अस्थायी कर्मचारियों के ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण में मदद करें ऑनलाइन भोजन डिलिवरी मंच : एनसीएईआर

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सर्वे में शामिल कर्मचारियों में 57.8 प्रतिशत उस दौरान कार्यरत थे जबकि 42.2 प्रतिशत कंपनियों के लिये काम नहीं कर रहे थे। इन कर्मचारियों का काम के अधिकतम घंटे 10.8 और न्यूनतम 5.2 थे। इसमें से बहुसंख्यक कर्मचारी (99 प्रतिशत) पुरुष थे। सर्वे में शामिल कर्मचारियों में से आधे बड़े शहरों (टियर-1) और आधे मझोले तथा छोटे शहरों (टियर दो और टियर तीन) से थे।

खाने-पीने के सामान की ऑनलाइन ऑर्डर पर डिलिवरी सुविधा देने वाले मंचों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके लिये काम कर रहे अस्थायी कर्मचारी ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत हों। साथ ही ये मंच सार्वजनिक वितरण प्रणाली, आयुष्मान भारत योजना और अटल पेंशन योजना से उन्हें जुड़ने में मदद करें। आर्थिक शोध संस्थान नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लॉयड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) ने सोमवार को यह सुझाव दिया। एनसीएईआर के अध्ययन में कहा गया है कि सरकार अस्थायी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिये सबसे अच्छा माध्यम है। साथ ही इन कंपनियों को केंद्रीकृत तरीके से सामाजिक सुरक्षा को वित्तपोषित करने के लिये सरकार को अतिरिक्त राजस्व प्रदान करना चाहिए।

‘खाद्य वितरण मंच के श्रमिकों के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव आकलन’ पर एनसीएईआर की रिपोर्ट के अनुसार, 61.9 प्रतिशत श्रमिकों को सस्ते गल्ले की दुकानों से राशन मिला जबकि उनमें से केवल 12.2 प्रतिशत के पास आयुष्मान भारत कार्ड है। वहीं 7.1 प्रतिशत ई-श्रम पर पंजीकृत हैं जबकि चार प्रतिशत के पास अटल पेंशन योजना है। इंटरनेट आधारित सेवाएं देने वाली प्रोसस द्वारा प्रायोजित अध्ययन में कहा गया है, ‘‘ऑनलाइन खाना बुकिंग और डिलिवरी सुविधा देने वाली कंपनियों को सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके अस्थायी कर्मचारी ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत हों। साथ ही वे पीडीएस, आयुष्मान भारत/राज्य स्वास्थ्य योजना और अटल पेंशन योजना में पंजीकरण में उनकी मदद करें।’’

हालांकि, इसमें कहा गया है कि डिलिवरी सेवा से जुड़े सभी कर्मचारियों का दुर्घटना बीमा है। एनसीएईआर ने कहा कि उसने 28 शहरों में फैलेखाना वितरण मंच से जुड़े 924 श्रमिकों का टेलीफोन के जरिये सर्वेक्षण किया। सर्वे में शामिल कर्मचारियों में 57.8 प्रतिशत उस दौरान कार्यरत थे जबकि 42.2 प्रतिशत कंपनियों के लिये काम नहीं कर रहे थे। इन कर्मचारियों का काम के अधिकतम घंटे 10.8 और न्यूनतम 5.2 थे। इसमें से बहुसंख्यक कर्मचारी (99 प्रतिशत) पुरुष थे। सर्वे में शामिल कर्मचारियों में से आधे बड़े शहरों (टियर-1) और आधे मझोले तथा छोटे शहरों (टियर दो और टियर तीन) से थे।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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