चिंतामण सिद्ध गणेश मंदिर में आने वाले भक्तों की हर चिंता दूर करते हैं बप्पा

प्रथम पूज्य भगवान गणपति की महिमा वैसे तो किसी से छिपी नहीं है, लेकिन कई बार हमें इसके साक्षात उदाहरण ही देखने मिल जाते हैं। गणपति बप्पा अपने जितने भी रूपों में जहां भी दर्शन दें, भक्त को उसका लाभ ही होता है।
भोपाल। प्रथम पूज्य भगवान गणपति की महिमा वैसे तो किसी से छिपी नहीं है, लेकिन कई बार हमें इसके साक्षात उदाहरण ही देखने मिल जाते हैं। गणपति बप्पा अपने जितने भी रूपों में जहां भी दर्शन दें, भक्त को उसका लाभ ही होता है। बप्पा के प्रत्येक रूप का अपना अलग ही महत्व है। फिर चाहे वह उज्जैन के स्थिरमन गणेश हों या फिर चिंतामण गणेश। सुप्रसिद्ध खजराना मंदिर भी दुनियाभर में फेमस है, किंतु आज हम यहां बात कर रहे हैं एक ऐसे मंदिर की जिसकी महिमा और कथा सबसे निराली है। कहा जाता है कि भगवान गणपति आज भी यहां साक्षात मूर्ति रूप में निवास करते हैं। कहा जाता है कि बप्पा को यहां सच्चे मन से पूजने पर वे कभी भी अपने भक्तों को खाली हाथ नहीं जाने देते। इसी वजह से गणेश उत्सव के अतिरिक्त भी यहां सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है।
देशभर में चार ऐसे मंदिर
यह मंदिर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के समीप ही स्थित सीहोर में मौजूद है और इसे चिंतामण सिद्ध गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि चिंतामण गणेश की चार प्रतिमाएं देशभर में मौजूद हैं, एक रणथंभौर सवाई माधोपुर राजस्थान दूसरी उगौन अवंतिका, तीसरी गुजरात के सिद्धपुर में और चैथी सीहोर में स्थित है। ये सभी स्वयं-भू बतायी जाती जाती हैं।
ऐसी कथा भी है प्रचलित
इस मंदिर को लेकर एक कथा भी प्रचलित है जो कि राजा विक्रमादित्य से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि विक्रमादित्य के पूजन से प्रसन्न होकर भगवान गणपति ने उन्हें दर्शन दिए और मूर्ति रूप में स्वयं ही यहां स्थापित हो गए और सदैव ही भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने का आशीर्वाद दिया।
दूर करने आते थे अपनी चिंता
स्थानीय लोग ऐसा भी बताते हैं कि जब भी विक्रमादित्य संकट में होते या कोई चिंता उन्हें परेशान करती तो वे बप्पा की शरण में यहां आते थे। जिसके बाद उन्हें अपनी समस्या का समाधान मिलने में ज्यादा देर नहीं लगती थी। ऐसी मान्यता के चलते भी लोग यहां अपनी समस्याओं को लेकर आते हैं और बप्पा से अपनी चिंता दूर करने की मन्नत मांगते हैं। ऐसा भी बताया जाता है कि गणपति की आंखें उस जमाने में हीरे की थीं किंतु बाद में इन्हें चोरों ने चुरा लिया।
लगता है भव्य मेला
गणेश चतुर्थी पर चारों स्थानों पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। यह परंपरा पुरातन ही बतायी जाती है। सीहोर के मंदिर के अतिरिक्त अन्य मंदिर भी देश-विदेशों में फेमस हैं, जिसकी वजह से यहां हर साल गणेश उत्सव के दौरान विदेशी भक्तों की भीड़ भी देखने मिलती है। गणेश चतुर्थी से दस दिनों तक यहां की भव्यता देखते ही बनती है।
होती है हर मन्नत पूरी
ऐसा भी कहा जाता है कि इन दिनों में गणपति के समक्ष कोई भी चिंता व्यक्त की जाए उसका समाधान अवश्य ही होता है। पहले यहां जंगली एरिया था, और यहां आना आसान नहीं था, जंगली जानवरों का बसेरा भी हुआ करता था, किंतु जो भी सच्चे मन से बप्पा के पास आना चाहता था उसे अपने आप ही रास्ता मिल जाया करता था। यहां समय के साथ हुए विकास के बाद अब सुंदर मंदिर देखने को मिलता है। जिनकी मन्नत पूरी हो जाती है वे भी यहां बप्पा के समक्ष आते हैं।
-कमल सिंघी
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