राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति पर वाणिज्य मंत्रालय ने मांगे अन्य विभागों से सुझाव
सरकार इस नीति को चलन में लाना चाहती है, क्योंकि देश की आर्थिक वृद्धि और निर्यात को तेज करने के लिए लॉजिस्टिक क्षेत्र की वृद्धि अहम है। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ हमने सभी मंत्रालयों और विभागों से नीति पर कुछ कार्रवाई किए जाने योग्य सुझाव मांगे हैं।’’ नीति का मसौदा वाणिज्य मंत्रालय के लॉजिस्टिक विभाग ने जारी किया है।
नयी दिल्ली। वाणिज्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति के मसौदे पर इस्पात, जहाजरानी और अन्य सभी मंत्रालयों से सुझाव मांगे हैं। इस नीति का मकसद देशभर में सामानों का बाधारहित आवागमन सुनिश्चित करना है। नीति मसौदे में व्यापारियों के लिए लॉजिस्टिक की ऊंची लागत को भी कम करने पर विचार किया गया है। सरकार इस नीति को चलन में लाना चाहती है, क्योंकि देश की आर्थिक वृद्धि और निर्यात को तेज करने के लिए लॉजिस्टिक क्षेत्र की वृद्धि अहम है। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ हमने सभी मंत्रालयों और विभागों से नीति पर कुछ कार्रवाई किए जाने योग्य सुझाव मांगे हैं।’’ नीति का मसौदा वाणिज्य मंत्रालय के लॉजिस्टिक विभाग ने जारी किया है।
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देश में लॉजिस्टिक की लागत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 13 से 14 प्रतिशत के बराबर है। अन्य देशों के मुकाबले यह बहुत अधिक है। इससे घरेलू उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा करने में पिछड़ जाते हैं। निर्यातकों और घरेलू व्यापारियों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए लॉजिस्टिक क्षेत्र में सुधार एक प्रमुख कारक है। परिवहन की लागत और समय घटाने एवं सामानों की आवाजाही तेज करने से इस दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है।
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मंत्रालय ने फरवरी में 23 पन्नों के इस मसौदे को जारी किया था। इसमें देश में उपलब्ध सभी लॉजिस्टिक और व्यापार सुविधाओं के लिए एक सूत्रीय संदर्भ तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है, यह लोगों के बीच जानकारियां साझा करने का भी एकल मंच होगा। मसौदे में एक राष्ट्रीय लॉजिस्टिक ई-मार्केटप्लेस बनाने समेत कई और कदम प्रस्तावित हैं जो देश में लॉजिस्टिक व्यवस्था को बाधारहित बनाएंगे।
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