चोरी पकड़े जाने पर धर्म और जाति की आड़ में छिपने का चलन बढ़ता जा रहा है

Manish Sisodia
ANI

यदि हमारे देश के महान योद्धा और महापुरुष अपने संघर्षों के दौरान जाति, समाज या धर्म की आड़ लेते तो वह कभी महान नहीं बन पाते। महापुरुष किसी एक जाति या समाज के नहीं बल्कि पूरे देश के होते हैं और हर देशवासी को उन पर गर्व होता है।

देश में एक चलन बढ़ता जा रहा है कि यदि कोई किसी मामले में फँसता है तो आरोप लगाने लगता है कि उसे उसके धर्म या समाज के कारण निशाना बनाया जा रहा है। दिल्ली के शराब मंत्री रहे मनीष सिसोदिया को ही लीजिये, शराब घोटाला मामले में वह फँसे तो कहने लगे कि मैं महाराणा प्रताप का वंशज हूँ और झुकुँगा नहीं। सिसोदिया पर सीबीआई कार्रवाई के चलते उनके समर्थक सोशल मीडिया पर अभियान चला रहे हैं कि भाजपा राजपूत समाज के खिलाफ है। कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश में जब गैंगस्टर विकास दुबे मारा गया था तब आरोप लगाया गया कि भाजपा ब्राह्मणों के खिलाफ है। दिल्ली दंगा तथा अन्य मामलों में उमर खालिद और शरजील इमाम जेल गये तो आरोप लगाया गया कि भाजपा के राज में मुस्लिमों को परेशान किया जा रहा है।

इसे भी पढ़ें: भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करना जरूरी है, मगर यह एकतरफा नहीं होनी चाहिए

आपको ऐसे ही अनेकों उदाहरण मिल जाएंगे जब किसी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई को उसके समाज या धर्म से जोड़ दिया गया। जब आप कोई गलत काम कर रहे होते हैं तब आपको अपने वंश, समाज या धर्म की प्रतिष्ठा की कोई चिंता नहीं होती इसलिए सवाल उठता है कि जब चोरी पकड़ी जाती है तो धर्म, समाज या वंश की आड़ में छिपने का प्रयास क्यों होता है? आज जो लोग महाराणा प्रताप का नाम लेकर उनके पीछे छिपने का प्रयास कर रहे हैं उनको पता होना चाहिए कि महाराणा प्रताप जी ने भी काफी संघर्ष किये लेकिन कभी कोई आड़ नहीं ली।

यदि हमारे देश के महान योद्धा और महापुरुष अपने संघर्षों के दौरान जाति, समाज या धर्म की आड़ लेते तो वह कभी महान नहीं बन पाते। महापुरुष किसी एक जाति या समाज के नहीं बल्कि पूरे देश के होते हैं और हर देशवासी को उन पर गर्व होता है। इसलिए चोरी पकड़े जाने पर अपने वंश, जाति या धर्म की दुहाई देने का चलन बंद होना चाहिए। कानून भी यही कहता है कि अपराधी या आरोपी की कोई जाति या धर्म नहीं होता।

-नीरज कुमार दुबे

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़