सामूहिक प्रयत्नों से सफलता अवश्य मिलती है यह कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत ने सिद्ध किया

corona vaccines

16 जनवरी से वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत हुई थी। शुरुआती 20 करोड़ वैक्सीन डोज देने में 131 दिन का समय लगा। अगले 20 करोड़ डोज 52 दिन में दिए गए। 40 से 60 करोड़ डोज देने में 39 दिन लगे। 60 करोड़ से 80 करोड़ डोज देने में सबसे कम, सिर्फ 24 दिन का समय लगा।

हमारे शास्त्रों में कहा गया है, ‘त्याज्यम् न धैर्यम्, विधुरेऽपि काले’। अर्थात, कठिन से कठिन समय में भी हमें धैर्य नहीं खोना चाहिए। किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए हम सही निर्णय लें, सही दिशा में प्रयास करें, तभी हम विजय हासिल कर सकते हैं। इसी मंत्र को सामने रखकर भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कोरोना वैक्सीन के 100 करोड़ डोज का आंकड़ा पूरा कर इतिहास रच दिया है। 100 साल में आई सबसे बड़ी महामारी का मुकाबला करने के लिए अब पूरे देश के पास 100 करोड़ वैक्सीन डोज का मजबूत सुरक्षा कवच है। ये उपलब्धि भारत की है, भारत के प्रत्येक नागरिक की है।

इसे भी पढ़ें: भारत के टीकाकरण अभियान ने 'टीम इंडिया' की ताकत दुनिया को दिखाई है

पिछले वर्ष जब देश में कोरोना के कुछ ही मरीज सामने आए थे, उसी समय भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी वैक्सीन्स के लिए काम शुरू कर दिया गया था। हमारे वैज्ञानिकों ने दिन-रात एक करके बहुत कम समय में देशवासियों के लिए वैक्सीन्स विकसित की हैं। आज दुनिया की सबसे सस्ती वैक्सीन भारत में है। भारत की कोल्ड चेन व्यवस्था के अनुकूल वैक्सीन हमारे पास है। इस प्रयास में हमारे प्राइवेट सेक्टर ने नवाचार और उद्यमिता की भावना का बेहतरीन प्रदर्शन किया है। वैक्सीन्स की मंजूरी और नियामक प्रक्रिया को फास्ट ट्रैक पर रखने के साथ ही, वैज्ञानिक मदद को भी बढ़ाया गया है। यह एक टीम वर्क था, जिसके कारण भारत, दो मेड इन इंडिया वैक्सीन्स के साथ दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू कर पाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीकाकरण के पहले चरण में ही गति के साथ इस बात पर जोर दिया कि ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रों तक, जरूरतमंद लोगों तक वैक्सीन पहुंचे।

देश में 16 जनवरी से वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत हुई थी। शुरुआती 20 करोड़ वैक्सीन डोज देने में 131 दिन का समय लगा। अगले 20 करोड़ डोज 52 दिन में दिए गए। 40 से 60 करोड़ डोज देने में 39 दिन लगे। 60 करोड़ से 80 करोड़ डोज देने में सबसे कम, सिर्फ 24 दिन का समय लगा। इसके बाद 80 करोड़ से 100 करोड़ डोज देने में 31 दिन का वक्त लगा। अगर इसी रफ्तार से वैक्सीनेशन होता रहा, तो देश में 216 करोड़ वैक्सीन डोज लगने में करीब 175 दिन और लगेंगे। इसका मतलब है कि 5 अप्रैल, 2022 के आसपास ये आंकड़ा हम पार कर सकते हैं। हम भले ही 100 करोड़ डोज का आंकड़ा पार कर चुके हैं, लेकिन देश की 20 प्रतिशत आबादी ही अभी पूरी तरह वैक्सीनेट हुई है। 29 प्रतिशत आबादी को वैक्सीन की एक डोज दी जा चुकी है। ऐसे में मास्क फ्री होने के लिए हमें अभी इंतजार करना होगा। जब तक 85 प्रतिशत आबादी पूरी तरह वैक्सीनेट नहीं हो जाती, तब तक ऐसा करना खतरनाक हो सकता है। जिन देशों में मास्क से छूट दी गई है, वहां जनसंख्या घनत्व भारत की तुलना में काफी कम है। ऐसे में हमें अपनी जरुरतों के हिसाब से ही फैसला लेना चाहिए। एक रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी तक देश की 60 से 70 प्रतिशत आबादी पूरी तरह वैक्सीनेटेड हो जाएगी। इस वक्त तक भारत ‘हर्ड इम्यूनिटी’ को अचीव कर लेगा। इसके बाद लोगों को मास्क नहीं लगाने की पूरी तरह छूट मिल सकती है। यानी मास्क से पूरी तरह से आजादी के लिए हमें अभी कम से कम 6 से 8 महीने और इंतजार करना होगा।

