समुद्री संचालन व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाने की जरूरत: Sanjeev Sanyal

Sanjeev Sanyal
प्रतिरूप फोटो
ANI

संजीव सान्याल ने कहा कि भारत समुद्री संचालन में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की ओर बढ़ रहा है। इसलिए उसे जहाजों और पोत परिवहन बुनियादी ढांचे के प्रति अपने दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने और समुद्री संसाधनों और क्षमताओं में निवेश, निर्माण और उपयोग के तरीके में बदलाव लाने की जरूरत है।

नयी दिल्ली । प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा कि भारत समुद्री संचालन में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की ओर बढ़ रहा है। इसलिए उसे जहाजों और पोत परिवहन बुनियादी ढांचे के प्रति अपने दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने और समुद्री संसाधनों और क्षमताओं में निवेश, निर्माण और उपयोग के तरीके में बदलाव लाने की जरूरत है। सान्याल बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (एमओपीएसडब्ल्यू) के सहयोग से ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित किए जाने वाले सागरमंथन : द ग्रेट ओशन्स डायलॉग के बारे में जानकारी देने के लिए आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। 

आयोजकों के बयान में कहा गया, ‘‘यह कार्यक्रम 18-19 नवंबर, 2024 को होगा... आगामी वार्ता नीली अर्थव्यवस्था, समुद्री लॉजिस्टिक, बंदरगाह, पोत परिवहन, जलमार्ग, महत्वपूर्ण खनिज, विविध आपूर्ति श्रृंखला, वैश्विक समुद्री अर्थव्यवस्था एवं प्रशिक्षण और श्रम मानकों पर चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगी।’’ अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में अपनी बढ़ती प्रमुखता के साथ, भारत समुद्री संचालन व्यवस्था में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है। 

बयान में सान्याल के हवाले से कहा गया, ‘‘स्वतंत्रता के बाद दशकों तक, भारत का दुनिया के प्रति एक दृष्टिकोण सीमित दायरे था। हालांकि, यह बदल रहा है। भारत को अब एक समुद्री राष्ट्र के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए। हमारे आर्थिक अस्तित्व के लिए समुद्री स्थान महत्वपूर्ण है। हमें जहाजों और पोत परिवहन बुनियादी ढांचे के प्रति अपने दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है, जिससे हम अपने समुद्री संसाधनों और क्षमताओं में निवेश, निर्माण और उपयोग करने के तरीके को बदल सकें।’’ 

बंदरगाह और पोत परिवहन मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने भारत की सुरक्षा और समृद्धि के साथ उसके समुद्री हितों के बीच महत्वपूर्ण संबंध पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा,‘‘सागरमंथन संवाद समुद्री क्षेत्र के बारे में नए विचार उत्पन्न करने के लिए एक आवश्यक मंच होगा। इसका उद्देश्य साझेदारी को बढ़ावा देना, भारत की वैश्विक बातचीत को बढ़ाना और भविष्योन्मुखी महासागर संचालन व्यवस्था को आगे बढ़ाना है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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