Pregnancy Tips: प्रेग्नेंसी के इतने हफ्ते बाद सुन सकते हैं बच्चे की धड़कन, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

By अनन्या मिश्रा | Dec 23, 2023

हर महिला और व्यक्ति के लिए पेरेंट्स बनना उनके जीवन का सबसे खास समय होता है। हांलाकि प्रेग्नेंसी का समय न सिर्फ खुशियां बल्कि कुछ परेशानियां लेकर भी आता है। हर महिला को प्रेग्नेंसी के शुरूआती दिनों में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव भी होते हैं। तो वहीं दूसरी ओर गर्भ में पलने वाले बच्चे की सलामती के लिए कई तरह की चिंताएं उन्हें परेशान करती हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को एक बात की चिंता सबसे ज्यादा होती है और वह है गर्भ में पलने वाले बच्चे की धड़कन।


एक मां के लिए अपने बच्चे की धड़कन सुनना सबसे सुकून पल होता है। लेकिन कई बार यह बेचैनी और तनाव की वजह भी बन जाती है। क्योंकि प्रेग्नेंसी के शुरूआती दिनों में गर्भ में पलने वाले बच्चे की धड़कन को ट्रैक करना काफी मुश्किल होता है। वहीं बच्चे का हृदय बनने और हार्टबीट आने में थोड़ा समय लगता है। लेकिन जब इस दौरान बच्चे की धड़कन ट्रैक नहीं हो पाती है, तो वह टेंशन में आ जाती हैं। ऐसे में महिला के मन में बच्चे के विकास और सेहत की चिंताए घेर लेती हैं। यह तनाव और बेचैनी उनकी प्रेग्नेंसी के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है।

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हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो गर्भ में पलने वाले बच्चे के हृदय के विकास और धड़कन आने के पीछे कई कारक जिम्मेदार होते हैं। इसलिए कई बार बच्चे की हार्टबीट नहीं आ पाती है। ऐसे में यह जानना मायने रखता है कि आपका गर्भधारण कब हुआ है, कौन से सप्ताह में बच्चे की हार्टबीट आनी शुरू होगी। यह डॉक्टर से बेहतर और कौन जान सकता है। लेकिन कई बार उत्सुकता के कारण मां बन रही महिलाएं हार्टबीट सुनने का अनुरोध करती हैं और हार्टबीट ट्रैक न हो पाने के कारण तनाव में आ जाती हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस सप्ताह में बच्चे की हार्टबीट सुनाई देती है और इसे किस तरह से ट्रैक किया जा सकता है।


कब सुनाई देती है बच्चे की हार्टबीट

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक आमतौर पर गर्भ में पलने वाले भ्रूण के हृदय का विकास होने के बाद प्रेंग्नेंसी के छठे और आठवें सप्ताह के दौरान बच्चे के दिल की धड़कन को ट्रैक किया जा सकता है। वहीं पांचवे सप्ताम के आसपास बच्चे का हृदय बनना शुरू हो जाता है। वहीं 5वें सप्ताह के आखिरी और 6वें सप्ताह के अंदर बच्चे का दिल धड़कना शुरूकर देता है। इसको एम्ब्रियोनिक हार्टबीट कहा जाता है। यह भ्रूण के स्वतंत्र संचार प्रणाली की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।


गर्भकालीन आयु

आपको बता दें कि यह भ्रूण का एक अहम कारक होता है। ऐसे में प्रेग्नेंसी के 6वें या 8वें सप्ताह में बच्चे के दिल की धड़कन का पता लगाया जा सकता है। हांलाकि आपको कुछ डिफरेंसेज देखने को मिल सकते हैं। ऐसे में आपके डॉक्टर इन भिन्नताओं की समीक्षा कर इस पर विचार करते हैं।


बच्चे की पोजीशन

गर्भ में पलने वाले बच्चे की पोजीशन दिल की धड़कन की ध्वनि को स्पष्टता देती है। कई बार पोजीशन की वजह से भी डॉक्टर धड़कन की स्पष्टता में कमी महसूस कर सकते हैं।


मातृ कारक

मां बनने वाली महिला की शारीरिक संरचना काफी मायने रखती है। क्योंकि पेट का एक्स्ट्रा फैट बच्चे के दिल की धड़कन की स्पष्टता को प्रभाविक कर सकता है। हांलाकि कुछ मामलों में डॉक्टर सटीक ट्रैकिंग के लिए अन्य ऑप्शन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।


ऐसे ट्रैक करें दिल की धड़कन

एक्सपर्ट्स के मुताबिक बच्चे के दिल की धड़कन को ट्रैक करने के कई तरीके होते हैं। जैसे डॉपलर उपकरण, घर पर इस्तेमाल किए जाने वाला भ्रूण डॉपलर उपकरण अल्ट्रासाउंड इमेजिंग और स्टेथोस्कोप के माध्यम से भी हार्टबीट ट्रैक किया जा सकता है। ऐसे में पहली बार आप तिमाही में बच्चे की धड़कन को ट्रैक करने के लिए कह सकते हैं। साथ ही बच्चे की हार्टबीट को ट्रैक करने के तरीके के बारे में भी जान सकते हैं। घर पर हार्टबीट ट्रैक करने के लिए डॉक्टर आपको नीचे बताए जा रहे कुछ सुझाव दे सकते हैं।


डॉपलर डिवाइस

डॉपलर अल्ट्रासाउंड उपकरण का इस्तेमाल कर डॉक्टर बच्चे की धड़कन की ध्वनि का पता लगाने के साथ उसे बढ़ा भी सकते हैं। डिलीवरी से पहले जांच के दौरान इन उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। हांलाकि सटीक रीडिंग जानने के लिए आपको डॉक्टर पर विश्वास करना जरूरी है।


अल्ट्रासाउंड इमेजिंग

आमतौर पर इस डिवाइस का इस्तेमाल डॉक्टर द्वारा हार्टबीट को ट्रैक किए जाने का सबसे भरोसेमंद तरीका है। इससे विकासशील भ्रूण की कल्पना करने के साथ हार्टबीट को सुनने में मदद मिलती है।


स्टेथोस्कोप

कुछ मामलों में बच्चे की दिल की धड़कन को सुनने के लिए डॉक्टर स्टेथोस्कोप का इस्तेमाल कर सकते हैं। अल्ट्रासाउंड और डॉपलर उपकरणों की तुलना में यह तरीका काफी कम उपयोग में लाया जाता है।


घरेलू फेटल डॉपलर

बता दें कि कुछ पेरेंट्स बच्चे की धड़कन को सुनने के लिए घर पर हैंडहेल्ड भ्रूण डॉपलर उपकरणों का इस्तेमाल करने हैं। हांलाकि अनावश्यक तनाव से बचने के लिए इन उपकरणों का सावधानीपूर्वक इस्तेमाल किया जाना जरूरी है। इस तरह से जांच करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।

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