सेवा परमो धर्म: के मंत्र पर चलते हुए हमारे डॉक्टर्स, हमारी नर्सेस, हमारे हैल्थ वर्कर्स, इतनी बड़ी आबादी की निस्वार्थ सेवा कर रहे हैं। इन सभी प्रयासों के बीच, ये समय लापरवाह होने का नहीं है। ये समय ये मान लेने का नहीं है कि कोरोना चला गया या फिर अब कोरोना से कोई खतरा नहीं है। हाल के दिनों में हम सबने बहुत-सी तस्वीरें, वीडियो देखे हैं, जिनमें साफ दिखता है कि कई लोगों ने अब सावधानी बरतना या तो बंद कर दिया है, या बहुत ढिलाई ले आए हैं। ये बिल्कुल ठीक नहीं है। अगर आप लापरवाही बरत रहे हैं, बिना मास्क के बाहर निकल रहे हैं, तो आप अपने आप को, अपने परिवार को, अपने बच्चों को, बुजुर्गों को उतने ही बड़े संकट में डाल रहे हैं। संत कबीरदास जी ने कहा है, ‘पकी खेती देखिके, गरब किया किसान। अजहूं झोला बहुत है, घर आवै तब जान’। अर्थात, कई बार हम पकी हुई फसल देखकर ही अति आत्मविश्वास से भर जाते हैं कि अब तो काम हो गया, लेकिन जब तक फसल घर न आ जाए तब तक काम पूरा नहीं मानना चाहिए। यानि जब तक सफलता पूरी न मिल जाए, लापरवाही नहीं करनी चाहिए।

इसे भी पढ़ें: युद्ध के दौरान हथियार नहीं डाले जाते, त्योहारों को पूरी सतर्कता से मनाना होगा: PM मोदी

कोविड-19 महामारी से सबसे बड़ा यह सबक मिलता है कि हमें मानवता और मानव हित के लिए पूरे विश्व के साथ मिलकर काम करना है और साथ-साथ ही आगे बढ़ना है। हमें एक-दूसरे से सीखना होगा और अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में एक-दूसरे का मार्गदर्शन भी करना होगा। इस महामारी की शुरुआत से ही भारत इस लड़ाई में अपने सभी अनुभवों, विशेषज्ञता और संसाधनों को वैश्विक समुदाय के साथ साझा करने के लिए प्रतिबद्ध रहा है और हमने तमाम बाधाओं के बावजूद इन अनुभवों को दुनिया के साथ ज्यादा से ज्यादा साझा करने की कोशिश भी की है। हम वैश्विक प्रथाओं से सीखने के लिए भी उत्सुक रहते हैं। भारत ने ‘कोविन प्लेटफॉर्म’ का निर्माण करके पूरी दुनिया को राह दिखाई है कि इतने बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन कैसे किया जाता है। पहाड़ हो या रेगिस्तान, जंगल हो या समंदर, 10 लोग हों या 10 लाख, हर क्षेत्र तक आज हम पूरी सुरक्षा के साथ वैक्सीन पहुंचा रहे हैं। इसके लिए देशभर में 1 लाख 30 हजार से ज्यादा टीकाकरण केंद्र स्थापित किए गए हैं।

इस महामारी ने दुनिया के हर देश, हर संस्था, हर समाज, हर परिवार, हर इंसान के सामर्थ्य को, उनकी सीमाओं को बार-बार परखा है। वहीं, इस महामारी ने विज्ञान, सरकार, समाज, संस्था और व्यक्ति के रूप में भी हमें अपनी क्षमताओं का विस्तार करने के लिए सतर्क किया है। पीपीई किट्स और टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर कोविड केयर और ट्रीटमेंट से जुड़े मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर का जो बड़ा नेटवर्क आज भारत में बना है, वो काम अब भी चल रहा है। देश के दूर-सुदूर इलाकों में अस्पतालों तक वेंटिलेटर्स, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स पहुंचाने का भी तेज गति से प्रयास किया गया है। बीते डेढ़ साल में देश ने इतनी बड़ी महामारी से मुकाबला आपसी सहयोग और एकजुट प्रयासों से ही किया है। सभी राज्य सरकारों ने एक दूसरे से सीखने का प्रयास किया है, एक दूसरे के प्रयोगों को समझने का प्रयास किया है, एक दूसरे को सहयोग करने की कोशिश की है। ऐसे ही सामूहिक प्रयत्नों से हम इस लड़ाई में विजयी हो सकते हैं।

-प्रो. संजय द्विवेदी

महानिदेशक, भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़