भारत में कोरोना वैक्सीन की दो डोज के बीच का गैप बढ़ा दिया गया है। अब यह गैप 12 से 16 हफ्ते का हो गया है। सरकार के इस फैसले के बाद कई तरह की बातें कही जा रही है। एक ओर जहां सरकार की आलोचना की जा रही है। वहीं दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि गैप बढ़ने से सबको वैक्सीन लग सकेगा। सरकार के आलोचकों का कहना है कि देश में वैक्सीन नहीं है इसीलिए सरकार ने दो डोज के बीच गैप को बढ़ा दिया है। इसमें कितनी सच्चाई है यह तो वक्त बताएगा। लेकिन कहीं ना कहीं कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच दुनिया भर में वैक्सीनेशन को लेकर नई रणनीति तैयार की जा रही है। इसी रणनीति का एक हिस्सा यह भी है कि दो डोज के बीच की दूरी बढ़ाना। डोज का साइज घटाना, साथ ही साथ दूसरी डोज में वैक्सीन बदलने का भी प्रपोजल रखा जा रहा है। इसको लेकर विशेषज्ञों में अलग बहस है। माना जा रहा है कि जिस तरह से कोरोना वायरस का कहर अब भी बरकरार है। ऐसे में वैकल्पिक रणनीति की जरूर जरूरत है। इसी वैकल्पिक रणनीति के तहत भारत में दो डोज के बीच गैप को बढ़ाया गया है।
अमेरिका के साथ-साथ एक बार फिर से यूरोपीय देशों में भी कोरोना वायरस का कहर तेजी से बढ़ रहा है। भारत में यह पहले से ही बरकरार है। नए-नए वेरियंट्स का पता चल रहा है। ऐसे में सबसे पहली प्राथमिकता यह है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों का टीकाकरण किया जाए। भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश को सबसे पहले लोगों के टीकाकरण पर ध्यान देने की जरूरत है। ऐसे में सरकार की पहली कोशिश यही है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक कोरोना वैक्सीन की पहली डोज पहुंच सकें। दूसरी डोज के लिए थोड़ा वक्त भी दिया जाएगा तो कोई दिक्कत नहीं है। एक्सपर्ट की राय है कि एक वैक्सीन के बाद भी लोगों में यूनिटी बूस्ट होने लगती है। ऐसे में गंभीर मामलों में कमी आएगी साथ ही साथ अस्पतालों पर भी बोझ कम पड़ेगा।
इससे एक सवाल और पैदा हो रहा है कि जब कोरोना वैक्सीन दो डोज है। एक से ही इम्युनिटी कैसे बूस्ट होगा। अब तक दुनिया भर में जितनी भी वैक्सीन अप्रूफ हुई है वह सभी दो डोज वाली है। पहली डोज इम्युनिटी सिस्टम को वायरस को पहचानने और उसके खिलाफ सुरक्षा विकसित करने की ट्रेनिंग देता है। दूसरी डोज भी इसी प्रक्रिया को दोहराता है। दो डोज के बीच की दूरी वैक्सीन के प्रभाव पर कोई असर नहीं डालेगा। आपको बता दें कि भारत सरकार ने कोविशील्ड टीके की दो डोज लगवाने के बीच के समयांतर को 6-8 सप्ताह से बढ़ाकर 12-16 सप्ताह करने की कोविड-19 कार्य समूह की सफारिश को स्वीकार कर लिया है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को दो डोज के बीच समयांतर की घोषणा करते हुए उक्त बात बतायी।
मंत्रालय ने कहा, लेकिन कोवैक्सीन के दो डोज के समयांतर (पहला और दूसरा डोज लगने के बीच का समय) में कोई बदलाव नहीं किया गया है। उसने कहा, ‘‘वास्तविक समय के साक्ष्यों, विशेष रूप से ब्रिटेन से प्राप्त, के आधार पर कोविड-19 कार्य समूह कोविशील्ड टीके के दो डोज के बीच समयांतर को बढ़ाकर 12 से 16 सप्ताह करने पर राजी हो गया है। कोवैक्सीन के दो डोज के बीच समयांतर में बदलाव की कोई सिफारिश नहीं की गयी है।’’ सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा उत्पादित कोविशील्ड के दो डोज के बीच समयांतर फिलहाल 6 से 8 सप्ताह का है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘कोविड-19 कार्य समूह की सिफारिश को कोविड-19 टीकाकरण पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह (एनईजीवीएसी) द्वारा 12 मई, 2021 को हुई बैठक में स्वीकार कर लिया गया। एनईजीवीएसी के प्रमुख नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉक्टर वी.के. पॉल हैं।’’ स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि एनईजीवीएसी ने कोविशील्ड टीके के दो डोज के बीच समयांतर को बढ़ाकर 12 से 16 सप्ताह करने के कोविड-19 कार्य समूह की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है।