छोटे उद्योगों पर पड़ रहा कोरोना का असर, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत बकाया ऋण बने चिंता
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के तहत बकाया ऋण तेजी से बैंकों के लिए चिंता का कारण बनते जा रहे हैं। क्योंकि सरकार द्वारा छोटे और मध्यम उद्यमों में योजना में राशि से अधिक डिफॉल्ट दरों को बढ़ा दिया है। सरकारी कवर केवल 75 परसेंट और शेष नुकसान बैंकों को वहन करना पड़ता है जो वास्तव में एक कठिन स्थिति है।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना( पीएम एमवाई )के तहत बकाया ऋण तेजी से बैंकों के लिए चिंता का कारण बनते जा रहे हैं ।क्योंकि सरकार द्वारा छोटे और मध्यम उद्यमों में योजना में राशि से अधिक डिफॉल्ट दरों को बढ़ा दिया है। बैंकों से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को लोन पर नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट( एनपीए) में बदलने वाले मुद्रा ऋणों के अनुपात में तेजी से वृद्धि महसूस की जा रही है। उदाहरण के तौर पर देखें तो महाराष्ट्र में मुद्रा ऋण पर एसबीआई का एनपीए 2021 के जून अंत तक 59% है। झारखंड में केनरा बैंक का एनपीए जून 2021 तक 114. 35 % है।
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एसबीआई के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में शामिल पीएनबी द्वारा एमपीए का उच्चतमअनुपात 44%, वहीं इंडियन बैंक का 33 % दर्ज किया गया है ।लगभग सभी राज्यों में ऐसा ही रुझान देखने को मिल रहा है। बैंकरों के अनुसार जहां योजना के शुरुआती वर्षों में एनपीए की एक अच्छी वसूली दर दिखाई दे रही थी, वहीं अब पिछले 18 महीने में लगातार तनाव बढ़ने के साथ लगातार बढ़ रही है ।महामारी के चलते लोगों की नौकरियां इनकम पिरामिड के निचले स्तर पर आ गई हैं। पिछले वर्ष सरकार ने मुद्रा ऋणों में एमपी की गारंटी को पचास परसेंट से 75% कर दिया है ।लेकिन गारंटी भुगतान की सीमा कुल ऋण की 15 परसेंट पर रखी गई थी। सरकारी कवर केवल 75 परसेंट और शेष नुकसान बैंकों को वहन करना पड़ता है। जो वास्तव में एक कठिन स्थिति है।
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