योगी और मोदी की जोड़ी ने प्राचीनता को ध्यान रख बदला काशी का स्वरूप

By टीम प्रभासाक्षी | Jan 25, 2022

2014 के पहले विश्व मे काशी की पहचान श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, मां गंगा और घाटों के लिए होती थी। केंद्र और राज्य में बीजेपी की सरकार बनते ही तस्वीर बदलने लगी हैं। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, घाटों, तालाबों, कुंडों का सुन्दरीकरण, 4 पार्किंग स्थल, रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर ने काशी की पहचान को चार चांद लगा दिया हैं। 


काशी विश्वनाथ धाम में 50 हजार से ज्यादा श्रदालु आ सकते हैं


बीजेपी के सह मीडिया प्रभारी अरविंद मिश्रा ने बताया करीब 800 करोड़ की लागत से विश्वनाथ धाम निर्माण किया गया हैं। पहले मंदिर परिक्षेत्र 3000 वर्ग फिट में था। 8 मार्च 2019 को पीएम मोदी ने कॉरिडोर का शिलान्यास किया था। अब कॉरीडोर लगभग 5 लाख वर्ग फिट में बनकर तैयार हो गया हैं। जिसका लोकार्पण पीएम मोदी ने 13 दिसंबर 2021 को किया था। इसमें म्यूजियम, भोगशाला, दर्शनार्थी सुविधा केंद्र, मुमुक्षु भवन हैं। 40 प्राचीन मंदिरों को संरक्षित किया गया हैं। इससे विश्व स्तर पर पर्यटन और रोजगार को नया आयाम मिल रहा हैं। 

 

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जापान और भारत मैत्री की पहचान दुनियां में बनी


दिसंबर 2015 में जापान के सहयोग से 180 करोड़ की लागत से रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर की नींव रखी गयी थी। 3 एकड़ में फैले सेंटर का लोकार्पण पीएम मोदी ने 15 जुलाई को कर जनता को समर्पित कर दिया। इस सेंटर में 1200 लोग एक साथ बैठ सकते हैं। बड़े इंटरनेशनल सेमिनार आयोजित हो सकते हैं। पार्किंग, गॉर्डन के साथ 120 किलो वाट का सौर ऊर्जा प्लांट भी यहां लगा हैं। अंतराष्ट्रीय स्तर पर रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में बड़े आयोजनों की योजना भी हैं।


जाम से जूझते शहरवासियों को मिली बड़ी राहत


2014 के पहले काशी में पर्यटक जब आता था, तो शहरवासियों के साथ जाम के झाम में फंसकर ऊब जाता था। अब चार बड़े बने पार्किंग स्थल गोदौलिया, बेनियाबाग, टाउनहॉल और कचहरी को जनता को समर्पित कर दिया गया हैं। 90 करोड़ की लागत से बने बेनियाबाग पार्किंग स्थल में 400 वाहन खड़े हो सकते हैं। 21.20 करोड़ की लागत से बने गोदौलिया पार्किंग स्थल में 300 से ज्यादे, 26 करोड़ की लागत से बने कचहरी पार्किंग स्थल में 250 और 23.20 करोड़ की लागत से बने टाउनहॉल पार्किंग स्थल में 200 छोटे बड़े वाहन आसानी से खड़े हो सकते हैं। इसकी वजह से जाम की समस्या से निजात मिला हैं। 

 

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काशी का हृदय गोदौलिया - दशाश्वमेध मार्ग का हुआ सुन्दरीकरण 


सबसे अधिक दर्शनार्थी और पर्यटक इसी क्षेत्र में आते हैं। ऐसे में करीब डेढ़ किमी लंबे मार्ग तस्वीर प्रसाद योजना के तहत 11 की लागत से बदल दी गयी हैं। जिसकी वजह से साड़ी व्यपारियों, होटल, माला फूल, रेस्टोरेंट, पटरी व्यवसायियों के रोजगार में काफी वृद्धि हुई हैं।


प्राचीन कुंडों और तालाबो को जोड़ा गया विकास पथ से


19 करोड़ की लागत से शहर में करीब 25 से ज्यादे कुंडों और तालाबों का विकास किया गया हैं। दुर्गाकुंड, संखु धारा कुंड, लक्ष्मी कुंड इसमें प्रमुख हैं। टूटे सीढ़ियों की मरम्मत के साथ फाउंटेन के साथ लाइटिंग की व्यवस्था की गयी हैं। वही नमामि गंगे के तहत अस्सी, दशाश्वमेध, राजेंद्र प्रसाद घाट समेत अन्य पर्यटन स्थलों का विकास किया गया हैं।

 

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विपक्ष का आरोप काशी से रोजगार गायब और प्राचीनता खत्म हो गयी


सपा के पूर्व मंत्री मनोज राय धूपचंडी ने बताया श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की प्राचीनता के साथ छेड़छाड़ किया गया हैं। लोग काशी में गलियों में ही घूमने आते थे। सैकड़ों बुनकरों ने रोजगार न होने से धंधा ही बदल दिया। जाम से शहर के लोग अभी भी परेशान हैं। रुद्राक्ष सेंटर में कौन आम जनता जा सकता हैं। काशी धार्मिक स्थली हैं और बाद में पर्यटन का केंद्र हैं।


क्या कहते हैं इतिहासकार


बीएचयू के असिस्टेंट प्रो राजीव श्रीवास्तव बताते हैं कि काशी में बदलाव अंतराष्ट्रीय स्तर पर मायने रखता हैं। भारत के लिए काशी का विकास एक रोल मॉडल बन रहा हैं। केवल राजनीतिक स्तर पर नही बल्कि प्राचीनता के साथ किये गये सभी कार्य जनता के मन मस्तिष्क पर व्यापक असर डाल रही हैं। काशी की बदलती तस्वीरें विश्व पटल पर नया इतिहास लिख रही हैं। जिसका असर चुनाव में भी देखने को मिलेगा।


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