कहानी Hero-Honda के मिलन और अलगाव की, कैसे भारतीय बाजार में दोनों ने हासिल किया बड़ा मुकाम
हीरो होंडा मिडल क्लास फैमिली की बाइक। बड़ा सवाल यही है कि आखिर भारत में साइकिल बनाने वाली कंपनी और जापान की बाइक बनाने वाली कंपनी एक साथ कैसे हुई। दरअसल, 80 का दौर वो दौर था जब दुनिया के अलग-अलग देशों में बाइक का क्रेज बढ़ने लगा था।
हीरो होंडा देश की धड़कन चाहे 90 का दौर हो या 21वीं सदी की शुरूआत हो, भारत की सड़कों पर दोपहिया की तूती बोलती थी और इसमें एक ही नाम सबकी जुबान पर हुआ करता था हीरो होंडा। भले ही आज दोनों के बीच अलगाव के लगभग 13 साल हो चुके हैं। लेकिन कहीं ना कहीं आज भी यह लोगों की जुबान पर ऐसे चढ़ा हुआ है कि आम जनता इसे अलग-अलग स्वीकार करने में कुछ देर जरूर लगाती है। भारतीय सड़कों पर हीरो-होंडा की बाइक्स ने एकतरफा राज किया था। लेकिन आज की परिस्थिति में देखें तो दोनों के रास्ते अलग-अलग हैं। दोनों एक दूसरे पर हावी होने की कोशिश करते हैं और दोनों भारतीय बाजार में प्रतिद्वंदी के रूप में लगातार अलग-अलग शानदार बाइक्स भी पेश करते हैं।
इसे भी पढ़ें: Upcoming Cars: भारतीय सड़कों पर दिखेंगी यह शानदार कारें, डिजाइन के साथ फीचर्स भी है जबरदस्त
जब एक साथ हुए थे हीरो होंडा
हीरो होंडा मिडल क्लास फैमिली की बाइक। बड़ा सवाल यही है कि आखिर भारत में साइकिल बनाने वाली कंपनी और जापान की बाइक बनाने वाली कंपनी एक साथ कैसे हुई। दरअसल, 80 का दौर वो दौर था जब दुनिया के अलग-अलग देशों में बाइक का क्रेज बढ़ने लगा था। उस समय हीरो साइकिल बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी दिग्गज कंपनियों में शामिल थी। लेकिन हीरो कंपनी के कर्ताधर्ता बाइक की दुनिया में कदम बढ़ाने की सोच रहे थे। उनका मानना था कि आने वाले समय में भारत में बाइक का तगड़ा स्कोप हो सकता है। उस वक्त भारत में टू व्हीलर के नाम पर सिर्फ स्कूटर और बिक्की दो ही ऑप्शन मौजूद थे। हीरो के मन में बाइक बनाने के ख्याल तो आ रहे थे, लेकिन सबसे बड़ी चिंता उसके यह थी कि आखिर इंजन बनाने के लिए जो टेक्नोलॉजी चाहिए, वह कहां से आएगा। यह वही सवाल था जिसकी वजह से हीरो अपनी चाह को आगे नहीं बढ़ा पा रहा थी।
ऐसे में हीरो के पास सिर्फ एक ही रास्ता था और वह था कि किसी विदेशी कंपनी के साथ साझेदारी करना। उस समय कोई भी विदेशी कंपनी भारत में सीधे तौर पर इन्वेस्ट नहीं कर सकती थी। लेकिन भारतीय कंपनी के साथ गठजोड़ करके विदेशी कंपनी यहां के बाजार में अपनी कारोबार कर सकती थी। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए हीरो ग्रुप के मालिकों में से एक ब्रजमोहन लाल मुंजाल ने जापानी बाइक कंपनी हौंडा के पास एक प्रपोजल भेजा। हौंडा को यह प्रपोजल इतना पसंद आया कि कंपनी ने इसे तुरंत ही स्वीकार कर लिया। इसके बाद 1984 में दोनों कंपनी यानी कि हीरो और हौंडा एक साथ आए। दोनों के बीच एक एग्रीमेंट हुआ। एग्रीमेंट के तहत हीरो बाइक के लिए बॉडी बनाएगी और होंडा उसके लिए इंजन सप्लाई करेगी। साथ ही साथ दोनों कंपनी के बीच एक एनओसी भी साइन हुआ था। एनओसी के मुताबिक भविष्य में दोनों ही कंपनी एक दूसरे के सामने अपना कोई प्रोडक्ट लॉन्च नहीं करेंगी।
समझौते के बाद हीरो होंडा ने अपना पहला प्लांट हरियाणा में लगाया। हीरो होंडा की ओर से 1985 में CD 100 को भारतीय बाजार में लॉन्च किया गया। लॉन्च के साथ है यह बाइक अपने आप में इतनी पॉपुलर हो गई कि हर किसी की जुबान पर चढ़ गई थी और इसका डिमांड भी जबरदस्त तरीके से बढ़ गया था। इसकी कीमत मिडिल क्लास के हिसाब से रखी गई थी तथा माइलेज में अपने आप में यह बाइक बेहतरीन थी। तब नारा दिया गया था- Fill it, shut it, Forget it.
