राज कुंद्रा के बाद प्रीति जिंटा की मुश्किलें बढ़ी? जमीन खरीद मामले में कसेगा शिकंजा
जानी मानी सिने अभिनेत्री प्रीति जिंटा हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में नियम कायदों को दरकिनार कर जमीन खरीदने के मामले में विवादों में फंस गई है । एक शिकायत के आधार पर सरकार अब सारे मामले की जांच करवा रही है ।
शिमला। जानी मानी सिने अभिनेत्री प्रीति जिंटा हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में नियम कायदों को दरकिनार कर जमीन खरीदने के मामले में विवादों में फंस गई है। एक शिकायत के आधार पर सरकार अब सारे मामले की जांच करवा रही है । जिससे कई गड़बड़ियां सामने आई हैं । इस मामले पर जिला प्रशासन प्रीति जिंटा को भी तलब करने की तैयारी में है । कानूनी प्रावधानों के तहत हिमाचल प्रदेश में कोई भी बाहरी व्यक्ति जमीन की खरीद फरोख्त नहीं कर सकता । लेकिन प्रीति जिंटा ने शिमला के बल्देयां इलाके में जो जमीन खरीदी जिसमें कानूनी प्रावधानों को अनदेखा किया । जिससे मामला पेचीदा हो गया है।
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दरअसल शिमला के नालदेहरा के समीप कुल चार बीघा का यह जमीनी सौदा चंडीगढ़ की टूरिस्ट रिजॉर्ट नामक कंपनी से जुड़ा है। इस कंपनी ने वर्ष 2000 में होटल निर्माण के लिए राज्य सरकार की अनुमति से जमीन खरीदी थी। इसके बाद वर्ष 2007 में फिल्म अभिनेत्री प्रीटि जिंटा और उनकी मां नीलप्रभा जिंटा के नाम से इस जमीन का सीधा इंतकाल कर दिया गया।
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आरोप है कि इस जमीनी सौदे के लिए राज्य सरकार से धारा-118 की अनुमति नहीं ली गई। इतना ही नहीं, होटल बनाने के लिए ली गई इस जमीन पर दो साल के भीतर निर्माण कार्य होना जरूरी था। इस नियम को भी ठेंगा दिखाया गया। जमीनी सौदे के लिए रजिस्ट्री भी नहीं की गई। यह अपनी तरह का ऐसा पहला मामला होगा, जिसमें तमाम नियमों को दरकिनार करते हुए सीधे जमीन का इंतकाल दूसरी पार्टी के नाम कर दिया गया।
बताया जाता है कि वर्ष 2010-11 में सरकार ने संदेह के घेरे में आए 52 जमीनी सौदों की सूची जारी की थी। इसमें प्रीटि जिंटा के इस जमीनी सौदे का नाम भी शामिल था। आरोप है कि सरकार से विशेष उद्देश्य के चलते जमीन खरीदने की अनुमति के बावजूद भूखंड पर निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया था। हालांकि चौंकाने वाली बात है कि ऊपर से लेकर नीचे तक की सेटिंग के चलते इस सूची से बल्देयां का जमीनी सौदा गायब हो गया।
सूत्रों का कहना है कि नियमों के अनुसार चंडीगढ़ की कंपनी को वर्ष 2000 में मिली इस जमीन पर अगले दो सालों तक निर्माण कार्य शुरू करना जरूरी था। ऐसा न होने पर यह जमीन सरकार में निहित होनी थी। बावजूद इसके वर्ष 2007 में इस जमीन को दूसरी पार्टी को बेच दिया गया। इसके लिए न तो धारा-118 के तहत जमीन को खरीदने-बेचने की अनुमति ली गई और न ही इसकी रजिस्ट्री हुई।
इस पूरे मामले पर प्रीटि जिंटा की मां नीलप्रभा जिंटा ने कहा कि बल्देयां का यह भूखंड चंडीगढ़ की रिजॉर्ट कंपनी ने खरीदा था। वर्ष 2007 में यह कंपनी हमारे नाम हो गई। इसकी डायरेक्टर मैं और मेरी बेटी प्रीति जिंटा बन गई। इस कारण कंपनी की जमीन का इंतकाल भी हमारे नाम हो गया। इस जमीनी सौदे को लेकर शिकायत भी हुई थी। इसके चलते यह मामला डीसी कोर्ट में भी चला। इस आधार पर 2014-15 में तत्कालीन डीसी ने यह फैसला हमारे हक में सुनाया।
शिमला के जिलाधीश आदित्य नेगी ने बताया कि इस मामले में ऊपर से रिपोर्ट तलब की गई है। इसके चलते बल्देयां के पटवारी से मामले का पूरा रिकार्ड तलब किया गया है। इसके बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि इस जमीनी सौदे में किस स्तर पर धारा-118 का उल्लंघन हुआ है।
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