें हैं 80 संसदीय क्षेत्र, जो वास्तव में प्रधानमंत्री बनाते हैं और उस प्रदेश को यदि संन्यासी मुख्यमंत्री के रूप में कायाकल्प की दिशा में ले जाए तो इसे एक राजनीतिक चमत्कार ही कहेंगे। योगी आदित्यनाथ की सरकार के तीन साल पूरे हो गए तो इन तीन वर्षों में उन्होंने जेहादी, इस्लामी तत्वों की अराजकता पर इस तरह नकेल कसी कि दंगाई देश के इतिहास में पहली बार सरकार को हर्जाना देते हुए देखे गए। और उनके नाम जिला मुख्यालयों के चौराहों पर कानून बनाकर प्रदर्शित किए गए जो स्वयं में एक अभूतपूर्व दंड है।
इस देश ने विदेशी आक्रमणकारियों के हमलों में बेहद दुःखों और संत्रास झेला। हमारे पूर्वजों ने अपनी आंखों के सामने अपने परिवार के सदस्यों का मारा जाना देखा। उन्होंने अपनी आस्था के स्थानों का क्रूर विध्वंस देखा। उन्होंने अपनी भाषा और संस्कारों का पद दलन और तिरस्कार देखा। स्वतंत्रता के बाद लगता था कि सदियों की दुःख भरी कालरात्रि बीती और अब स्वत्व के उदय का नवीन सूर्य हम देख पाएंगे लेकिन ब्रिटिश जूतों में सेक्युलर नेताओं और अफसरों ने वह कालरात्रि और लंबी की। यह डॉ. हेड़गेवार के संस्कारों में रचे-पगे संघ स्वयंसेवकों के धैर्य, तप और बलिदानों का परिणाम है कि उस ब्रिटिश एवं मुगल दास मानसिकता की रात्रि का अंत नरेंद्र मोदी युग में प्रारंभ हुआ तथा हमें योगी आदित्यनाथ जैसे मुख्यमंत्री मिले जिन्होंने अराजकता और संस्कृति विध्वंसकों के जाल से देश के सबसे बड़े प्रदेश को मुक्त किया और राम मनोहर लोहिया के शब्दों में भारत के जो तीन स्वप्न हैं- अर्थात् राम, कृष्ण और शिव, उन्हें साकार करने की ओर बढ़े।
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भारत में संन्यासी का अर्थ पूजा-पाठ में लिप्त अथवा कंदराओं में अपने मोक्ष के लिए साधनारत संसार से दूर तपस्वी नहीं बल्कि जगत के हित में ईश्वरीय आराधना देखने वाला वीतरागी माना गया है। स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मठ की स्थापना करते हुए उसका उद्घोष वाक्य 'आत्मनो मोक्षार्थ जगत् हिताय च' रखा अर्थात् जगत के हित में ही अपना मोक्ष है। यही वह भाव रहा कि संन्यासियों ने योगियों और वीतरागियों ने धर्म ओर देश पर आक्रमण करने वालों के विरुद्ध संघर्ष किए, युद्ध किए, बलिदान दिए। इन्हीं संन्यस्त योद्धाओं की गाथा बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने अपने विश्व प्रसिद्ध उपन्यास आनंद मठ में पिरोयी। यह वही महान उपन्यास है जिसने देश को वंदे मातरम् का घोष और वंदे मातरम राष्ट्रगीत दिया जो मूल रूप से इसी उपन्यास में वर्णित है। यह उपन्यास वीतरागी साधुओं के अंग्रेजों के विरुद्ध स्वतंत्रता संघर्ष की लड़ाई का अग्निधर्म आख्यान है जो हर देशभक्त के हृदय को स्पंदित करता है।
आज जब मैं देश के राजनीतिक और प्रशासिक क्षितिज पर योद्धा संन्यासी की तरह उभरे योगी आदित्यनाथ के कामकाज और उन्हें शासन व्यवस्था का वीरोचित नेतृत्व करते देखता हूं तो मुझे अनायास आनंद मठ के सत्यानंद का स्मरण हो आता है जिन्होंने उपन्यास के दो देशभक्त नायकों महेंद्र तथा कल्याणी की रक्षा कर उनके सामने जगत जननी भारत माता के तीन रूप दिखाए थे। पहला- वह रूप जो भारत माता का था- अर्थात् जगद्धात्री देवी, दूसरा- वह रूप जो उस समय भारत माता बन गई थीं अर्थात् काली माता और तीसरा रूप है जो भारत माता भविष्य में बनेंगी अर्थात देवी दुर्गा।
