By नीरज कुमार दुबे | Jul 20, 2024
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि जम्मू क्षेत्र में बढ़ते आतंकवाद को देखते हुए क्या पीर पंजाल क्षेत्र में एनसी विज के कार्यकाल के दौरान चलाये गये ऑपरेशन जैसा ही अभियान एक बार और चलाये जाने की जरूरत है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इस समय जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियां घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों द्वारा अपनाई गई ‘‘संरक्षण और समेकन’’ रणनीति के "छिपे हुए खतरे" से जूझ रही हैं। यह खतरा उत्तरी कश्मीर और कठुआ जिले में हाल ही में घात लगाकर किये गये हमलों और मुठभेड़ों में स्पष्ट प्रतीत होता है। उन्होंने कहा कि घात लगाकर किये गये हमलों और आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ों का विश्लेषण करने के बाद सुरक्षा एजेंसियां ‘हाई अलर्ट’ पर हैं, लेकिन जमीनी स्तर की ‘मानव खुफिया’ जानकारी के अभाव में ऐसे आतंकवादियों के खिलाफ अभियान में बाधा आ रही है। उन्होंने कहा कि तकनीकी खुफिया जानकारी पर पूरी तरह निर्भरता फलदायी नहीं रही है, क्योंकि आतंकवादी अधिकारियों को गुमराह करने के लिए ऑनलाइन गतिविधियों का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि विदेशी आतंकवादियों का मुकाबला करने के लिए विशेष रूप से जम्मू क्षेत्र में निगरानी बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अपने शांतिपूर्ण माहौल के लिए परिचित इस क्षेत्र, खासकर पुंछ, राजौरी, डोडा और रियासी जैसे सीमावर्ती जिलों, में आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि देखी गई है। भारतीय वायुसेना के काफिले, तीर्थयात्रियों की बस पर हमले तथा कठुआ में सैनिकों की हाल ही में हत्या से यह उभरता खतरा दृष्टिगोचर हुआ है। उन्होंने कहा कि "संरक्षण और समेकन" रणनीति के तहत, आतंकवादी जम्मू और कश्मीर में घुसपैठ करते हैं, लेकिन शुरुआत में चुप रहते हैं, स्थानीय आबादी के साथ घुलमिल जाते हैं और हमले करने से पहले पाकिस्तान में मौजूद आकाओं से निर्देश मिलने का इंतजार करते हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि, घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों की "संरक्षण और समेकन" रणनीति का पता चलने के बाद जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियां ‘हाई अलर्ट’ पर हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर खुफिया जानकारी का अभाव अभियान में बाधा बन रहा है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वैसे यह भी सच है कि तकनीकी खुफिया जानकारी उतनी कारगर नहीं रही है, क्योंकि आतंकवादी केवल सुरक्षा एजेंसियों को भ्रमित करने के लिए इंटरनेट पर अपनी उपस्थिति छोड़ते हैं। उन्होंने इसे आतंकवादी गतिविधियों में एक महत्वपूर्ण बदलाव बताते हुए भाड़े के विदेशी आतंकवादियों को उनके दुर्भावनापूर्ण इरादों को अंजाम देने से रोकने के लिए कड़ी निगरानी की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सोपोर में 26 अप्रैल को हुई मुठभेड़ में शामिल विदेशी आतंकवादी 18 महीने से छिपे हुए थे। इस तरह की योजना "संरक्षण और समेकन" रणनीति को पुष्ट करती प्रतीत होती है। उन्होंने कहा कि साक्ष्यों से पता चलता है कि कश्मीर स्थित आतंकी समूहों के साथ उनके (विदेशी आतंकवादियों के) संबंध हैं और वे अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा कि जून में इसी प्रकार के अभियानों से छिपे हुए नेटवर्क ध्वस्त हो गए, आतंकवादियों की योजनाओं और क्षमताओं का खुलासा हुआ, तथा सीमा पार से घुसपैठ के अनदेखे उच्च-स्तरीय पहलू भी सामने आए।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि मानव खुफिया जानकारी में कमी के साथ-साथ आतंकवादियों द्वारा "अल्ट्रा सेट" फोन जैसे एन्क्रिप्टेड संचार उपकरणों के उपयोग ने उन्हें ‘ट्रैक’ कर पाना मुश्किल बना दिया है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा एजेंसियां इस छिपे हुए खतरे का मुकाबला करने के लिए निगरानी बढ़ाने और सार्वजनिक सतर्कता बरतने का आग्रह कर रही हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों की क्षमता भले ही कम हो गई हो, लेकिन उनका इरादा लगातार (देश के लिए) खतरा बना हुआ है। उन्होंने युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और आतंकवादी समूहों में भर्ती करने तथा हमलों की योजना बनाने के लिए ‘एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप’ के इस्तेमाल से उत्पन्न चुनौतियों को भी चिंताजनक बताया। उन्होंने समुदाय की सुरक्षा के लिए विशेष रूप से युवाओं के बीच संदिग्ध संचार की निगरानी में सार्वजनिक सतर्कता बरतने पर जोर दिया।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जम्मू क्षेत्र के शांतिपूर्ण हिस्सों में आतंकवादी गतिविधियां बढ़ने के बीच सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी शनिवार को जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि तीस जून को भारतीय सेना के 30वें प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने के बाद तीन सप्ताह से भी कम समय में सेना प्रमुख का जम्मू का यह दूसरा दौरा है। उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख पुलिस मुख्यालय में एक उच्च स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करेंगे जिसमें पुलिस, सेना, अर्धसैन्य और खुफिया विभाग के शीर्ष अधिकारी शामिल होंगे।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पिछले दो महीनों में विशेष रूप से आतंकवादी हमलों की एक श्रृंखला ने पाकिस्तान के छद्म युद्ध का ध्यान कश्मीर घाटी से जम्मू के एक क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र पुंछ से कठुआ तक फैला हुआ है और पीर पंजाल के पहाड़ी इलाकों के साथ-साथ दक्षिण में किश्तवाड़ रेंज तक चलता है और कठुआ के उत्तर-पूर्व में शिवालिक की ओर बढ़ता है। उन्होंने कहा कि जम्मू में प्रायोजित आतंकी हमलों को अंजाम देने वाले पाकिस्तानी डीप स्टेट का संभावित उद्देश्य कश्मीर में भारत के खिलाफ आतंकवाद और घृणा को पुनर्जीवित करना है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने 1989 में कश्मीर में अपने छद्म युद्ध अभियान को फैलाने के लिए इसी रणनीति पर काम किया था। उन्होंने कहा कि पीर पंजाल रेंज अपनी ऊंचाइयों, चट्टानी इलाके और घने जंगलों के कारण आतंकवादियों के लिए छिपने की जगह बनाने में मदद करती है। उन्होंने कहा कि सुरनकोट के ऊपर हिलकाका क्षेत्र को याद करें जहां 2003 के मध्य में सात बटालियनों द्वारा एक बड़ा ऑपरेशन चलाया गया था, जिसमें ऑपरेशन सर्प विनाश के तहत बड़ी संख्या में आतंकवादियों को मार गिराया गया था। उन्होंने कहा कि इसी तरह का अभियान एक बार फिर चलाये जाने की जरूरत है।