2010 में हुआ अलगाव
दिसंबर 2010 में, भारत के दोपहिया निर्माता हीरो ग्रुप और जापान की होंडा मोटर कंपनी ने 26 साल की सफल साझेदारी के बाद अपने अलग रास्ते तय किए। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर यह हुआ कैसे? इसके अलग-अलग कारण बताए जाते हैं। हालांकि, यह बात सत्य है कि गठजोड़ के कुछ वर्षों बाद ही दोनों कंपनियों के बीच मतभेद की भी शुरुआत हो चुकी थी। इंडियन मार्केट में हीरो होंडा ने अपने कारोबार को जबरदस्त तरीके से बढ़ाया। यहां कारोबार शानदार चल भी रहा था। इसकी लोकप्रियता चरम पर थी। हालांकि, गड़बड़ तब हुई जब हीरो होंडा की बाइक्स को विदेशों में सेल करने की बात आई। दरअसल, हीरो भारत में निर्मित बाइक्स को विदेश में बेचना चाहता था। लेकिन होंडा इसके लिए तैयार नहीं था। इसका कारण यह था कि अमेरिका और रूस जैसे विकसित राष्ट्रों में होंडा की बाइक्स पहले से ही बिक रही थी। वहां उसकी मार्केट खराब ना हो इसलिए हीरो होंडा की बाइक को वहां बेचने से कंपनी कतरा रही थी।
हालांकि, कंपनी की ओर से हीरो होंडा बाइक्स को भारत के अलावा नेपाल भूटान और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी राज्यों में बेचने की बात जरूर कही ग।ई लेकिन हीरो इंटरनेशनल मार्केट में अपनी खास पोजीशन चाहती थी। इसका कारण यह भी था कि साइकिल के मामले में हीरो के नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज था। लेकिन होंडा की वजह से वह विदेशों में अपना व्यापार नहीं कर पा रही थी। यहीं से धीरे-धीरे दोनों कंपनी के रिश्ते खराब होते गए। हालांकि, तब दोनों कंपनी अलग नहीं हुए। इसका कारण यह था कि हीरो बाइक की सिर्फ बॉडी बनाती थी। अलग होने की स्थिति में उसे इंजन बनाना पड़ता जिसके लिए उसके पास अभी भी टेक्नॉलॉजी नहीं थी। वहीं, भारत में व्यापार करने के लिए होंडा को हीरो का साथ चाहिए था। इसलिए दोनों का साथ बना रहा।
इसे भी पढ़ें: Nitin Gadkari का बड़ा दावा, भारत में 2030 तक होंगे दो करोड़ इलेक्ट्रिक वाहन
लेकिन हीरो को यह समझ आने लगा था कि कहीं ना कहीं अगर उसे लंबी पारी खेलनी है तो इंजन मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान केंद्रित करना होगा। ऐसे में उसने अपने प्रॉफिट के एक हिस्से को इंजन बनाने पर खर्च करने की शुरुआत कर दी। हीरो का यह कदम होंडा को पसंद नहीं आया तथा दोनों कंपनी के बीच दरार और भी बढ़ गया। इसी दौरान 2000 में होंडा द्वारा होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया के जरिए भारतीय बाजार में दोपहिया वाहन उतारा गया। हालांकि, एग्रीमेंट में इस बात का जिक्र था कि दोनों कंपनी एक दूसरे के सामने भारत में कोई भी बाइक लॉन्च नहीं करेगी। लेकिन होंडा ने उस एग्रीमेंट को नजरअंदाज किया। होंडा की ओर से उसी कीमत पर अलग बाइक निकाली गई। इसका असर यह हुआ कि दोपहिया वाहनों के कस्टमर बटते चले गए और हीरो ग्रुप को नुकसान भी होने लगा।
होंडा की चाल और हीरो का गठन
होंडा ने भारतीय बाजार में एक्टिवा स्कूटी लॉन्च करके एक अलग ही तहलका मचा दिया। यहां होंडा को दो तरह फायदा हो रहा था। पहला था कि हीरो होंडा के प्रॉफिट में उसकी अपनी हिस्सेदारी तो मिल ही रही थी। इसके साथ ही अलग कंपनी के तौर पर भी भारतीय बाजार में अपने पैर जमा रही थी और फायदे कमा रही थी। हालांकि हीरो और होंडा के बीच कड़वाहट लगातार बढ़ते जा रहे थी। 2004 में दोनों कंपनी ने अपने एग्रीमेंट को 10 साल के लिए बढ़ाया। लेकिन 2010 में अचानक ही हीरो ने होंडा से अलग होने का ऐलान कर दिया। यह विभाजन 16 दिसंबर 2010 को हुआ जब पवन मुंजाल ने इस बात की घोषणा की कि हीरो होंडा मोटर की पूरी हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगी। यह एक साहसिक निर्णय था।
हालांकि, उस समय किसी ग्रैंड के बिना भारतीय बाजार में खुद को जीवित रखना हीरो के लिए बड़ा सवाल था। लेकिन हीरो के हौसले बड़े थे। 2014 तक हीरो होंडा बनाए रखने का समझौता हुआ था। लेकिन मुंजाल ने खुद का ब्रांड लॉन्च करने का निर्णय लिया। 9 अगस्त 2011 को हीरो मोटोकॉर्प के जन्म हुआ और ए आर रहमान ने एक नया गीत दिया- हम में है हीरो।
आज दोनों ही कंपनी भारतीय बाजार में जबरदस्त डिमांड में है। दोनों कंपनी को लोगों का प्यार मिल रहा है। सस्ता और बढ़िया माइलेज देने वाली बाइक दोनों ही कंपनी की ओस से निकाली जा रही है। हालांकि, बिक्री के मामले में हीरो आज भी होंडा से आगे है। लेकिन स्कूटर सेगमेंट में होंडा की एक्टिवा अपने आप में एक नया कीर्तिमान स्थापित कर रही है।
अन्य न्यूज़