Mukti Dham Mukam: बिश्नोई समाज के लिए बेहद पवित्र और खास है मुक्ति धाम मुकाम मंदिर, जानिए पौराणिक कथा

Mukti Dham Mukam
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आज हम आपको बिश्नोई समाज के पवित्र और प्रसिद्ध मुक्ति धाम मुकाम मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। साथ ही इस मंदिर से जुड़ा इतिहास और इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में भी बनाते जा रहे हैं।

भारत में कई फेमस और प्राचीन धार्मिक स्थल हैं। तमाम ऐसे मंदिर हैं जो आजकल चर्चा के केंद्र में बने हैं। आजकल मुक्ति धाम मुकाम मंदिर चर्चा के केंद्र में बना हुआ है। बता दें कि मुक्ति धाम मुकाम मंदिर एक पवित्र और प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। यह मंदिर बिश्नोई समाज के लोगों के लिए सबसे खास, पवित्र और फेमस स्थल है। वहीं बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान और लॉरेंश बिश्नोई के चल रहे विवाद को लेकर भी यह मंदिर काफी चर्चा में है।

ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बिश्नोई समाज के पवित्र और प्रसिद्ध मुक्ति धाम मुकाम मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। साथ ही इस मंदिर से जुड़ा इतिहास और इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में भी बनाते जा रहे हैं।

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कहां है मुक्ति धाम मंदिर

राजस्थान के बीकानेर जिले में तलवा गांव के पास मुक्ति धाम मुकाम मंदिर मौजूद है। यह बिश्नोई समाज का फेमस और पवित्र मंदिर है।

मुक्ति धाम मुकाम मंदिर राजस्थान के बीकानेर से करीब 78 किमी दूरी पर स्थित है। वहीं राजस्थान की राजधानी जयपुर से यह मंदिर करीब 295 किमी की दूरी पर मौजूद है।

मंदिर का इतिहास

मुक्ति धाम मुकाम मंदिर बिश्नोई समाज का एक प्रमुख और बड़ा मंदिर माना जाता है। इस समाज के लोग पर्यावरण और जानवरों से हमेशा से प्यार करते रहे हैं। इस स्थान पर भगवान गुरु जम्बेश्वर की पवित्र समाधी भी बनी है।

इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि करीब 1540 और 1593 ई. में गुरु जम्बेश्वर यहां रहे और इसी दौरान उन्होंने बिश्नोई संप्रदाय की स्थापना की। गुरु जम्बेश्वर एक ऊंची चोटी पर विराजमान रहते थे और यहां पर पूजा-अर्चना किया करते थे।

मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा बेहद दिलचस्प है। बताया जाता है। गुरु जम्भोजी समाधि लेने वाले थे। तभी उन्होंने खेजड़ी के पेड़ की तरफ इशारा करते हुए अपने अनुयायियों से कहा कि 'खेजड़ी के पास 24 हाथ जमीन खोदने पर भगवान भोलेनाथ का त्रिशूल और धुना' मिलेगा। तुम मेरी समाधि वहीं पर बनाना।

बताया जाता है कि मंदिर में आज भी वह धुना और त्रिशूल मौजूद है। वर्तमान समय में इस मंदिर में हजारों की संख्या में बिश्नोई समाज के लिए दर्शन और पूजा के लिए आते हैं। हर साल फाल्गुन माह की अमावस्या और आसोज अमावस्या को मेला लगता है।

दर्शन का समय

बता दें कि मुक्ति धाम मुकाम श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए रोजाना सुबह 04 बजे से लेकर रात के 08 बजे तक खुला रहता है। यहां पर सुबह और शाम को भव्य आरती होती है। इस आरती में हजारों की संख्या में भक्त शामिल होते हैं। मंदिर परिसर में जाने के लिए कोई टिकट नहीं लगता है।

ऐसे पहुंचे मंदिर

अगर आप भी मुक्ति धाम मुकाम मंदिर जाना चाहते हैं, तो यहां पहुंचना बेहद आसान है। फ्लाइट से जाने पर सबसे पास में बीकानेर एयरपोर्ट है। जो इस मंदिर से करीब 110 किमी दूरहै। वहीं मंदिर के पास नोखा रेलवे स्टेशन है, जो करीब 10 किमी दूर है। ऐसे में आप यहां पर ट्रेन के माध्यम से भी आ सकते हैं। यह मंदिर राजस्थान के हर बड़े शहर से सड़क के माध्यम से जुड़ा है। 

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