मैं योगी आदित्यनाथ जी से संसद में अक्सर मिलता था। वे राष्ट्रभक्ति की अग्नि से पूरिपूर्ण संन्यासी के नाते तब भी अपनी अलग पहचान रखते थे। प्रायः उन पर उनके प्रखर राष्ट्रीय विचारों के कारण तीव्र प्रहार भी होते थे। उन्होंने कभी उनकी चिंता नहीं की और इंद्रप्रस्थ क्षेत्र में स्थित लौह स्तंभ गरूड़ ध्वज की भांति अपनी धुरी पर टिके रहे।
समय ने करवट बदली और नरेंद्र मोदी को धन्यवाद कि उन्होंने योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद हेतु चुना। एक लंबी सूची है उन्होंने आते ही शासन-प्रशासन में कैसे अनुशासन भरा, भारतीय राष्ट्रीय सांस्कृतिक धारा पर होने वाले आघात रोके, हिंदू श्रद्धालु समाज की भावनाओं पर हमलों का पदाक्रांत किया, विकास और औद्योगिक क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पूंजी निवेश बढ़ाया, अराजक और ध्वस्त कानून-व्यस्था वाले प्रदेश को ऐसे तंत्र में बदला जहां दुष्ट को क्षमा नहीं, अपराधियों को कानून से डर हो और सज्जनों को अभय मिले।
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न केवल मुस्लिम महिलाओं को योगी सरकारी ने तीन तलाक के कहर से बचाने के लिए विशेष अभियान चलाया बल्कि मदरसों में चल रही वैचारिक अतिवादिता की शिक्षा के बजाए उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए कदम उठाए और मुस्लिम लड़कियों की शादी के लिए भी योजना बनाई।
मेरे जानकार एक उच्च पदस्थ सैन्य अधिकारी अवकाश ग्रहण करने के बाद अपने गांव देवरिया गए तो उनके हर्ष का ठिकाना नहीं था कि जिस गांव में मुख्य सड़क तक नहीं मिलती थी वहां उनके पुराने घर के सामने से पक्की सड़क गुजर रही है। श्री नितिन गडकरी के सक्रिय सहयोग और नेतृत्व से योगी जी 344.82 किलोमीटर पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे , 296.70 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे और 596 किलोमीटर गंगा एक्सप्रेस-वे को लाए जो सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश का चेहरा ही बदल देंगे।
दिल्ली के निकट जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा दिल्ली के मुख्य हवाई अड्डे के समानांतर होगा जो 4.68 लाख करोड़ के पूंजी निवेश के प्रकल्पों के लिए वरदान सिद्ध होगा। सूची में हजार ऐसी चीजें हैं- गन्ना किसानों के लिए नवीन आय के फैसले (92 हजार करोड़ के भुगतान हो भी गए), खेतों के पास तालाब की योजना तथा महामारियों की रोक के लिए विशेष स्वास्थ्य अभियान, पहली बार शिक्षा के सत्रों का समय पर होना, दफ्तरों में अनुशासन इत्यादि।
लेकिन इससे भी बढ़कर है कि उत्तर प्रदेश में अयोध्या, मथुरा, काशी और गंगा मैया सम्पूर्ण भारत के स्वाभिमान की प्राणवाहिकाएं हैं। देश केवल भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति का नाम नहीं है। मनुष्य की तरह राष्ट्र का भी प्राण होता है। योगी आदित्यनाथ ने उस प्राण को पहचाना और सांस्कृतिक आनंद मठ की योद्धा भावना के अनुरूप अराजक संस्कृतिद्रोहियों को ललकराते हुए भारत भक्ति की ध्वजा को विकास के पथ पर लहराया। यह बहुत बड़ी बात है, आने वाला इतिहास इस युग को भारतीयता के नवीन उदय के नाते देखेगा।
-तरूण विजय
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं पूर्व राज्यसभा सांसद हैं।)
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